चार वर्षों के कार्यकाल में राज सत्ता को जनसेवा बनाकर नई राजनीतिक संस्कृति सृजत की : मनोहर लाल

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चण्डीगढ़, 31 अक्तूबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज सत्ता को जनसेवा बनाकर प्रदेश में एक नई राजनीतिक संस्कृति सृजत की है। व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से 350 से अधिक सेवाएं ऑनलाईन कर सामान्य व्यक्ति की सरकारी कार्यालयों में बार-बार चक्कर काटने की समस्या का समाधान कर दिशा ठीक की है। जनता की भलाई को गरीब व दुखी व्यक्ति को न्याय व उनका सुखी जीवन बनाने के लिए वकीलों को भी मन भावना से कार्य करना चाहिए।
मुख्यमंत्री आज सिरसा में आयोजित एक कार्यक्रम में अधिवक्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यपालिका कानून व नीति बनाता है, परंतु प्रशासन के माध्यम से न्यायालय इनके क्रियान्वयन में संविधान की मर्यादाओं के तहत अपने निर्णय देते हैं। कई मामलों में कानून साईलेंट होने के बावजूद भी कोर्टों द्वारा प्राकृतिक निर्णय दिए जाते हैं, जो केस पर निर्भर होते हैं। वकीलों को पीडि़त व्यक्ति की आर्थिक स्थिति देखकर भी कभी-कभी अपने पेशे से हटकर परोपकारी होकर सेवाभावना से उसकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने अंतोदय की भावना से अंतिम व्यक्ति का उत्थान करने की मुहिम पिछले चार वर्षों से चलाई हुई है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने मुख्यमंत्री का समारोह में पहुंचने के लिए उनका आभार व्यक्त किया और बार एसोसिएशन की समस्याओं का एक मांग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा। अध्यक्ष ने कहा कि जिंदगी में ईमानदारी का कोई मुकाबला नहीं है। मेहनत से किये गए कर्म का फल अवश्य मिलता है जैसेकि मनोहर लाल जी को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की सेवा करने का फल मिला है और मुख्यमंत्री बेहतर तरीके से जनसेवा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने उनकी मांग पर बार रूम हाल का विस्तारीकरण के लिए उपायुक्त को तत्काल आदेश दिए। इसी प्रकार उन्होंने ई-लाईब्रेरी के लिए दो लाख रुपये, पार्किंग स्थल पक्का करने, न्यायिक परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगवाने, विश्वविद्यालय की डिस्पैंसरी में चिकित्सा सुविधा बार कांउसिल के सदस्यों के लिए उपलब्ध करवाने या कोई अन्य व्यवस्था करने की भी घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने स्वैच्छिक कोष से 21 लाख रुपये का अनुदान बार एसोसिएशन को देने की घोषणा की।

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