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– प्रदेश में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता में होगा सुधार
– उपमुख्यमंत्री ने उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की समीक्षा बैठक ली
चंडीगढ़, 13 जनवरी : हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने नववर्ष 2023 का प्रदेश के उद्योगों को तोहफा देते हुए घोषणा की कि उत्पादों की गुणवत्ता की परख के लिए हरियाणा में 10 एनएबीएल लैब तथा क्वालिटी मार्किंग सेंटर स्थापित किये जाएंगे। उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
डिप्टी सीएम आज यहां उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनंद मोहन शरण, महानिदेशक श्री शेखर विद्यार्थी, उपमुख्यमंत्री के ओएसडी श्री कमलेश भादु समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की नीतियों को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों एवं व्यवसायों की किसानों को जानकारी दी जाए ताकि वे अपने प्रोडक्ट में वैल्यू-एड करके लाभान्वित हो सकें।
उपमुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि ‘एग्री-बिजनेस एंड फूड प्रोसेसिंग पोलिसी 2018’ के तहत कुल 57 आवेदन प्राप्त हुए जिनमें सही पाए गए 42 आवेदनों पर उनके प्रोजेक्टस को स्वीकृति दे दी गई है। इन प्रोजेक्टस में करीब 570 करोड़ रूपए का निवेश करने की प्रक्रिया है जिसमें से 120 करोड़ रूपए का अनुदान स्वीकृत किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों निर्देश दिए कि आवेदनकर्ता के प्रोजेक्टस का अध्ययन करके जल्द से जल्द उनकी सब्सिडी जारी की जाए ताकि वह समय पर अपना उत्पादन शुरू कर सके।
श्री चौटाला ने विभाग की ‘ हरियाणा इंटरप्राइजिज एंड एंप्लाइमैंट पोलिसी 2020’ , ‘ लॉजिस्टिक्स, वेयरहाऊस एंड रिटेल पॉलिसी 2019’, ‘इलैक्ट्रिक व्हीक्ल पॉलिसी 2022’ के अलावा ‘ हरियाणा एंटरप्राइजिज प्रोमोशन सैंटर’ के बारे में भी विस्तार से समीक्षा करते हुए कहा कि वर्ष 2023 में कार्य को गति प्रदान करें।
उन्होंने एमएसएमई की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि उक्त योजनाओं के तहत स्थापित किए जा रहे छोटे उद्योगों की नियमानुसार पूरी मदद करें ताकि प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
डिप्टी सीएम को जानकारी दी गई कि राज्य में इस वक्त 9 लाख 70 हजार से ज्यादा एमएसएमई हैं जिनमें से 9 लाख 53 हजार माइक्रो यूनिटस हैं। राज्य में एमएसएमई के तहत 19.06 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं जो कि प्रदेश के लिए गर्व की बात है।