नवादा के वारसलीगंज में छापेमारी में मिले सेंटर के रजिस्टर से हुआ खुलासा
पुलिस के राडार पर 50 से अधिक मोबाइल नंबर
नीरज कुमार
पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक मामले में सामने आया है कि परीक्षा पास कराने का सौदा तय होने पर लेन-देन की विस्तृत जानकारी कोडवर्ड में लिखी जाती थी। नवादा के वारसलीगंज में छापेमारी में मिले सेटर के रजिस्टर से यह सच्चाई सामने आई है। पेपर लीक का गुनहगार कौन, 50 मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल्स खंगाल रही पुलिस ,बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक करने और तकनीकी संसाधनों के जरिए नकल कराने वाले माफिया के नेटवर्क की तलाश में लगी पुलिस के राडार पर 50 से अधिक मोबाइल नंबर हैं।
इस नंबरों की तीन माह के सीडीआर (कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड) व अन्य तकनीकी पहलुओं को खंगाला जा रहा है। यह पता लगाया जा रहा है कि इनके तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं? इसमें कौन-कौन चेहरे शामिल है आयोग द्वारा आयोजित इंटरस्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के दूसरे चरण में नवादा के वारसलीगंज में पकड़े गए 22 सेटरों के पास से 34 मोबाइल फोन बरामद किए गए थे।
वैसे आरंभिक जांच के घेरे में 60 से अधिक चेहरे हैं। इनमें 49 लोगों की लिस्ट नवादा पुलिस ने तैयार की है, जिसमें 20 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। आरोपियों में आधे से अधिक परीक्षार्थी भी शामिल हैं।वैसे आने वाले दिनों में आरोपियों का आंकड़ा 100 की संख्या पार कर सकता है। तफ्तीश में लगे अफसरों के मुताबिक परीक्षा माफिया के नेटवर्क के बारे में कई अहम सुराग मिले हैं।हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि पेपर लीक के पीछे कितने गिरोह या रैकेट सक्रिय हैं। जांच पूरी होने पर ही गिरोह की संख्या या सरगनाओं के बारे में स्थिति स्पष्ट होगी।
कोडवर्ड में डीलिंग…
एडवांस की जगह एडी, पेमेंट के बदले ओके।रजिस्टर के शुरुआती छह पेज सादे हैं, जबकि सातवें पेज पर तारीख 29 जनवरी, 2017 लिखी गई है।आठवां पेज सादा है आैर नौवें पेज पर लाल स्याही से परीक्षा की तारीख 5 फरवरी, 2017 के साथ कुछ रोल नंबर अंकित हैं।
पेज नंबर 11 पर लाल स्याही से 9 फरवरी, 2017 लिखने के बाद पेज 23 तक सादा है। 24 नंबर पेज पर लाल से 29 जनवरी, 2017 के साथ 11 नामों से जुड़ा एक विशेष चार्ट बना हुआ है। इसमें डीलिंग करने वाले परीक्षार्थी के नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, रोल व रजिस्ट्रेशन नंबर से लेकर पेमेंट तक की जानकारी का रिकॉर्ड रहता था।एडवांस के लिए एडी तो दलाल की जगह ब्रोकर लिखा जाता था। पेमेंट पर ओके आैर राशि नहीं मिलने पर नॉट लिखा जाता। जे, ई, एफ, टी+ए व अन्य कोडवर्ड की गुत्थी सुलझाने में पुलिस लगी है।
आंसर शीट भरने से पहले पहुंच गई पुलिस
बीएसएससी परीक्षा को पास कराने का ठेका लेने वाले गिरोह के वारिसलीगंज में सक्रिय होने की भनक रविवार की सुबह साढ़े 8 बजे ही नवादा के एसपी अशोक वर्मन व पकरीवरावां एसडीपीओ रामपुकार सिंह को मिली। 11 बजे से परीक्षा होने वाली थी।तत्काल नवादा डीएसपी संजय पांडेय व एसडीपीओ के नेतृत्व में कई थानों की पुलिस ने जब सेटरों के ठिकाने पर छापेमारी की तो शक यकीन में बदल गया।
तलाशी के क्रम में एक बैग से आंसर शीट मिला, जिसमें क्रमांक 1 से 150 तक का बॉक्स बना कर उत्तर भरने की तैयारी थी। गिरफ्तारी के बाद सेटरों के मोबाइल की घंटियां बजने लगी आैर 100 से अधिक कॉल आए।दरअसल डीलिंग कर चुके परीक्षार्थियों की ओर से लगातार कॉल किए जा रहे थे। पुलिस अफसरों ने जब रिसीव करके नाम-पता या काम पूछा तो कॉल डिस्कनेक्ट होने के साथ ही संबंधित मोबाइल के स्विच भी ऑफ होने लगे।
वायरल फोटो दे रहा अंधेरे का संकेत, बीते रविवार को लीक हुए पेपर के वायरल फोटो की जांच में साइंटिफिक तरीका भी आजमाया जा रहा है। गौर से देखने पर पता चलता है कि लाल रंग के सीरिज वाली प्रश्न पत्र की तस्वीर अंधेरे स्थान पर ली गई है।
– रात का वक्त था या किसी डार्क रूम में पेपर था? जांच में फोटोग्राफी की टाइमिंग क्लियर होने पर भी अहम सुराग हाथ लग सकता है।
– जानकारों के मुताबिक प्रेस से प्रिंट होने के बाद प्रश्न पत्र को जिला प्रशासन के स्ट्रांग रूम में भेजा जाता है। इसके बाद इम्तिहान शुरु होने से एक-डेढ़ घंटे पहले सेंटर पर भेजने की प्रक्रिया शुरु होती है।