स्वराज इंडिया ने केजरीवाल सरकार से मांगा हिसाब

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दिल्ली डायलॉग’ में किये वायदे पर नहीं करने के आरोप 

 
नई दिल्ली :  स्वराज इंडिया ने आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार से शिक्षा पर कुछ महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं। दिल्ली विधान सभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र ‘दिल्ली डायलॉग’ में दिल्ली के लोगों से शिक्षा संबंधित कुछ महत्वपूर्ण वादे किये थे। जिनमें शिक्षा पर ख़र्च को बढ़ाना, 500 नए स्कूल और 20 नए कॉलेज खोलना, 17000 नए शिक्षकों की नियुक्ति, उच्च शिक्षा व कौशल गारंटी स्कीम, इडब्लयूएस का पूर्ण क्रियान्वयन, और सरकारी स्कूल में शिक्षा के स्तर को अच्छे प्राइवेट स्कूल के समकक्ष करने जैसे कई अहम वादे थे। दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्री शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम को लेकर अक्सर दावे भी करते रहते हैं। स्वराज इंडिया ने आम आदमी पार्टी के इन वादों और दावों की पड़ताल की है। 
 
*दोगुना शिक्षा बजट का मिथक:* फ़रवरी 2015 में दिल्ली में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया। जिसमें शिक्षा बजट को दोगुना से ज़्यादा (106 % वृद्धि) करने की बात कही गयी। लेकिन जो आँकड़े सामने आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। दरअसल बजट का ‘योजनाबद्ध हिस्सा’ (planned component) पिछले साल की तुलना में 2,219 करोड़ से 106% बढ़ाकर 4,570 करोड़ कर दिया गया था, न कि पूरा बजट। जबकि असल में ख़र्च मात्र 2,932 करोड़ रूपये हुए हैं। यानी पिछले साल की तुलना में (पिछले साल का शिक्षा पर खर्च था 2,139 करोड़ रूपये) शिक्षा पर ख़र्च में वास्तविक बढ़ोतरी हुई 37% की, जिस तथ्य को आम जनता के सामने गलत तरीके से पेश किया गया। यह है आम आदमी पार्टी के दोगुना शिक्षा बजट के दावों की हक़ीक़त।
 
*कहाँ हैं सारे नए स्कूल और कॉलेज:* आम आदमी पार्टी का वादा था 500 नए स्कूल खोलने का। साल 2014-15 में दिल्ली सरकार के कुल 1,007 स्कूल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में थे। साल 2015-16 के अंत तक यह संख्या 1,011 हुई। यानी कुल 4 नए स्कूल साल भर में खोले गए। यह संख्या पिछली सरकार द्वारा पिछले चार सालों में खोले गए स्कूलों की संख्या की तुलना में काफ़ी कम है। मज़े की बात है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्कूलों की कुल संख्या पिछले साल की तुलना में 5,798 से कम होकर साल 2015-16 में 5,796 हो गयी है।
 
दिल्ली के लोगों को 20 नए कॉलेज का वादा किया गया था। लेकिन आँकड़े बताते हैं कि साल 2015-16 के अंत तक एक कॉलेज कम हो गया है। 2014-15 में 85 कॉलेज थे जो 2015-16 में 84 रह गए हैं। 
 
स्वराज इंडिया ने दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि 20 कॉलेज और 500 स्कूलों का वादा करने वाली सरकार के दो साल में संख्या में कमी कैसे आ गई? क्या यही है शिक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता?
 
*सरकारी स्कूलों में घटता नामांकन:* सबसे चौंकाने वाले आँकड़े दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में घटते नामांकन का है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में विद्यार्थियों के नामांकन की संख्या में 28,000 की कमी आयी है, वहीं एमसीडी के स्कूलों में यह आँकड़ा 20,000 का है। 
 
*ईडबल्यूएस दाख़िला स्कीम का लचर क्रियान्वयन:* दिल्ली में 42,827 EWS कोटा सीट हैं जिसमें 24,372 नहीं भरे गए। यानी 57% योग्य उम्मीद्वारों को लाभ से वंचित रखा गया। 
 
*उच्च शिक्षा व कौशल गारंटी स्कीम:* यह दिल्ली सरकार का बहुप्रचारित फ़्लैगशिप प्रोग्राम था। 30 दिसंबर 2016 तक (यानी पिछले डेढ़ साल में) इस स्कीम के तहत कुल 405 आवेदन आए जिसमें 97 विद्यार्थियों को लोन दिया गया। इसमें दिल्ली सरकार ने सिर्फ़ 3 लोन दिये जिसमें कुल 3.15 लाख ख़र्च हुआ। बाक़ी सारे लोन केंद्र सरकार की ऐसी ही स्कीम के तहत दिया गया। लेकिन इस योजना के पहले साल में ही यानी 2015-16 में दिल्ली सरकार ने 30 लाख विज्ञापन पर ख़र्च कर दिया। जो इस वित्तीय वर्ष में और बढ़ने की संभावना है। स्वराज इंडिया ने दिल्ली सरकार से सीधा सवाल किया है कि पूरी दिल्ली में कुल 3.15 लाख का लोन देने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने 30 लाख़ रूपये का प्रचार क्यूँ कर डाला? क्या दिल्ली की जनता के पैसे इस तरह उड़ाना जायज़ है?
 
*शिक्षकों की नियुक्ति:* निबंधित शिक्षकों की व्यवस्था को ख़त्म कर उन्हें स्थायी करना आम आदमी पार्टी का एक और महत्वपूर्ण वादा था। लेकिन कई आश्वासनों के बाद भी सरकार ने शिक्षकों को स्थायी नहीं किया है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में 44% शिक्षकों के पद या तो ख़ाली पड़े हैं या अस्थायी सेवा ली जा रही है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है जिसमें ‘समान काम के लिए समान वेतन’ की बात कही गई है। साल 2015-16 में तकनीकी शिक्षकों की संख्या भी साल 2014-15 की तुलना में 1,915 से घटकर 1,673 हो गई है। सबसे दुखद है आँदोलन से निकली पार्टी की सरकार द्वारा गेस्ट टीचर के नेताओं और एक्टिविस्टों को प्रताड़ित करना। 
 
शिक्षा के मुद्दे पर बड़े-बड़े वादे और दावे करने वाली आम आदमी पार्टी दिल्ली के लोगों के लिए काम करने की बजाए बस काम का ढोल बजाते रहती है। जब इनके वादों और दावों की पड़ताल की जाती है तो सब कुछ छलावा नज़र आता है। स्वराज इंडिया ने जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली में “जवाब दो, हिसाब दो” मुहीम की शुरूआत की है। इसी मुहीम के तहत स्वराज इंडिया ने शिक्षा के मसले पर इन अहम सवालों को उठाया है जिसका जवाब अब सरकार को देना है।

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