गैर जरूरी ऑपरेशन करने वाले डाक्टरों को शर्मिंदा करो : मेनका गाँधी

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बच्चों को जन्म देने के लिए ऑपरेशन के लिए महिलाओं को मजबूर  करने के मामला 

मेनका ने स्वास्थ्य मंत्री नड्डा को लिखा पत्र 

नई दिल्ली : केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बुधवार को कहा कि बगैर किसी ठोस मेडिकल कारण के अनावश्यक तौर पर ऑपरेशन कर बच्चे को जन्म दिलाने वाले महिला व पुरुष डॉक्टरों के नाम जारी कर उन्हें सार्वजनकि तौर पर शर्मिंदा किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को भी पत्र लिखा कर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया  है। उन्होंने इस प्रकार के बढते चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए अंकुश लगाने की भी बात की है.

गौरतलब है कि ख़ास कर देश के छोटे एवं बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या में लगातार वृद्धि रिकॉर्ड की गयी है। चिकित्सकों पर आरोप लग रहे हैं कि वे पैसा कमाने के लिए जानबूझकर बच्चों के जन्म के समय सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह ही नहीं देते बल्कि कई मामले में तो महिलाओं को ऑपरेशन के लिए मजबूर कर देते हैं।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री नड्डा से अनुरोध किया है कि वह अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य बनाएं कि वे सिजेरियन ऑपरेशन यानी सी-सेक्शन के जरिए पैदा होने वाले बच्चों के जन्मदर की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दें। प्राकृतिक तरीके से बच्चे पैदा होने देने की बजाय सर्जरी से बच्चे पैदा करने की तरफ महिलाओं को धकेल कर लाभ कमाने वाले अस्पतालों और डॉक्टरों के खिलाफ ‘चेंज डॉट ओआरजी’ की एक अर्जी के जवाब में मेनका ने यह बात कही है। उल्लेखनीय है कि इस अर्जी पर अब तक देश के 1.3 लाख लोग अपना हस्ताक्षर कर इस शिकायत से स्वयं को संबध कर चुके हैं।

खबर है कि मेनका ने नड्डा को लिखी चिट्ठी में कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए हमें शायद कई तरीकों की जरूरत होगी। एक तो यह हो सकता है कि नर्सिंग होम और अस्पताल से कहा जाए कि वे हर महीने किए गए सी-सेक्शन डिलीवरी और सामान्य डिलीवरी की संख्या सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करें।

उन्होंने यह भी कहा है कि हम ऐसे स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों का नाम लेकर उन्हें शर्मिंदा करना चाहेंगे जो बगैर किसी ठोस कारण के सिर्फ धन के लिए सिजेरियन डिलीवरी कराते हैं। उन्होंने देश की महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा है कि मैं चाहूंगी कि भारत की सभी महिलाएं एक साथ आएं और विरोध करना शुरू करें क्योंकि किसी महिला के लिए सिजेरियन बहुत तकलीफदेह होता है और यह प्राकृतिक डिलीवरी को गैर-जरुरी ऑपरेशन में बदल देता है।

चेंज डॉट ओआरजी पर याचिका शुरू करने वाली सुभर्णा घोष ने कहा कि यदि अस्पताल अनिवार्य तौर पर सिजेरियन ऑपरेशनों की दर प्रदर्शित करे तो इससे महिलाओं को सूचना से लैस विकल्प अपनाने में मदद मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि देश में हर साल होने वाली डिलीवरी में सिर्फ 15 प्रतिशत केस में सिजेरियन ऑपरेशन होना चाहिए। वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्विस के मुताबिक, 2015-16 में निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों के आंकड़े के मुताबिक तेलंगाना में सबसे अधिक 58 प्रतिशत जन्म सिजेरियन से हुआ था। दूसरे स्थान पर तमिलनाडु था जहां 34.1 प्रतिशत बच्चों का जन्म सिजेरियन के जरिए हुआ था। यह बेहद चौकाने वाले आंकड़े हैं.

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