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शिलांग । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज शिलॉंग के लॉसुहट्न जैविक फार्म का दौरा किया। लॉसुहट्न किसान संगठन के 4 हेक्टेयर कृषि भूमि का रखरखाव 20 परिवारों द्वारा किया जाता है। मंत्री महोदय ने स्थल पर किसानों के साथ परस्पर बातचीत की और जैविक खेती करने के लिए किसानों के प्रयासों की सराहना की। मंत्री महोदय ने उन्हें जैविक खेती पद्धति को और अधिक भूमि तक विस्तारित करने को प्रोत्साहित किया। मंत्री महोदय ने राज्य सरकार के अधिकारियों को इस संबंध में किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने को कहा।
केंद्रीय मंत्री ने कल सायं राज भवन में विभागों के अधिकारियों के साथ कृषि विभाग, पशु पालन, पशु चिकित्सा एवं संबद्ध क्षेत्रों के क्रियाकलापों की समीक्षा भी की। मंत्री महोदय ने मेघालय में अपने मंत्रालय के तहत सरकार की सभी कल्याण केंद्रित योजनाओं के कार्यान्वयन की विस्तार से समीक्षा की।
मंत्री महोदय ने स्पष्ट रूप से सभी अधिकारियों को नियत समय पर केंद्र को निधियों के उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने को प्रोत्साहित किया जिससे कि केंद्र सरकार की तरफ से निधियों के प्रवाह में कोई भी देरी न हो।
मंत्री महोदय ने अधिकारियों से राज्य में जैविक खेती के प्रचलन को बढ़ाने एवं उसे बढ़ावा देने की दिशा में अधिक संसाधनों को निवेशित करने को भी कहा। इस बारे में राज्य सरकार के प्रयासों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, मेघालय राज्य के अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि जैविक खेती का विकास मेघालय में 40000 हेक्टेयर भूमि में किया गया है और मेघालय के सभी जिलों को इसमें शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह पद्धति मार्च 2019 में अपने तीन वर्ष पूरे कर लेगी जिससे राज्य इस भूमि के उत्पादों के लिए जैविक उत्पादों के रूप में आवश्यक प्रमाणन अर्जित करने में सक्षम हो जाएगा।
मंत्री महोदय ने स्पष्ट रूप से सभी अधिकारियों को नियत समय पर केंद्र को निधियों के उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने को प्रोत्साहित किया जिससे कि केंद्र सरकार की तरफ से निधियों के प्रवाह में कोई भी देरी न हो।
मंत्री महोदय ने अधिकारियों से राज्य में जैविक खेती के प्रचलन को बढ़ाने एवं उसे बढ़ावा देने की दिशा में अधिक संसाधनों को निवेशित करने को भी कहा। इस बारे में राज्य सरकार के प्रयासों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, मेघालय राज्य के अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि जैविक खेती का विकास मेघालय में 40000 हेक्टेयर भूमि में किया गया है और मेघालय के सभी जिलों को इसमें शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह पद्धति मार्च 2019 में अपने तीन वर्ष पूरे कर लेगी जिससे राज्य इस भूमि के उत्पादों के लिए जैविक उत्पादों के रूप में आवश्यक प्रमाणन अर्जित करने में सक्षम हो जाएगा।