करवा चौथ व्रत के दिन ऐसें करे पूजा, मिलेगा लाभकारी फल
सौ. रजिया पाराशर
करवा चौथ 2016 : 19 अक्तूबर
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:43 से 18:59, चंद्रोदय- 20:51
चतुर्थी तिथि आरंभ- 22:47 (18 अक्तूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 19:32 (19 अक्तूबर)
हिंदू धर्म शास्त्रों में सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है।
अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें यह व्रत करती है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से संपन्न किया जाता है। इस व्रत को रखने से एक दिन पहले महिलाएं हाथों में मेंहदी रचाती है। व्रत के दिन महिलाएं नए कपड़े, आभूषण पहनकर सोलह श्रृंगार कर पूजा करने जाती है।
करवा चौथ व्रत विधि :
व्रत के दिन सुबह स्नानादि करने के पश्चात सुहागिनें यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’ विवाहित स्त्री पूरे दिन निर्जला (बिना पानी के) रहें।
दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा बनाएं, इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलवा बनाएं, पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं।
गौरी को बैठाने के बाद उस पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाए इसके बाद माता का भी सोलह श्रृंगार करें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें।
नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।’ करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर महिलाओं को अपनी मां या सास का आशीर्वाद लेना चाहिए।