कोर्ट ने एक आईएएस, दो एचसीएस सहित 10 के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

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 मामला सैक्टर 56 में अस्पताल साईट आवंटन का
आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर अदालत ने दिए आदेश
तत्कालीन हुडा प्रशासक व 2 संपदाधिकारियों सहित 10 के खिलाफ होगा मुकदमा दर्ज

गुडग़ांव, 17 फरवरी : आरटीआई कार्यकर्ता हरिंद्र ढींगरा की सैक्टर 56 स्थित अस्पताल के लिए हुडा द्वारा आवंटित किए गए प्लाट में अनियमितताएं बरतने की सीआरपीसी की धारा 156 (3) की एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए सोमवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कम स्पेशल जज ए के मेहता की अदालत ने तत्कालीन हुडा प्रशासक व 2 संपदा अधिकारियों सहित 10 लोगों के खिलाफ भादंस की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत सैक्टर 14 थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने व मामले की
जांच के आदेश दिए हैं और अदालत ने यह आदेश भी दिए हैं कि एफआईआर दर्ज कर इसकी सूचना अदालत को भी दी जाए।

आरटीआई कार्यकर्ता के अधिवक्ता बलदेव सिंह मेहरा व अमित ढुल से प्राप्त जानकारी के अनुसार डा. प्रभा मनचंदा को सैक्टर 56 में 6744.825 स्क्वायर मीटर प्लाट को वर्ष 1997 की 16 जुलाई को हुडा ने आवंटित किया था और इसी वर्ष 12 अगस्त को प्लाट का कब्जा भी दे
दिया गया था। हुडा की शर्त यह थी कि प्लाट पर निश्चित समयसीमा में निर्माण करना है, अन्यथा आवंटी पर भारी जुर्माना भी लगेगा, लेकिन डा. प्रभा ने हुडा के नियमों का पालन न करते हुए संजीवनी हैल्थकेयर नामक संस्था को न केवल अपने शेयर ट्रांसफर कर दिए, अपितु कन्वेंश डीड भी वर्ष 2006 की 8 नवम्बर को एक करोड़ 37 लाख 21 हजार 16 रुपए में करा दी। जबकि डा. प्रभा ने हुडा से यह प्लाट मात्र 71 लाख 65 हजार 620 रुपए में खरीदा था। प्लाट पर वर्ष 2014 की 7 मई तक कोई निर्माण नहीं किया गया।

प्लाट धारकों ने इस बीच आरोप भी लगाए कि प्लाट की पैमाइश ठीक नहीं है। अधिवक्ताओं का कहना है कि प्लाट पर निर्माण न होने के कारण करीब 31 करोड़ की पैनल्टी बनती थी, लेकिन तत्कालीन हुडा प्रशासक अनीता यादव व संपदा अधिकारियों ने कोई समुचित कार्यवाही नहीं की, जिसका लाभ आरोपियों को हुआ। आरटीआई कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में 10 लोगों के नाम अंकित किए थे, जिसमें डा. प्रभा, संजीवनी हैल्थकेयर, संजीव कुमार, महेंद्र चावला, मीना चावला, गुंजन खेमका, गोपाल खेमका व तत्कालीन हुडा प्रशासक अनीता यादव,
संपदा अधिकारी विवेक कालिया तथा तरुण पावरिया शामिल हैं। शिकायतकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि उक्त आरोपियों के खिलाफ आपराधिक धाराओं तथा भ्रष्टाचार अधिनियम तहत मामला दर्ज कराकर जांच कराई जाए और दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

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