युवाओं के पराक्रम व परिश्रम से नए भारत का होगा निर्माण : मोहित ग्रोवर

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गुरुग्राम:  स्वामी विवेकानंद की जयंती व लोहड़ी के उपलक्ष्य में गुरुग्राम के युवा नेता मोहित मदनलाल ग्रोवर ने गुरुग्राम वासियों को बधाई दी और सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रीय युवा दिवस पर सन्देश जारी किया। उन्होंने अपने सन्देश में कहा कि स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने पूरे विश्व के नौजवानों को अपने विचारो से प्रेरित किया व अपना पूरा जीवन ही समाज, राष्ट्र व विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी जी ने हर पल नौजवानों को प्रेरित किया ताकि हम सभी अपने राष्ट्र के लिए कुछ न कुछ जरुर करें। मोहित ग्रोवर ने कहा कि आज स्वामी जी हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके विचार, उनके आदर्श, उनके द्वारा मानवता को दिखाए गये रास्ते आज भी हमारे बीच जीवित हैं और हम सभी को प्रेरित करते हैं।


मोहित ग्रोवर ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आज प्रत्येक नौजवान को यह समझने की आवश्यता है कि इस राष्ट्र की भाग्य विधाता कोई सरकार, कोई दल नहीं हैं और न ही कोई नेता बल्कि इस राष्ट्र का भाग्य विधाता इस देश का नौजवान है। हमारे ही परिश्रम और हमारे ही प्रयत्नों पर भव्य भारत का निर्माण होने वाला है। उन्होंने देश के महान शहीदों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन पर हम सबको गर्व है; भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव ये नौजवान ही तो थे, जिन्होंने जवानी में ही अपना जीवन माँ भारती के चरणों में समर्पित कर दिया। आज भी चाहे युद्ध का क्षेत्र हो, तकनीक या विज्ञान का क्षेत्र हो या खेल का मैदान हो, हर क्षेत्र में देश का नौजवान पूरे विश्व को अपने पराक्रम का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी नौजवानों को उन सबसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन को समाज व राष्ट्र कल्याण के लिए समर्पित करना है और यही समर्पण स्वामी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

हर नागरिक, हर वर्ग खुश हो यही है सच्ची लोहड़ी

मोहित मदनलाल ग्रोवर गुरुग्राम वासियों को लोहड़ी व मकर सक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश में सभी त्योहार, सभी धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर मनाते हैं। लोहड़ी व मकर संक्रांति का पर्व भी आपस में मेलजोल को मजबूत करता है। इसलिए इस लोहड़ी पर ईश्वर से प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक वर्ग की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने कहा कि हमें हर त्योहार में जरूरतमंदों की सहायता के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने “दरिद्रः देवो भवः” का जिक्र करते हुए कहा कि गरीब, दरिद्रः ये सब परमात्मा का रूप हैं हम सभी को इन गरीबो की परमात्मा समझ कर ही सेवा करनी चाहिए। जन की सेवा ही प्रभु की सेवा होती है।

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