बुजुर्गा को तीन-तीन महिने से नहीं मिल रही बुढापा पैंशन

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यूनुस अलवी

 प्रधान मंत्री और बैंक मैनेजर के खिलाफ जमकर कि नारेबाजी

पुन्हाना: नोट बंदी को तीन महिने होने वाले हैं लेकिन मेवात में इसके अभी तक सुधरने के हालात नजर नहीं आ रहे हैं। अब कारण क्या हो सकते हैं इसका जवाब किसी के पास भी नहीं हैं। नोट बंदी से पहले जहां मेवात के बुजुर्गो को उनके घर बेठे पैंशन मिलती थी लेकिन नोट बंदी के बाद अपनी पैंशन लेने के लिये बुजुर्गो को बैंकों में धक्खे खाने पड रहे हैं। मंलवार को मेवात जिला के खंड पुनहाना के गांव नई और आसपास के गावों के सैंकडों बुजुर्गो के सबर का बांध टूट गया। 65 से 90 आयु के बुजुर्गो ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बैंक मैनेजर के खिलाफ जमकर नारे बाजी की।
 
  बुजुगों का आरोप है कि उनके घर का गुजारा बुढापा पैंशन से चलता है लेकिन बैंक मैनेजर उनको तीन-तीन महिने से कोई पैंशन नहीं दे रहा है। अगर कभी देता भी है तो उनकी पैंशन के आधे पैसे रख लेता है। कई बुजुर्गो ने बताया कि उनके घर में एक भी पैसा नहीं है और वे चार-पांच दिन से बैंक के चक्कर काट रहे हैं लेकिन मैनेजर पैसा नहीं दे रहा है। इसके अलावा भी लोगों ने मैनेजर पर कई गंभीर आरोप लगाऐ।
 
 बुजुर्ग जुम्मी का कहना है कि आज उसके घर चीनी के लिये भी पैसे नही उधार पैसे लेकर चाय तक बनाई घर पर एक भी पैसा नहीं हैं। मैनेजर पैसे देता नहीं हैं। इलयास, राजु, अबदुल करीम आदि बुजुर्गो का कहना है कि पिछले तीन महिने से उनकी पैंशन नहीं दी जा रही है वे गरीब आदमी हैं। पैशन के पैसों से ही गुजारा चलता है। मौजबी का कहना है कि उसकी तीन महिने की पैशन में से केवल एक हजार ही दिये हैं। बाकी के पैसे नहीं दिये। प्रेमवति, जुम्मा खान, रहमती का आरोप है कि मैनेजर दो-तीन घंटे ही पैंशन बांटता है फिर कैश खत्म होने का बहाना बनाकर बैंक बंद कर देता है। वहीं राजु का कहना है कि यहां भीड में उसकी पत्नि गिर गई थी, जिससे उसकी दो पसली टूट गई थी। अब उसके इलाज के लिये पैसों कि जरूरत है लेकिन मैनेजर पैसे नहीं दे रहा है।
 
क्या कहते हैं मैनेजर
सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक नई गांव के मैनेजर सर्वेश कुमार मीणा का कहना है कि उनके पास कैश कम आ रहा है इस लिये वे सभी बुर्गो को एक साथ पैंशन नहीं दे सकते हैं।

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