हिटलरशाही : डीसी से पानी मांगना एक महिला पार्षद को महंगा पड़ा और आगे तो पार्षद बर्खास्त हो सकती है

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यूनुस अलवी

मेवात: मेवात ज़िला के फ़िरोज़पुर झिरका, पुन्हाना, नुहं और तावडू नगर पालिका के पार्षद, चारमेंन और अधिकारियों के बने “संकल्प स्वछ मेवात” के व्हाट्सअप ग्रुप में मेवात के डीसी साहेब मणिराम शर्मा से फ़िरोज़पुर झिरका के एक वार्ड वार्ड में 10 दिन से पानी ने आने पर उसका समाधान कराने की बात कहना महंगा पड़ गया। डीसी साहेब ने उस महिला नगर पार्षद के लिए किया किया अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किये वो आप खुद पढ़े। जबकि की वो काफी पढ़ी लिखी महिला हे।

ये लिखा डीसी साहेब ने।
नॉट स्क्रीन शार्ट अटेच हे।

यह जो पानी की कमी का रोना है, वह अपनी जगह सही है परन्तु इसे शौचालय से जोड़कर देखना सिर्फ मानसिक दिवालियेपन का प्रतीक है, और कुछ नहीं ।

आखिर पीने के लिए, नहाने के लिए, कपड़े धोने के लिए, बर्तन धोने के लिए ….. इन सब कामों के लिए भी तो पानी का इंतजाम करना ही पड़ता है और वह हम सब करते भी है चाहे खरीद कर या दूर से लाकर। फिर शौचालय के लिए क्यों नहीं किया जा सकता ? क्या गू / टट्टी खाने में कुछ ज्यादा ही स्वाद आता है ?

अगर नहाने और कपड़े धोने से बचे पानी को व्यर्थ बहने से बचा लिया जाए और इसी पानी को शौचालय में डाल दिया जाए तो शौचालय के लिए अलग से पानी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । इस व्यर्थ बहने वाले पानी की हम कभी परवाह ही नहीं करते ।

जो वार्ड मेम्बर इस तरह की बकवास करते है वे या तो स्वयं इस्तीफा दे दें या फिर प्रशासन ही उनको सस्पेंड कर देगा। शौचालय बनवाना प्रशासन पर आपका कोई अहसान नहीं है।

शहर में खुले में शौच करना गैर कानूनी है, जुर्म है, अपराध है।
नगरपालिका एक्ट में ऐसे लोगों से निपटने हेतु अनेक प्रावधान है।
ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा।

जो वार्ड मेम्बर अपने वार्ड को ODF नहीं करवा सकते उनको स्वयं ही इस्तीफा दे देना चाहिए। ऐसे अनपढ़, गंवार और जाहिल लोग पार्षद कैसे हो सकते है जो उल्टे सीधे बहाने बनाकर खुले में शौच करना मजबूरी बताते है ? ? ?
कोई मजबूरी नहीं है। सिर्फ मानसिक दिवालियापन है और ऐसे मानसिक दिवालियापन का प्रशासन के पास पूरा इलाज है।

गांवों के लोग तेजी से यह बात समझ रहे है परन्तु लगता है कि शहरी इलाके में गू / टट्टी खाने की लत ज्यादा गहरी है और कुछ पार्षद भी इस लत के शिकार है, तभी वे इस तरह की बकवास कर रहे है। प्रशासन अब चुपचाप नहीं बैठेगा और शहरों को टट्टी घर नहीं बनने दिया जाएगा।

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