न्यायधीशों के 85 पद स्वीकृत लेकिन हरियाणा से केवल 18 न्यायाधीश
न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए हरियाणा से 23 पद स्वीकृत जबकि केवल 13 न्यायाधीश नियुक्त
चंडीगढ़, 4 मई : आज हरियाणा विधानसभा ने चण्डीगढ़ में ही हरियाणा का अलग उच्च न्यायालय बनाने के लिए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 में समुचित संशोधन करने के लिए आवश्यक कानून बनाने हेतु संसद से अनुरोध करने के निमित एक प्रस्ताव पारित किया गया।
शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री रामबिलास शर्मा ने सरकारी संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद के 214 में प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य के लिए पृथक उच्च न्यायालय होगा जबकि हरियाणा के सिवाय सभी नवसृजित राज्यों झारखंड,छत्तीसगढ़ और उतराखंड के लिए उनके पृथक उच्च न्यायालय उपलब्ध हैं।
श्री शर्मा ने सदन को अवगत करवाया कि हरियाणा को अस्तित्व में आए 50 वर्ष हो गए हैं परंतु अभी तक हरियाणा के लिए अलग से उच्च न्यायालय नहीं बन पाया। हरियाणा की जनता को सांझा उच्च न्यायालय में कार्यभार की अधिकता से मुकद्दमों के लंबित रहने और मामलों के निपटान में देरी सहित अनेक कष्ट उठाने पड़े हैं। वर्तमान में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायधीशों के 85 पद स्वीकृत हैं जबकि हरियाणा से केवल 18 न्यायाधीश हैं। इसी प्रकार अधिवक्ताओं से सीधे न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए हरियाणा राज्य से 23 पद स्वीकृत हैं जिसके विरूद्ध हरियाणा के 13 न्यायाधीश ही नियुक्त हैं। हरियाणा के अधिवक्ताओं को भी उच्च न्यायालय पीठ में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है।
श्री शर्मा ने इस बात की भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने 22 अप्रैल 2017 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान स्वर्ण जयंती वर्ष में पृथक उच्च न्यायालय बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि हरियाणा विधानसभा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 के तहत हरियाणा की राजधानी होने के नाते चंडीगढ़ में हरियाणा के लिए अलग उच्च न्यायालय स्थापित करने के लिए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 में समुचित संशोधन के लिए आवश्यक कानून बनाने हेतु संसद से अनुरोध करने के प्रस्ताव को पारित किया जाए।