कैसा है देश के 140 शहरों में रहन-सहन का स्तर ?

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शहरों का रहन-सहन सूचकांक अगले महीने जारी किया जायेगा

शहरी विकास सचिव ने कहा, ‘राज्यों की राजधानी में बैठकर शहरों को नहीं चलाया जा सकता है’

नई दिल्ली :  शहरी विकास मंत्रालय अगले महीने शहरों का रहन-सहन सूचकांक जारी करेगा, जो देश में ही विकसित सूचकांक पर आधारित होगा। इस आशय की घोषणा सचिव (शहरी विकास)  राजीव गाबा ने की है । श्री गाबा स्‍थानीय सरकारों की जवाबदेही बढ़ाने पर विश्‍व बैंक द्वारा आयोजित ज्ञान साझा कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

आरंभ में 140 शहरों में रहन-सहन मानकों का आकलन किया जायेगा जिनमें 10 लाख एवं उससे ज्‍यादा आबादी वाले 53 शहरों के साथ-साथ स्‍मार्ट सिटी भी शामिल होंगी। इस आकलन कार्य के लिए उपयुक्‍त एजेंसी का चयन करने हेतु मंत्रालय पहले ही निविदाएं आमंत्रित कर चुका है, जो मंत्रालय द्वारा विकसित पैमानों पर आधारित होगा। शहरी विकास मंत्रालय ने राज्‍यों और शहरों के हित में ‘शहरों में रहन-सहन मानकों के संग्रह एवं गणना की विधि’ पर एक विस्तृत दस्‍तावेज जारी किया है।

शहरों का आकलन 15 प्रमुख पैमानों पर किया जायेगा जो गवर्नेंस, सामाजिक बुनियादी ढांचे जैसे कि शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य एवं रक्षा तथा सुरक्षा, आर्थिक

पहलुओं तथा भौतिक बुनियादी ढांचे जैसे कि आवास, खुले स्‍थल, भूमि के उपयोग, ऊर्जा एवं जल की उपलब्‍धता, ठोस कचरे के प्रबंधन, प्रदूषण इत्‍यादि से संबंधित होंगे। शहरों की रैंकिंग दरअसल रहन-सहन सूचकांक पर ही आधारित होगी जो कुल मिलाकर 79 पहलुओं को कवर करेगा।

श्री गाबा ने कहा कि देश में शहरों और कस्‍बों के बीच स्‍वस्‍थ प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि वे गवर्नेंस को बेहतर करने और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की उपलब्‍धता पर अपना ध्‍यान केन्द्रित कर सकें।

विकेन्‍द्रीकरण और स्‍थानीय सरकारों को सशक्‍त बनाने के मुद्दे पर विशेष जोर देते हुए श्री गाबा ने कहा, ‘राज्‍यों की राजधानी एवं सचिवालय में बैठकर शहरों को चलाया नहीं जा सकता और उनका प्रबंधन नहीं कि‍या जा सकता। बेहतर प्रदर्शन, जिम्‍मेदारी एवं दायित्‍व निर्वहन के लिए उन्‍हें खुद अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।’

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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