अटलजी ने लखनऊ को देश के शहरी जीवन के सुधार की प्रयोगशाला बनाया था : नरेंद्र मोदी

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“शहरी लैंडस्केप ट्रांसफॉर्मिंग” समारोह का प्रधानमंत्री ने किया उद्घटान

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लखनऊ में शहरी लैंड स्कैप ट्रांस्फोर्मिंग समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश से मैं सांसद हूं और इसलिए सबसे पहले तो उत्‍तर प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में मैं आप सबका हृदय से स्‍वागत करता हूं। देश के अलग-अलग कोने से आप पधारे हैं, मुझे विश्‍वास है कि आपने इस ऐतिहासिक नगरी का, उसके आतिथ्‍य का और लखनवी लहजे का भी आनंद लिया होगा। साथियो, आप सभी इसी बदलाव को अंगीकार करने वाले, जमीन पर चीजों को उतारने वाली टोली हैं। मेयर हो, कमीश्‍नर हो या फिर CEO हो; आप देश के उन शहरों के प्रति‍निधि हैं जो नई सदी, नए भारत और नई जेनरेशन की आशा और आकांक्षाओं के भी प्रतीक हैं। बीते तीन वर्षों से आप करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने में कंधे से कंधा मिला करके हमारे साथ जुटे हैं।

उन्होंने बताया कि कुछ देर पहले मुझे यहां जो प्रदर्शनी लगी, उसे देखने का अवसर मिला। वहां देशभर में चल रहे प्रोजेक्‍टस के बारे में जानकारी दी गई। Smart City Mission में बेहतरीन काम करने वाले कुछ शहरों को पुरस्‍कृत भी किया गया है। इसके अलावा कुछ भाई-बहनों और बेटियों को उनके अपने मकान की चाबियां भी सौंपी गईं और चाबियां मिलने पर जो चमक उनके चेहरे पर थी, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का जो आत्‍मविश्‍वास उनकी आंखों से झलक रहा था, वो हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है।

उनका कहना था कि ऐसे अनेक लाभार्थियों से यहां मंच पर आने से पहले मुझे बातचीत करने का मौका मिला। देश के गरीब, बेघर भाई-बहनों के जीवन को बदलने का ये अवसर और बदलते हुए देखना; ये सचमुच में जीवन में एक बहुत बड़ा संतोष देने वाला अनुभव है। जिन शहरों को पुरस्‍कार मिले हैं, उन शहरों के हर नागरिक को और जिनको अपना घर मिला है, उन सभी परिवारजनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई है, बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

लेकिन आप लोगों ने मार्क किया होगा जब मैं अवार्ड दे रहा था, सब लोग आ रहे थे, मार्क नहीं किया होगा; सिर्फ दो ही पुरुष मेयर हैं बाकी सारी महिला मेयरे हैं। हमारी बहनों ने जिस जीवट के साथ इस काम को किया है जरा तालियां उन बहनों के लिए।

मोदी ने कहा कि शहर के गरीब, बेघर को पक्‍का घर देने का अभियान हो, सौ स्‍मार्ट सिटी का काम हो या फिर 500 AMRUT Cities हों; करोड़ों देशवासियों को जीवन को सरल, सुगम और सुरक्षित बनाने का हमारा संकल्‍प हर तीन साल बाद और अधिक मजबूत हुआ है। आज भी यहां उत्‍तर प्रदेश के शहरों को स्‍मार्ट बनाने वाली अनेक योजनाओं का शिलान्‍यास किया गया है और मुझे बताया गया है कि स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत देशभर में लगभग सात हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की योजनाओं पर काम पूरा हो चुका है और 52 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की योजनाओं पर काम तेज गति से चल रहा है। इस मिशन का लक्ष्‍य है शहरों में रहने वाले गरीब, निम्‍न-मध्‍यम वर्ग और मध्‍यम वर्ग के लोगों के जीवन को आसान बनाना, उन्‍हें बेहतर नागरिक सुविधाएं देना। स्‍मार्ट सिटी में इन सुविधाओं को देने के लिए integrated command centers; ये उनकी आत्‍मा की तरह है; यहीं से पूरे शहर की व्‍यवस्‍थाओं का संचालन होना है, शहर की गतिविधियों पर नजर रखी जानी है।

उन्होंने कहा कि मिशन के तहत चयनित 100 शहरों में से 11 शहरों में integrated command and control centers ने काम करना शुरू कर दिया है और अगले कुछ महीनों में ही 50 और शहरों में ये काम पूरा करने का प्रयास चल रहा है। ये प्रयास परिणाम भी देने लगे हैं और मुझे बताया गया है कि गुजरात में राजकोट शहर में इस टेक्‍नोलॉजी की व्‍यवस्‍था से जो कुछ परिस्थिति बदली है, पिछली दो quarter में क्राइम रेट में काफी बड़ी मात्रा में कमी आई है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी की वजह से गंदगी फैलाने और सार्वजनिक जगह पर कू़ड़ा जलाने जैसी कई प्रवृत्तियों में भी इसके कारण कमी आई है।

भोपाल में प्रॉपर्टी टैक्‍स कलेक्‍शन में इसके कारण वृद्धि देखी गई है। अहमदाबाद में बीआरटीएस कॉरिडोर- उसमें फ्री वाई-फाई से बसों में आने-जाने वालों की संख्‍या अपने-आप बढ़ने लगी है। विशापत्‍तनम में सीसीटीवी और जीपीएस से बसों को online track किया जा रहा है। पुणे में लगभग सवा सौ जगहों परemergency call bells लगाए गए हैं] जहां एक बटन दबाने भर से ही नजदीकी पुलिस स्‍टेशन को सूचना मिल जाती है। ऐसी अनेक व्‍यवस्‍थाएं आज काम करना शुरू कर चुकी हैं। बहुत जल्‍द ही स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत उत्‍तर प्रदेश के आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, अलीगढ़, वाराणसी, झांसी, बरेली, सहारनपुर, मुरादाबाद और ये हमारा लखनऊ; इसमें भी ऐसी सुविधाएं, आपको उसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।

transforming the landscape of Urban India का हमारा मिशन और लखनऊ का बड़ा नजदीकी रिश्‍ता है। लखनऊ शहर देश के शहरी जीवन को नई दिशा देने वाले महापुरुष श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी की कर्मभूमि रही है। हमारे प्रेरणा स्रोत और देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का ये लम्‍बे समय तक संसदीय क्षेत्र रहा है। आजकल अटल जी की तबियत ठीक नहीं है। उनके जल्‍द स्‍वस्‍थ होने की कामना पूरा देश कर रहा है। लेकिन अटलजी ने जो बीड़ा उठाया था उसको एक अलग बुलंदी देने की तरफ हमारी सरकार, करोड़ों हिन्‍दुस्‍तानी तेज गति से उसके साथ जुड़ करके आगे बढ़ रहे हैं।

उनका कहना था कि अटलजी ने एक प्रकार से लखनऊ को देश के शहरी जीवन के सुधार की प्रयोगशाला बनाया था। आज आप यहां लखनऊ में जो flyover, bio technology park, scientific convention centers, ये जो आ देख रहे हैं, ये लखनऊ के इर्द-गिर्द लगभग 1000 गांवों को लखनऊ से जोड़ने वाली जो सड़कें देख रहे हैं। ऐसे तमाम काम लखनऊ में उनके एमपी के रूप में, उनका जो vision था; उसका परिणाम है। आज देश के 12 शहरों में मेट्रो या तो चल रही है या फिर जल्‍द शुरू होने वाली है। यहां लखनऊ में भी मेट्रो के विस्‍तार का काम चल रहा है। Urban transport में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाली इस व्‍यवस्‍था को सबसे पहले दिल्‍ली में जमीन पर उतारने का काम भी अटल बिहार वाजपेयी जी ने किया था। दिल्‍ली मेट्रो की सफलता आज पूरे देश में दोहराई जा रही है।

अटलजी कहा करते थे कि बिना पुराने को संवारे नया भी नहीं संवरेगा। ये बात उन्‍होंने पुराने और नए लखनऊ के संदर्भ में कही थी। यही आज के हमारे AMRUT और उसका नाम भी अटलजी से जुड़ा हुआ है; ये ‘अमृत’ जो हम कह रहे हैं- ‘अमृत योजना’- उसका पूरा शब्‍द है Atal Mission for rejuvenation and urban transformation, और स्‍मार्ट सिटी मिशन के लिए ये हमारी प्रेरणा है।

इसी सोच के साथ अनेक शहरों में दशकों पुरानी व्‍यवस्‍थाओं को सुधारा जा रहा है। इन शहरों में सीवरेज की व्‍यवस्‍था, पीने के पानी की व्‍यवस्‍था, स्‍ट्रीट लाइट में सुधार, झील, तालाब और पार्कों के सौन्‍दर्यीकरण की व्‍यवस्‍था, इसको बल दिया जा रहा है।

शहर की झुग्गियों में खुले में जीवन बसर करने वाले गरीब, बेघर भाई-बहनों को उनका अपना घर देने की योजना आज चल रही है, इसकी शुरूआत भी अटलजी ने ही की थी। साल 2001 में बाल्मिकी-अम्‍बेडकर आवास योजना देशभर में अटलजी ने प्रारंभ की थी। यहीं, लखनऊ में ही इस योजना के तहत करीब 10 हजार भाई-बहनों को अपना मकान मिला था। आज जो योजनाएं चल रही हैं, उसके मूल में भावना वही है, लेकिन हमने speed, scale और quality of living को हम एक अलग स्‍तर पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार 2022 तक हर सिर पर छत देने का प्रयास कर रही है। जब आजादी के 75 साल हों, तब हिन्‍दुसतान में कोई परिवार ऐसा न हो, जिसका अपना घर न हो।

इसी लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए बीते तीन वर्षों में शहरी इलाकों में 54 लाख मकान स्‍वीकृत किए जा चुके हैं। सिर्फ शहरों में ही नहीं, गांवों में भी एक करोड़ से अधिक मकान जनता को सौंपे जा चुके हैं। आज जो मकान बन रहे हैं उनमें शौचालय भी है, सौभाग्‍य योजना के तहत बिजली भी है, उजाला के तहत एलईडी बल्‍ब भी लगा है; यानी एक पूरा पैकेज उनको मिल रहा है। इन घरों के लिए सरकार ब्‍याज में राहत तो दे ही रही है, पहले के मुकाबले अब घरों का एरिया भी बढ़ा दिया गया है।

सा‍थियो, ये जो मकान दिए जा रहे हैं, ये सिर्फ गरीब बेघर के सिर पर छत ही नहीं है बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का ये जीता-जागता सबूत है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो भी मकान दिए जा रहे हैं, माताओं और बहनों के नाम पर दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत करीब 87 लाख मकानों की रजिस्‍ट्री महिलाओं के नाम पर या फिर साझेदारी में की जा चुकी है। वरना हमारी सामाजिक व्‍यवस्‍था कैसी रही- किसी भी परिवार में जाइए, जमीन किसके नाम पर- पति के नाम पर, पिता के नाम पर, बेटे के नाम पर। घर किसके नाम पर- पति के नाम पर, बेटे के नाम पर। स्‍कूटर लाया किसके नाम पर- बेटे के नाम पर; उस महिला के नाम पर कुछ नहीं है।

स्थिति को हमने बदला है। और पहले वो हमारे यहां तो कहा भी जाता था- अब गली से गुजरने वाले से ये नहीं पूछेंगे कि फलां मकान का मालिक कौन है बल्कि ये पूछेंगे कि इस मकान की मालकिन कौन है? ये बदलाव समाज की सोच में आने वाला है।

मैं योगीजी और उनकी सरकार को बधाई देता हूं कि वो गरीब के जीवन स्‍तर को ऊपर उठाने वाली इस योजना को तेज गति से आगे बढ़ा रहे हैं। वरना मुझे इससे पहले की सरकार का भी अनुभव है। 2014 के बाद योगीजी आने तक वो दिन कैसे रहे हैं, मैं भलीभांति जानता हूं और मैं जनता को बार-बार याद दिलाता हूं। गरीबों के घर के लिए कैसे हमें केंद्र से बार-बार चिट्ठियां लिखनी पड़ती थीं, जब भी मिलना हो तो बात करनी पड़ती थी- अरे भाई कुछ करो, हम पैसे देने को तैयार हैं। उनको आग्रह करना पड़ता था। लेकिन वो सरकारें ही ऐसी थीं, वो लोग भी ऐसे ही थे। वो अपनी कार्य-परम्‍परा को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं होते थे। उन्‍हें तो one point programme था, अपने बंगले को सजाना-संवारना। अब उसमें फुरसत मिले तभी तो गरीब का घर बनेगा ना।

आज एक और बात कहना चाहता हूं, और उत्‍तर प्रदेश ने मुझे सांसद बनाया है तो ये बात मुझे उत्‍तर प्रदेश के लोगों से तो शेयर करनी चाहिए क्‍योंकि आपका हक बनता है। आपने सुना होगा इन दिनों मुझ पर एक इल्‍जाम लगाया गया है। और इल्‍जाम ये है कि मैं चौकीदार नहीं हूं, मैं भागीदार हूं।

लेकिन मेरे उत्‍तर प्रदेश के भाइयो-बहनों और मेरे देशवासियों, मैं इस इल्‍जाम को ईनाम मानता हूं और मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं। मैं देश के गरीबों के दुख का भागीदार हूं, मैं मेहनतकश मजदूरों का भागीदार हूं, मैं हर दुखियारी मां की तकलीफों का भागीदार हूं। मैं भागीदार हूं उस मां की पीड़ा का जो इधर-उधर से लकड़ी और गोबर बीनकर चूल्‍हे के धुंए में अपनी आंखों और सेहत को खराब करती है। मैं उस हर मां का चूल्‍हा बदल देना चाहता हूं।

मैं भागीदार हूं उस किसान के दर्द का जिसकी फसल सूखे में या पानी में बर्बाद हो जाती है और वो हताश हो जाता है। मैं उस किसान की आर्थिक सुरक्षा करने का भागीदार हूं।

मैं भागीदार हूं अपने उन बहादुर जवानों के उस जुनून का जो सियाचिन और कारगिल की हड्डी गला देने वाली ठंड से ले करके जैसलमेर और कच्‍छ की चमड़ी झुलसाने वाले तपते रेगिस्‍तान में हमारी सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ न्‍यौच्‍छावर करने को तैयार रहते हैं।

मैं भागीदार हूं उस गरीब परिवार की पीड़ा का जो अपने घर में बीमार पड़े व्‍यक्ति का इलाज कराने में अपनी जमीन तक बेचने को मजबूर हो जाता है। मैं उस परिवार के लिए सोचता हूं और उसकी सेवा के लिए काम करता हूं।

मैं भागीदार हूं, मैं भागीदार हूं उस कोशिश का जो इसलिए है कि गरीबों के सिर पर छत हो, उन्‍हें घर मिले, उस घर में उन्‍हें शौचालय मिले, पीने के लिए साफ पानी मिले, बिजली मिले। उन्‍हें बीमार होने पर सस्‍ती दवाइयां और इलाज मिले, बच्‍चों को शिक्षा मिलें।

मैं भागीदार हूं, उस कोशिश को जिससे हमारे युवाओं को हुनर मिले, नौकरियां मिलें, अपना रोजगार करने में मदद मिले। हमारे हवाई चप्‍पल पहनने वाले साधारण नागरिक को हवाई यात्रा की सुविधा मिले, ये मैं देखना चाहता हूं।

मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं, जैसा कि मुझे गर्व है कि मैं एक गरीब मां का बेटा हूं। गरीबी ने मुझे ईमानदारी और हिम्‍मत दी है। गरीबी की मार ने मुझे जिंदगी जीना सिखाया है। मैंने गरीबी की मार को झेला है, गरीब का दुख-दर्द मैंने करीब से देखा है। हमारे यहां कहा जाता है- ‘जिसके पांव न फटी बिवाई, सो क्‍या जाने पीर पराई।‘ जिसने भोगा है वही तकलीफ जानता है और तकलीफ का जमीन से जुड़ा समाधान जानता है।

इससे पहले मुझ पर यह भी इल्‍जाम लगाया गया था कि मैं चायवाला, मैं अपने देश का प्रधान सेवक कैसे हो सकता हूं? लेकिन ये निर्णय वो लोग नहीं ले सकते हैं, ये निर्णय देश की सवा सौ करोड़ की जनता लेगी। साथियो, भागीदारी को अपमानित करने वाले, यही सोच आज के हमारे शहरों की समस्‍याओं की जड़ में भी उसी सोच के नतीजे हैं, उसी की बू आ रही है।

स्‍मार्ट सिटी के लिए हमारे पास प्रेरणाएं भी थीं और पुरुषार्थ करने वाले लोग भी थे। आज खुदाई में मिलने वाले पुराने शहर उदाहरण हैं कि किस प्रकार हमारे पूर्वज शहरों की रचना करते थे। किस प्रकार से उस जमाने में, सदियों पहले, एक प्रकार की उस युग की स्‍मार्ट सिटी के पेरोकार भी रहे हैं और शिल्‍पकार भी रहे हैं। लेकिन राजनीति की इच्‍छाशक्ति और सम्‍पूर्णता की सोच के अभाव ने एक बड़ा नुकसान किया।

आजादी के बाद जब नए सिरे से राष्‍ट्र निर्माण का दायित्‍व हमारे कंधे पर था, जब जनसंख्‍या का उतना दबाव भी नहीं था; तब हमारे शहरों को भविष्‍य की आवश्‍यकताओं के हिसाब से बसाने का एक बहुत बड़ा अवसर था। आज जितनी दिक्‍कतें उस समय नहीं थीं, अगर उसी समय प्‍लान-वे में काम किया होता तो आज जो मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं, वो नहीं झेलनी पड़तीं। लेकिन बेतरतीब तरीके से शहरों को जो जहां जिसको फैलना था फैलने दिया गया। जाओ, देखो, मेरा घर भरो, तुम अपना कहीं जाओ। एक प्रकार से कंक्रीट का एक जंगल विकसित होने दिया गया। इसका परिणाम आज हिन्‍दुस्‍तान का हर शहर भुगत रहा है।

साथियो, एक पूरी पीढ़ी इन अव्‍यवस्‍थाओं से जूझते हुए निकल गई और कहीं-कहीं तो दो-दो, तीन-तीन पीढ़ियां निकल गईं और दूसरी इसके कटु अनुभवों का बोझ ले करके चल रही है। और जानकार लोंगों की उम्‍मीद है और वो जाता रहे हैं कि आज लगभग साढ़े सात प्रतिशत की रफ्तार से विकसित होता भारत आने वाले वर्षों में और तेजी से आगे बढ़ने वाला है। ऐसे में देश का वो हिस्‍सा जिसकी जीडीपी में 65 प्रतिशत से अधिक की हिस्‍सेदारी है, जो एक प्रकार से ग्रोथ का इंजन है, वो अगर अव्‍यवस्थित रहें तो हमारी कैसी रुकावटें खड़ी होंगी ये हम अंदाज लगा सकते हैं और इसलिए इन व्‍यवस्‍थाओं को व्‍यवस्थित करना अनिवार्य है।

लटकते तार, गंदा पानी उगलते सीवर, घंटों तक लगते ट्रैफिक जाम; ऐसी तमाम अव्‍यवस्‍थाएं 21वीं सदी के भारत का परिभाषित नहीं कर सकतीं। इसी सोच के साथ तीन वर्ष पहले इस मिशन की नींव रखी गई थी। देश के 100 शहरों को इसके लिए चुना गया और तय किया गया कि दो लाख करोड़ से अधिक के निवेश से इन्‍हें विकसित किया गया जाएगा। विकास भी ऐसा कि जहां शरीर नया हो लेकिन आत्‍मा वही हो, संस्‍कृति जहां की पहचान होगी; स्‍मार्टनेस, ये उसकी जिंदगी होगी। ऐसे जीवंत शहर विकसित करने की तरफ हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों, हमारी सरकार के लिए स्‍मार्ट सिटी सिर्फ एक प्रोजेक्‍ट नहीं है बल्कि हमारे लिए एक मिशन है।Mission to transformation, mission to transform, mission to transform the nation, ये मिशन हमारे शहरों को न्‍यू इंडिया की नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा। 21वीं सदी के भारत में विश्‍वस्‍तरीयintelligent urban centers खड़ा करेगा। ये देश के उस युवा की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्‍व करते हैं जो सिर्फ बेहतर नहीं बल्कि बेस्‍ट चाहते हैं। ये हमारी जिम्‍मेदारी है, ये हमारी प्रतिबद्धता है कि इसी जेनेरेशन के लिए भविष्‍य की व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो। यहां जीवन Five E पर आधारित हो और Five E यानी Ease of living, Education, Employment, Economy and Entertainment.

और जब भी मैं आप जैसे लोगों जैसे शहर के मेयर से, म्‍युनिसिपल कमीश्‍नर या CEO से बातचीत करता हूं तो एक नई आशा सामने आती है। स्‍मार्ट सिटी मिशन की प्रक्रिया का ढांचा जन-सहभाग, जन-आकांक्षा और जन-दायित्‍व; इन तीनों पर आधारित है। अपने शहर में इस तरह की योजनाएं शुरू हों, ये शहर के लोगों ने खुद तय किया है। उनके ही विचार शहरों के स्‍मार्ट सिटी विजन के आधार बने हैं और इन पर आज तेज गति से काम चल रहा है।

मुझे इस बात की भी प्रसन्‍नता है कि न सिर्फ यहां नई व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो रहा है बल्कि फंडिंग की वैकल्पिक व्‍यवस्‍था भी की जा रही है। पुणे, हैदराबाद और इंदौर ने म्‍युनिसिपल बॉन्‍ड के माध्‍यम से लगभग साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये जुटाए। अब लखनऊ और गाजियाबाद में भी बहुत जल्‍द ये प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। ये म्‍युनिसिपल बॉन्‍ड्स सरकारों पर आर्थिक निर्भरता को भी कम करने का काम करेंगे। मेरा बाकी शहरों से भी आग्रह है वो इस प्रकार के initiative के लिए आगे आएं।

साथियो, शहरों का स्‍मार्ट होना, सिस्‍टम का टेक्‍नोलॉजी से जुड़ना, ये ease of living को सुनिश्चित कर रहे हैं। आज आप अनुभव कर सकते हैं कि किस प्रकार सेवाएं ऑनलाइन हुई हैं, जिसके कारण अब सामान्‍य जन को कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता। ये कतारें भी तो करप्‍शन की जड़ थीं। आज आपको कोई बिल भरना हो, किसी सुविधा के लिए एप्‍लाई करना हो, कोई सर्टिफिकेट चाहिए, या फिर छात्रवृत्ति, पेंशन, प्रॉविडेंट फंड जैसी अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं; यानि आज governance भी स्‍मार्ट हो रहा है जिससेtransparency सुनिश्चित हुई है। और इसकी वजह से करप्‍शन में बहुत बड़ी कमी आ रही है।

साथियो, smart, secure, sustainable और transparent व्‍यवस्‍थाएं देश के करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रही हैं। ये जो भी सिस्‍टम बनाया जा रहा है ये सबके लिए है। इसमें ऊंच-नीच, पंत, सम्‍प्रदाय, छोटे-बड़े, ऐसी कोई सीमाएं नहीं हैं, न वो आधार है; सिर्फ और सिर्फ विकास, यही एक मंत्र है। कोई भेद नहीं, कोई भेदभाव नहीं। जन भागीदारी, राज्‍यों की भागीदारी, स्‍थानीय निकायों की भागीदारी से ये सब कुछ संभव हो सकता है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ और टीम इंडिया की ही भावना न्‍यू इंडिया के संकल्‍प को सिद्ध करने वाली है।

और मैं आज योगीजी से जब बात कर रहा तो उन्‍होंने एक अच्‍छी खबर सुनाई। देखिए, कुछ बातें ऐसी हैं जो देश में अगर हम हमारे देश के नागरिकों पर भरोसा करें, कैसा अद्भुत काम कर सकते हैं। और दुर्भाग्‍य है कि पहले नेताओं को वोट लेते समय नागरिक याद आते थे। अगर हम सचमुच में नागरिकों की शक्ति और सद्भावनाओं को देखें और उसको टटोलें तो कैसा परिणाम मिलता है, योगीजी मुझे बता रहे थे। आपको मालूम है मैंने एक बार 15 अगस्‍त पर लालकिले से कहा था- कि अगर आप कमाते-धमाते हैं, एक गैस की सब्सिडी में क्‍या रखा है, क्‍यों लेते हो वो गैस की सब्सिडी? इस देश में सब्सिडी राजनीति से ऐसी जुड़ गई है, कोई ऐसी बात कहने की हिम्‍मत नहीं करता; हमने की और देश को गर्व होना चाहिए करीब-करीब सवा करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।

अब वो तो बात लालकिले से बोला था लेकिन देश का मिजाज देखिए- रेलवे वालों ने अपना जो रिजर्वेशन फॉर्म होता है उसमें एक कॉलम बनाई है अभी, नई-नई कॉलम बनाई है, अभी कुछ महीने पहले बनाई है। ज्‍यादा एडवरटाइजमेंट भी नहीं किया है, ऐसे ही लिख दिया है। और उसमें हमें मालूम है कि रेलवे में जो सीनियर सिटिजन यात्रा करते हैं उनको concession मिलता है, सब्सिडी मिलती है। क्‍या कमाते-धमाते हैं, कुछ नहीं, आपकी उम्र इतनी हो गई आपको ये लाभ मिलेगा। उन्‍होंने लिखा- कि अगर आपको, आप कमाते-धमाते हैं और अगर आप ये जो सब्सिडी है, छोड़ना चाहते हैं, इस कॉलम में Tick mark करिए। मैं- जान करके मुझे खुशी हुई, इतने कम समय में कोई एडवरटाइजमेंट नहीं, किसी नेता का बयान नहीं, कुछ नहीं; इस देश के 40 लाख से ज्‍यादा लोगों ने रेलवे यात्रा की अपनी सब्सिडी छोड़ दी; ये छोटी बात नहीं है।

आज मुझे योगीजी ने बताया कि उत्‍तर प्रदेश में गांवों में जो लोगों को आवास मिले थे पुराने, कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति बदली, कुछ लोग वहां से कुछ शहर में चले गए बेटे रोजी-रोटी कमाने गए तो, वहांsettle हो गए। और उत्‍तर प्रदेश सरकार ने request की लोगों को कि अगर आपकी स्थिति में बदलाव आया है और आपके पास पहले सरकार का दिया हुआ मकान है; अगर आप वो मकान सरकार को वापिस दें तो हम किसी गरीब को allot करना चाहते हैं। मेरे लिए इतनी खुशी की बात है कि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गांवों के 46 हजार (forty six thousand) लोगों ने अपने घर वापिस दे दिए। ये छोटी बात नहीं है जी।

हमारे देश में ऐसी मानसिकता बनी हुई थी कि जैसे सब लोग चोर हैं, सब ऐसा करोगे। ये तो, कोई जरूरत नहीं है, हम देश के नागरिकों पर भरोसा करें, देश चलाने के लिए हमसे भी ज्‍यादा ताकत मेरे देशवासियों में है, ये हम में विश्‍वास होना चाहिए। देश को बदलने के लिए किस प्रकार से लोग आगे आ रहे हैं, एक ईमानदारी का माहौल बना है। पहले की तुलना में अब ज्‍यादा लोग टैक्‍स देने के लिए आ रहे हैं। नगर के अंदर सुविधाएं अगर दिखती हैं तो लोग टैक्‍स देने के लिए तैयार हो रहे हैं। उसको भरोसा हुआ है कि पाई-पाई सही जगह पर खर्च होगी, खुद के बंगलों पर खर्च नहीं होगी तो देश का सामान्‍य मानवी पैसे देने के लिए तैयार हो गया है।

और इसलिए सब फिर से एक बार आप सभी को इस मिशन के लिए, जो काम आप लोगों ने किया है और जो हमारे देश नगर निगम से सभी महानुभाव आए हैं, उनको भी। मुझे विश्‍वास है कि अगली बार और भी शहर आगे आएंगे, जो आगे निकल चुके हैं-निकल चुके हैं लेकिन नए लोग आगे आएंगे। नए शहरों में क्षमता पड़ी है, लीडरशिप दीजिए। वहां के कमीश्‍नर हों, वहां के मेयर हों, वहां के CEO हों- जरा जी-जान से एक टारगेट तय कीजिए। आपको भी सम्‍मानित करने के लिए मैं इंतजार कर रहा हूं। अब मुझे आपको सम्‍मानित करने का मौका दीजिए। मैं हिन्‍दुस्तान के सभी शहरों को निमंत्रित करता हूं, मैं समाने से आपका सम्‍मान करना चाहता हूं, मुझे आपका सम्‍मान करने का अवसर दीजिए, इतना उत्‍तम काम करके आइए।

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