“विधि आयोग का कानूनी फर्मों को लगाने से इनकार “

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नई दिल्ली :   भारत के विधि आयोग ने कहा है कि कुछ समाचार पत्रों और ई-पत्रिकाओं में विधि आयोग के कार्य में कानूनी फर्मों को लगाने संबंधी खबरें प्रकाशित हुई हैं। आयोग ने स्‍पष्‍ट किया है कि अनेक अधिवक्‍ता, रिसर्च एसोसिएट, अकादमिक संस्‍थान, लॉ स्‍कूलों की फैकल्‍टी के सदस्‍य समय-समय पर आयोग के साथ जुड़ने का अनुरोध करते हैं और कार्य से संबंधित अपना वर्किेंग पेपर प्रस्‍तुत करते हैं।

लेकिन आयोग का कहना है कि आयोग अपने अधिदेश से कार्य करता है और कार्याधिकार के पैरा 5 के अनुसार आयोग से यह आशा की जाती है कि वह प्रतिष्‍ठित विधि विश्‍वविद्यालयों/लॉ स्‍कूलों तथा नीति शोध संस्‍थानों के साथ साझेदारी का कार्य विकसित करेगा। इसको देखते हुए आयोग ऐसे संस्‍थानोंसे कोई भी अकादमिक कार्य स्‍वीकार करने के लिए तैयार रहता है, लेकिन किसी भी शोध संस्‍थान के साथ इस तरह की समझदारी का अर्थ यह नहीं कि आयोग अपने कार्यों के लिए किसी तीसरे पक्ष को लगा रहा है।

 

आयोग ने यह भी स्‍पष्‍ट किया है कि आयोग ने अपनी कोई भी परियोजना किसी को नहीं दी है। इसलिए आयोग के कर्तव्‍य निर्वहन में किसी दूसरे को लगाने से संबंधित खबर गलत और बेबुनियाद है।

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