टोबेको फ्री हरियाणा के लिए ‘प्लेज फॉर लाइफ’ कैंपेन
गुरुग्राम । पुलिस, शिक्षा विभाग के साथ प्रशासन यदि पूरी दृढ़ता से केाटपा और जेजे एक्ट की पालना को सुनिश्चिित कराए तो तंबाकू की बिक्री व सेवन पर अंकुश संभव है। इस कार्य में मीडिया की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यह बात सोमवार को एक होटल में संबंध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ), टाटा ट्रस्ट, फोर्टिस फांउडेशन, वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम (वीओटीवी) की ओर से ‘टोबेको फ्री हरियाणा’ अभियान के तहत आयोजित मीडिया वर्कशॉप में उभर कर सामने आयी। गुरुग्राम पुलिस ने हरियाणा में पहला जेजे एक्ट का केस दर्ज किया, पुलिस के इस कार्य को सभी ने सराहा।
वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम (वीओटीवी) के स्टेट पैटर्न कैंसर विशेषज्ञ डॉ. वेदांत काबरा ने कहा कि बच्चेां को इस प्रकार के नशों से बचाने के लिए ठोस रणनीति बनाने की जरुरत है। तंबाकू से होनी वाली बीमारियों पर 1,04,500 करोड़ रुपये का खर्च प्रतिवर्ष हो रहा है। तबांकू का प्रभाव उपपायेागकर्ता के पूरे शरीर पर होता है साथ ही इसका प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। उन्हेाने कहा कि सभी को इस बुरी लत से बच्चों को बचाया जा सकता है, बशर्ते मीडिया अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पुलिस-प्रशासन को इसके दुष्प्रभावों को इंगित करे।
तंबाकू में हजारों तरह के हानिकारक तत्व होते हैं, इसके बावजूद इस पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने को लेकर पॉलिसी मेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार पर देश में सालाना एक लाख चार हजार 500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। उन्होंने धुम्रपान के दुष्प्रभाव बताते हुए कहा कि इससे पैरों की बीमारी होती है जिससे कई बार रोगी का रोगग्रस्त पैर ही काटना पड़ता है। तम्बाकू व धुम्रपान से शारीरिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही भूमि व पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ता है। जिस भूमि में तम्बाकू की खेती होती है उसमें अन्य किसी भी प्रकार की फसल नहीं हो पाती है।
संबंध हैल्थ फाउंडेशन(एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने ‘एमपावर’ व कोटपा एक्ट-2003 के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि जेजे एक्ट व कोटपा एक्ट की यदि प्रभावी रूप से अनुपालना हो जाए तो तम्बाकू के सेवनकर्ताओं में कमी लायी जा सकती है। इसके लिए पुलिस, प्रशासन, शिक्षा व हैल्थ विभाग को अपनी जिम्मेदारी पूरी संजीदगी से निभानी होगी। आशिमा सरीन ने वीओटीवी की कार्ययोजना के बारे में बताया। इस दौरान तम्बाकू के सेवन से कैंसर से ग्रसित हो चुके पीड़ितों ने अपनी पीड़ा साझा की।
वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम (वीओटीवी) की डायरेक्टर आशिमा सरीन ने तंबाकू के दुष्प्रभावों से हमारी भावी पीढ़ी को बचाने के लिए प्लेज फाॅर लाईफ कैंपेन के बारे में जानकारी दी। तम्बाकू जनित रोगों से भारत में हर साल करीब साढ़े 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। देश में 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जो कि बेहद चिंताजनक बात है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि देश में हर रोज करीब 5500 बच्चे किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करना शुरू करते हैं, जबकि उनमें से केवल 3 फीसदी ही इसे छोड़ पाते हैं। इससे बचने के लिए इस अभियान के तहत शिक्षण संस्थाअेंा को तंबाकू मुक्त बना कर युवाअेां को इससे बचाया जा सकता है।
फैक्ट फाइल
हरियाणा में 47 लाख तंबाकू यूजर, 28 हजार की सालाना मौत
संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के डा.सोमिल रस्तौगी ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबेका सर्वे (गेट्स) 2016-17 के मुताबिक हरियाणा प्रदेश में 23.6 प्रतिशत (करीब 46.84 लाख, उम्र 15 वर्ष से अधिक ) लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं। इनमें से 39 लाख (19.7 प्रतिशत) लोग धु्रमपान का सेवन करते हैं। प्रदेश में 15.5 प्रतिशत बीड़ी, 7.6 प्रतिशत हुक्का और 2.6 प्रतिशत सिगरेट का सेवन करने वाले शामिल है। प्रदेश में 15 से 17 वर्ष में तंबाकू सेवन करने वाले 4 प्रतिशत उपयोगकर्ता बढ़े है। धूम्रपान की वजह से नोन-स्मोकर पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। गंभीर चिंतन का विषय ये है कि इनमें से 10 फीसदी लोग वे हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन बीड़ी-सिगरेट पीने वाले के संपर्क में रहने के कारण रोगग्रस्त होकर मौत का शिकार हो जाते हैं।
तंबाकू जनित पदार्थों के उपयोग से कैंसर सहित विभिन्न तरह की बीमारियों से ग्रसित होने के कारण प्रदेश में सालाना अनुमानित 28 हजार लोगों की मौत हो जाती है। वहीं, लगभग 116 बच्चे रोजाना तम्बाकू पदार्थों का सेवन शुरु करते हैं। यदि देश व विश्व के संदर्भ में बात करें तो भारत में 13 लाख 50 हजार लोगों की तम्बाकू से होने वाले कैंसर से मौत होती है, जबकि विश्व में सालाना छह मिलियन लोगों की इस बीमारी से मौत हो जाती है।
‘प्लेज फॉर लाइफ’ कैंपेन
बच्चों को तम्बाकू की लत से बचाने के लिए ‘प्लेज फॉर लाइफ’ कैंपेन के माध्यम से देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को तम्बाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देकर उनसे भविष्य में किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का सेवन न करने की शपथ दिलाई जाएगी।