लडकों के रिश्ते पर पड़ रहा है असर, गावों में पशु हो गये कम
20 गावों में है नमक से भी खारा पानी, खारे पानी को मीठा पानी बनाने का संयंत्र फेल
यूनुस अलवी
मेवात: सरकार द्वारा मेवात इलाके के 503 गांवों के लोगों कि प्यास बुझाने के लिये करीब 13 साल पहले शुरू की गई 425 करोड रूपये कि राजीव गांधी पेयजल रेनीवेल परियोजना का मेवात के अधिक्तर गावों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। वहीं नगीना खण्ड के करीब 20 गांव पिछले 30 साल से पीने के पानी को तरस रहे हैं। मजबूर होकर लोग एक हजार का टेंकर पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। मेवात जिला के 443 गावों में करीब 60 फीसदी गावों में पीने योग्य पानी नहीं हैं, जमीनी पानी खारा है। मेवात जिला के कुछ गांवों के छोडकर केवल अरावली प्रर्वत श्रंखला की तलहेटी मेंं ही पीने लायक पानी है। जहां भी वाटर लेवल काफी गहरा चला जाने कि वजह से अधिक्तर बोरवैल खराब हो गये हैं। पूर्व मुख्य मंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने 425 करोड रूपये कि लागत से 2 अक्तुबर 2004 को पुन्हाना खण्ड के गांव मढियाकी में रेनीवेल परियोजना का शिलांयास किया था।
गांव का नाम राजाका पर पीने को पानी भी नसीब नहीं हैं। राजाका निवासी 70 वर्षीय समदखां और इसे खां का कहना है कि जब से उनको गांव बसा है तभी से पीने का पानी कि समस्या बनी हुई है। गांव के अंदर जमीनी खारा पानी है। करीब 30 साल पहले मेवात में बारिश हो जाती थी उनसे पानी का वाटर लेबल ऊपर आने कि वजह से वे गांव में कच्चे कुऐ आठ से दस फीट तक खोदकर अपनी प्यास बुझा लेते थे। उसने गांव को वाटर सप्लाई से भादस और घाघस से तो जोड रखा है पर कभी उनमें पानी आता ही नहीं हैं।
गांव अकलीमपुर के सरपंच असरूदीन का कहना है कि उनके गांव को कंसाली और भादस से रैनीवैल से तो जोड रखा है पानी पानी आता ही नहीं हैं। उनका आरोप है कि रैनीवैल के पैसे को खुर्द-बुर्द कर दिया गया है। ठेकेदार और अधिकारी मिलकर पैसों को बंदरबांट कर गये हैं। उनको आठ सौ से एक हजार तक में एक पानी का टेंकर खरीकर पीना पड रहा है। इसकी शिकायत अधिकारी और नेताओं से खूब की है पर कोई सुनता ही हीं हैं। चुनाव के समय नेता आते हैं और वोट लेकर चले जाते हैं उसके बाद मुडकर भी नहीं देखते हैं।
हबीब निवासी गंडूरी का कहना है कि उनके गांव को संगेल से जोड रखा है पर उसमें कभी पीने का पानी आता ही नहीं हैं। उनके गांव को काफी समय से पीने का पानी नसीब ही नहीं हुआ है। अब तो उनके कुओं में भी पानी नहीं है। गावों के तालाब सूखे पडे हैं। उनको मोल के पानी पर ही निर्भर रहना पड रहा है।
समाजसेवी खालिद हुसैन मढी का कहना है कि उनके इलाके में एक-दो गांव नहीं बल्कि पूरे 20 गांव है जो पिछले 30 साल से पीने के पानी कि समस्या से झूझ रहे हैं। दिखावे के तौर पर प्रशासन ने इन गांवों को रैनीवैल से जोड कर पानी चालू दिखा रखा है लेकिन असल में सभी 20 गावों में पीने का पानी नहीं। लोगों ने अपने-अपने घरों में पानी इक्ठा करने के लिये कुंडे बना रखे हैं जिसमें लोग पानी का टेंकर खरीद कर 15-20 तक उसे इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो उस पानी में कीेडे भी पड जाते हैं।
गावं मढी की 70 वर्षीय अजीजा और 80 वर्षीय बननी बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि जितनी परेशानी उन्हें 50 साल पहले थी अब उससे भी कहीं जयादा है। जब से वे शादी हाकर गांव में आई हैं तभी से वे पीने के पानी की किल्लत झेल रही हैं।
लडकों के रिश्ते पर पड रहा है असर
इस इलाके के खिड्डी सरपंच, मजीद सरपंच, मास्टर अलीम का कहना है कि उनके करीब 20 गावों में पीने का पानी ना होने कि वजह से लडकों के रिश्ते पर भी बहुत असर पडता है। बेटी का रिश्ते करते वाला सभी सहूलियतें देखते है लेकिन पानी की कमी उनके लडकों के रश्तिे पर आडे आती है।
पशु हो गये कम
लोगो का कहना है कि पीनी के मिल्लत कि वजह से अधिक्तर लोगों ने पशुओं को रखना ही कम कर दिया है। लोगों को तो पीने का पानी नसीब नहीं है और पशुओं को मोल का पानी कैसे पिला सकते हैं। जो मालदार लोग हैं वे ही दुधारू पशुओं को रखते हैं।
इन गावों में है नमक से भी खारा पानी
वैसे मेेवात के अधिक्तर गावों में पीने का पानी कि समस्या है लेकिन नगीना खण्ड के गांव भादस, करहेडी, राजाका, अकलुीमपुर नूंह, जैताका, खेडली नूंह, मढी, महूं, जलालपुर नूंह, खानपुर नूंह, गंडूरी, हसनपुर, नांगल, गोहाना, प्रतापबास और दानीबास सहित 20 गावों में जमीनी पानी नमक से भी खारा है।
खारे पानी को मीठा पानी बनाने का संयंत्र फैल
मेवात विकास अभिकरण के तत्कालीन चैयरमेन एसए खान ने इन गावों को मीठा पानी मुहईया कराने के लिये वर्ष 2000 में मढी गांव में एक संयंत्र लगाया था। इस संयंत्र पर करीब 20 लाख रूपये कि लागत आई थी लेकिन पानी के अंदर फोलोराईड अधिक होने कि वजह से वह कामयाब नहीं हो सका जिसकी वजह से लोगों को एक बूंद पानी भी नहीं मिल सका।
क्या कहते हैं विधायक ?
फिरोजपुर झिरका से इनेलो विधायक नसीम अहमद का कहना है कि असल में भाजपा सरकार लोगों को पीने का पानी मुहईया ही नहीं कराना चहाती है। उन्होने कई बार विधान सभा और मेवात डव्लपमेंट बोर्ड कि मींटिग में पानी की किल्लत के मुद्दे उठाये हैं लेकिन अधिकारी सरकार के सामने झूठे आकडे पैश कर देते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने वर्ष 2004 में 425 करोड रूपये कि लागत से रैनीवैल परियोजना का मेवात के गांव मढी में शिलान्यास किया था लेकिन उस पैसे का सही इस्तेमाल करने कि बजाये अधिकारियों ने खुर्द-बुर्द कर दिया।