वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अत्‍याधुनिक टेक्‍नॉलोजी के उपयोग पर विचार

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पर्यावरण मंत्रालय ने विशेषज्ञ एजेंसियों के साथ बैठक की

 नई दिल्ली : पर्यावरण मंत्रालय ने वायु प्रदूषण से निपटने में अत्‍याधुनिक टेक्‍नॉलोजी के उपयोग तथा संपूर्ण वायु गुणवत्‍ता प्रबंधन ढांचे में सुधार करने के लिए आज यहां विशेषज्ञ संस्‍थानों के साथ बैठक की। विशेषज्ञ संस्‍थानों में इसरो का सेटेलाइट एप्‍लीकेशन सेंटर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), वैज्ञानिक तथा अनुसंधान परिषद संस्‍थान-राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला-(सीएसआईआर-एनपीएल), आईआईटी दिल्‍ली, आईआईटी मुंबई, राष्‍ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्‍थान (एनइईआरआई), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ट्रॉ‍पिकल मेटियोरोलॉजी (आईआईटीएम) तथा भारतीय मानक ब्‍यूरो(बीआईएस) शामिल हैं।

बैठक में जमीन आधारित पीएम2.5 के अनुमान के लिए सेटेलाइट आधारित एरोसोल ऑप्टिकल डेप्‍थ (एओडी) डाटा के उपयोग, आरंभिक चेतावनी प्रणाली बनाने और पहले से उच्‍च प्रदूषण के बारे में जन साधारण तथा प्रदूषण से निपटने में काम करने वाली एजेंसियों को सूचित करने पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में वायु प्रदूषण दूर करने वाली प्रौद्योगिकियों के मूल्‍यांकन तथा सर्दी से पहले पायलट आधार पर तकनीकी रूप से संभव समाधानों को लागू करने के विषय पर भी चर्चा की गई।

     बैठक में वायु गुणवत्‍ता उत्‍सर्जन निगरानी उपकरणों के प्रमाणीकरण के लिए एक व्‍यवस्‍था बनाने पर चर्चा की गई। इससे वायु गुणवत्‍ता की निगरानी करने वाले उपकरणों के स्‍थानीय उत्‍पादन को बढ़ावा मिलेगा क्‍योंकि घरेलू रूप से जांच और प्रमाणीकरण का कार्य किया जा सकता है।

     बैठक में कई निर्णय लिए गए:-

  1. डीएसटी सर्दी से पहले टेक्‍नॉलोजी की दृष्टि से संभावित उपयोग के लिए अग्रणी कार्रवाई करेगा। उन्‍हें दो सप्‍ताहों में अपने मूल्‍यांकनों के परिणाम देने होंगे ताकि पायलट कार्य तेजी से शुरू किया जा सके।
  2. एक विशेषज्ञ समूह बनाया जाएगा जो प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक महीने के समय में अपनी सिफारिशें देगा। चेतावनी प्रणाली में प्रोटोकॉल का प्रसार तथा वायु गुणवत्‍ता सूचना और प्रबंधन में सुधार के लिए सेटेलाइट आधारित मापन का उपयोग शामिल है।  
  3. राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एमपीएल) वायु गुणवत्‍ता मापन उपकरणों के लिए प्रमाणीकरण एजेंसी होगी। पीएम2.5 पीएम10  के प्रमाणीकरण का कार्य सितंबर 2018 से प्रारंभ होगा।

इन कदमों से अगले तीन महीनों में वायु गुणवत्‍ता प्रबंधन के लिए बेहतर प्रबंधन ढांचा बन सकेगा।  बैठक की अध्‍यक्षता पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सी. के. मिश्रा ने की।   

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