सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 महामारी के प्रसार ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। ग्रामीण समुदायों की समस्याओं का विशेष रूप से समाधान करने की आवश्यकता है। ग्रामीण आबादी में तुलनात्मक रूप से जागरूकता की कमी के साथ-साथ गांवों में अपर्याप्त सहायता प्रणाली महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने में एक विकट स्थिति पैदा कर सकती है। इसलिए, पंचायतों/ग्रामीण स्थानीय निकायों को इस चुनौती का सामना करने और उन्हे नेतृत्व प्रदान करने के लिए उचित रूप से संवेदनशील बनाये जाने और सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता है.
उपरोक्त स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय ने पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिश पर ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए 25 राज्यों को 8,923.8 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। जारी की गई राशि मूल (अबद्ध) अनुदान की पहली किस्त है और इसका उपयोग अन्य चीजों के साथ-साथ कोविड महामारी से निपटने के लिए आवश्यक विभिन्न रोकथाम और शमन उपायों के लिए किया जा सकता है। इस मंत्रालय ने कोविड महामारी से निपटने के लिए कार्रवाई के संबंध में पंचायतों के मार्गदर्शन के लिए परामर्श भी जारी किया है. इसमें अन्य बातों के साथ-साथ आठ विभिन्न क्षेत्र शामिल किये गए हैं :
(i) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय डॉक्टरों और चिकित्सा संस्थानों आदि की सलाह के अनुसार, कोविड संक्रमण की प्रकृति और निवारक और शमन उपायों पर ग्रामीण समुदायों की जागरूकता के लिए गहन संप्रेषण अभियान पर विशेष ध्यान देते हुए झूठी धारणाओं और अंधविश्वासों को दूर करें। इस जागरूकता अभियान के लिए पृष्ठभूमि सामग्री और क्रिएटिव को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के डिजिटल रिपोजिटरी से उपयुक्त रूप से लिया जा सकता है: (https://drive.google.com/folderview?id=1bXkzSNRKF8-4KTAkYXA0J7sfVUR1eFm)। “वयस्क कोविड रोगियों के प्रबंधन के लिए नैदानिक मार्गदर्शन” पर उनका पत्रक, इस लिंक पर उपलब्ध : https://www.mohfw.gov.in/pdf/COVID19ManagementAlgorithm22042021v1.pdf, जागरूकता अभियान के लिए उपयोगी साबित होगा।
(ii) स्थानीय समुदाय से अभियान के लिए अग्रिम पंक्ति के स्वयंसेवकों को आगे लाना जैसे निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक, आशा (ASHA) कार्यकर्ता आदि।
(iii) फिंगर ऑक्सी-मीटर, एन-95 मास्क, इंफ्रारेड थर्मल स्कैनिंग उपकरण, सैनिटाइजर आदि जैसे आवश्यक सुरक्षात्मक उपकरण के साथ उपयुक्त सुविधाएं प्रदान करना।
(iv) ग्रामीण नागरिकों द्वारा उपलब्ध बुनियादी ढांचे के प्रभावी उपयोग की सुविधा के लिए वास्तविक समय के आधार पर टेस्टिंग/टीकाकरण केंद्रों, डॉक्टरों, अस्पताल के बिस्तरों आदि की उपलब्धता के बारे में जानकारी का प्रदर्शन।
(v) पंचायत कार्यालयों, स्कूलों, सामान्य सेवा केंद्रों आदि में उपलब्ध आईटी बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने के लिए ट्रैकिंग और सूचना प्रदर्शन का लाभ उठाया जा सकता है।
(vi) पंचायतों को उनके संबंधित स्थानों पर आवश्यक संस्थागत ग्राम स्तर की सुविधाएँ प्रदान करने के लिए सक्रिय करना। जहां भी संभव हो, वे घरों को होम क्वारंटाइन स्थानों के रूप में सुधार सकते हैं, जहां अधिकतम बिना लक्षण वाले कोविड सकारात्मक मामलों का प्रबंधन किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त वे जरूरतमंद और लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए विशिष्ट क्वारंटाइन/आइसोलेशन केंद्र भी स्थापित कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के परामर्श से, पात्र आबादी के अधिकतम कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए टीकाकरण अभियान की सुविधा के लिए पंचायतों को नामित किया जा सकता है।
(vii) वायरस के प्रसार के कारण उत्पन्न संकट और आजीविका की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राहत और पुनर्वास उपाय करना। इस उद्देश्य के लिए, राशन, पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता, मनरेगा रोजगार आदि के प्रावधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है ताकि ये सही लाभार्थियों तक पहुंच सकें। पंचायतों को इस तरह की राहत के वितरण में सीधे तौर पर शामिल होना चाहिए जिसमें सभी कमजोर वर्गों जैसे वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, बच्चे, अलग-अलग विकलांग आदि शामिल हों।
(viii) आस-पास के जिले और उप-जिलों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ एक उचित अंतर-संबंध स्थापित करना ताकि आपातकालीन आवश्यकताओं जैसे एम्बुलेंस, उन्नत टेस्टिंग और उपचार सुविधाएं, मल्टी-स्पेशियलिटी देखभाल आदि बिना समय की बर्बादी के जरूरतमंदों को प्रदान की जा सकें।
इसके अलावा, राज्यों को सलाह दी गई है कि पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में विभिन्न अन्य सेवा स्वयंसेवकों के सहयोग से नेतृत्व करें। इस संबंध में यदि पहले से नहीं की गई हैं, तो व्यापक शमन गतिविधियों को शुरू करके आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए ग्राम/वार्ड स्तरीय समितियां/निगरानी समितियां बनाई/सक्रिय की जा सकती हैं। पंचायतों को उपलब्ध XIV/XV वित्त आयोग अनुदानों को दिशानिर्देशों के अनुसार उपयोग करने की सलाह देने के अलावा, उनके लिए एनडीआरएफ/एसडीआरएफ से अतिरिक्त धनराशि के प्रावधान की संभावना पर भी विचार किया जा सकता है। ग्राम/वार्ड स्तरीय समितियां/निगरानी समितियां बनाई/सक्रिय की जा सकती हैं, यदि पहले से नहीं की गई हैं, तो व्यापक शमन गतिविधियों को शुरू करके आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए। पंचायतों को उपलब्ध XIV/XV FC अनुदानों को दिशानिर्देशों के अनुसार उपयोग करने की सलाह देने के अलावा, उन्हें NDRF/SDRF से अतिरिक्त धनराशि के प्रावधान की संभावना पर भी विचार किया जा सकता है।
उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया देते हुए, राज्यों ने अन्य राज्यों द्वारा उद्धृत और अनुकरण करने योग्य अभिनव उपायों सहित विभिन्न उपाय किए हैं। स्वास्थ्य प्रणाली की सहायता हेतु करने प्रत्येक ग्राम पंचायतों में एम्बुलेंस के प्रावधान की परिवहन योजना, जरूरतमंदों के लिए दो चैम्बर वाली कार और ऑटो रिक्शा, केरल के फ्रंटलाइन उपचार केंद्रों में एम्बुलेंस, गुजरात में पीआरआई द्वारा स्व-घोषित तालाबंदी, असम में राज्य के बाहर से और राज्य के भीतर से पंचायतों में आने वाले वापसी प्रवासियों को पकड़ने के लिए प्रवासी डेटाबेस बनाना और ई-संजीवनी ओपीडी चलाना, हिमाचल प्रदेश द्वारा बीमार लोगों के लिए मुफ्त ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श काबिले तारीफ है। 19 राज्यों द्वारा कोविड-19 की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिए 13.05.2021 को पंचयाती राज मंत्रालय को सूचित और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संकलित किये गये प्रमुख प्रयास अनुलग्नकमें दिए गए है।
पंचायती राज मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा की है और आगे 12.05.2021 को प्रत्येक राज्य को लिखा है कि ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए और कदम उठाए जा जाएं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 16.05.2021 को जारी, वेब लिंक: https://www.mohfw.gov.in/pdf/SOPonCOVID19Containment&ManagementinPeriurbanRural&ribalareas.pdf, पर उपलब्ध शहरों की सीमा से लगे क्षेत्रों (पेरी–अर्बन), ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के संक्रमण की रोकथाम और प्रबन्धन के विषय में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ इस अनुरोध के साथ साझा की गई है कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का स्थानीय भाषा में अनुवाद करवाकर एसओपी को जमीनी स्तर तक पहुँचाने के लिए सभी संबद्ध हितधारकों / अधिकारियों को उपलब्ध कराएं।