नई दिल्ली। अब तक दोनों दलों के नेताओं में से किसी ने भी खबर की पुष्टि नहीं की है लेकिन चर्चा जोरों पर है कि अब एनसीपी का कांग्रेस में विलय समय की मांग है। इस विलय का समर्थन करने वाले नेता दोनों दलों में हैं। लेकिन आलाकमान का रुख स्पष्ट नहीं है। लिहाजा सबके मुंह सिले हुए हैं। दोनों नेताओं की दिल्ली में मुलाकात हुई है।
हालांकि शरद पवार ने इस पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात में महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में राहुल गांधी के साथ विश्लेषणात्मक चर्चा हुई। राज्य में सूखे के संबंध में भी विस्तृत चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है, इसलिए इस्तीफा देने का कोई अन्य विकल्प नहीं है।
इस तथाकथित विलय के पक्ष में जो नेता हैं वो सूत्रों के मुताबिक ये दलील दी रहे हैं कि विलय होने पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद दे दिया जाए, जो अब तक कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आजाद के पास है। वहीं लोकसभा में एनसीपी के 5 सांसदों के विलय से कांग्रेस सदस्यों की संख्या भी बढ़कर 57 हो जाएगी और उसको विपक्ष के नेता का पद भी मिल जाएगा।