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सीएम ने कहा दिल्ली को निर्धारित क्षमता से 120 क्यूसिक अधिक पानी दे रहा हूँ
केजरीवाल पर विरोधाभाषी बयान देने का आरोप लगाया
अदालत से मामला वापस लेने की मांग की
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
चंडीगढ़, 12 जून- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य से दिल्ली को पानी की आपूर्ति के मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की नसीहत दी है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ध्यान वर्तमान में लगभग 60 एमजीडी पानी की कथित कमी की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि यह 900 एमजीडी से अधिक की कुल शोधन क्षमता का मात्र 6.7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की अंदरूनी कार्यवाही के माध्यम से आसानी से हल किया जा सकता है।
श्री केजरीवाल के पत्र के जवाब में भेजे गए एक अर्ध-सरकारी पत्र में मनोहर लाल ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि तथ्यों को पूरी तरह से आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। आप अपने अधिकारियों से एक साधारण सा प्रश्न पूछ सकते हैं कि निम्न तीन गणनाओं में से किससे हरियाणा से दिल्ली को अधिकतम पानी प्राप्त हो सकता है। (1) दिल्ली के हिस्से एवं आबंटन के अनुसार कार्य करते हुए (2) सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार काम करते हुए या (3) दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार काम करते हुए।
श्री मनोहर ने कहा कि ‘यदि आपको कोई स्पष्ट उत्तर मिल जाए तो कृपया मुझे अवश्य बताएं। वजीराबाद पौंड को एक निर्धारित स्तर तक बनाए रखने का कार्य दिल्ली जल बोर्ड द्वारा स्वयं किया जाना है। सीएलसी के शुरू होने के उपरांत हरियाणा द्वारा दिल्ली सम्पर्क बिंदु, बवाना पर स्वयं पूरी आपूर्ति की जा रही है। हमने केवल चालू गर्मी के मौसम के लिए डीडी-8 के माध्यम से 120 क्यूसिक पानी की आपूर्ति करने के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव के आग्रह को स्वीकार कर लिया है। इसके बाद अगले वर्ष से दिल्ली को अपने स्वयं के प्रबन्ध करने होंगे, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय को दिए गये अपने जवाब में विस्तार से वर्णित कारणों की बजह से हरियाणा द्वारा डीडी-8 के माध्यम से हुई आपूर्ति नहीं की जाएगी।’
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने श्री केजरीवाल द्वारा 16 मई, 2018 को लिखे गए आधिकारिक पत्र का जिक्र करते हुए दिल्ली सरकार के विवादास्पद रुख का भी जिक्र किया।
मनोहर लाल ने आज अपने जवाब में कहा कि ‘आरंभ में, मैं विधानसभा में वर्ष 2018-19 के बजट की प्रस्तुति के बाद दिए गए आपके बयान की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। हिन्दुस्तान टाइम्स में आपका ब्यान उद्घत किया गया था कि ‘दिल्ली में पानी की कोई कमी नहीं है।’ हैरानी की बात है कि उसी दिन दिल्ली जल बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में वजीराबाद में कच्चे पानी की कमी का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर कर दी। मुझे आशा है कि आपको इस विरोधाभास की जानकारी होगी।
‘हम दिल्ली के पानी के हिस्से और आवंटन के मामले में ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) द्वारा निर्धारित हमारे सभी दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। हमने सचिव, जल संसाधन मंत्रालय के आग्रह पर डीडी-8 के माध्यम से दिल्ली को 120 क्यूसिक अतिरिक्त कच्चा पानी जारी करने का निर्णय लिया। मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि यमुना नदी में पानी की तीव्र कमी के कारण, हरियाणा को हर जनवरी मास में चार समूहों की बजाय पांच समूह का रोटेशन अपनाना पड़ता है। हमारे हजारों गांवों और कई कस्बों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होने के बावजूद हमने दिल्ली के लिए कभी भी पानी की आपूर्ति को कम नहीं किया है। असल में, हम अपने निर्धारित दायित्वों से बढक़र 120 क्यूसेक पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।
‘यह एक कटु तथ्य है कि वजीराबाद में कच्चे पानी की कमी और वीवीआईपी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति पर इसके प्रभाव के मुद्दे को पिछले 20 वर्षों से हर वर्ष दिल्ली जल बोर्ड उठाता आ रहा है। वर्तमान में लगभग 60 एमजीडी पानी की कथित कमी 900 एमजीडी से अधिक की कुल शोधन क्षमता का मात्र 6.7 प्रतिशत है। इस मुद्दे को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की अंदरूनी कार्यवाही के माध्यम से आसानी से हल किया जा सकता है।
मनोहर लाल ने आगे कहा, ‘आपके अनुरोध पर, हम उस समय मुनक से लगभग 1050 क्यूसिक पानीकी आपूर्ति कर रहे थे जब दिल्ली ने हरियाणा को कई मुकदमों में धकेलने का फैसला लिया। जल संसाधन मंत्रालय के सचिव के आग्रह पर हमने मुनक से अतिरिक्त 150 क्यूसेक पानी जारी करना शुरू कर दिया ताकि डीडी-8 के माध्यम से वजीराबाद में लगभग 100-120 क्यूसिकपानी प्राप्त हो सके। हमने इस शर्त पर डीडी-8 के माध्यम से इस अतिरिक्त पानी की समय सीमा को 30 जून, 2018 तक बढ़ाने का फैसला किया था कि दिल्ली एनजीटी और दिल्ली उच्च न्यायालय से सभी मामलों को वापस ले लेगी। आप इस बात की सराहना करेंगे कि कई मुकदमा समय और ऊर्जा की बर्बादी है। इसलिए, मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि निजी व्यक्तियों के मुकदमेबाजी के मामले में आप यूवाईआरबी के हरियाणा के स्टैंड का समर्थन करेंगे, क्योंकि ऐसे मुद्दों पर विचार-विमर्श और निर्णय लेने के लिए यह सही मंच है।’