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शिक्षा विभाग सुरक्षा सम्बन्धी दिशा-निर्देशों को लागू कराएगा
पहले चरण में, जिला के दस स्कूलों को निरीक्षण के लिए चुना जाएगा
स्कूलों के चयन के लिए ड्रा निकला जाएगा
गुरुग्राम, 6 दिसंबर। गुरुग्राम जिला प्रशासन अब शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर जारी दिशा-निर्देशों को लागू करेगा। यह बात गुरुग्राम के उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने जिला प्रशासन द्वारा गठित स्कूल सेफ्टी कमेटी(एसएमसी) के सदस्यों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ‘बच्चों की सुरक्षा जिला प्रशासन की प्राथमिकता है’।
इस कमेटी में विभिन्न स्कूलों के प्रतिनिधियों, मनोरोग विशेषज्ञ, सिक्योरिटी सैक्टर स्किल डैव्लपमेंट काऊंसिल से सलाहकार, अभिभावकों के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षा विभाग, पुलिस तथा क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण के अधिकारी शामिल है। बैठक में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे बच्चों को घर से स्कूल ले जाने तथा स्कूल परिसर में रहने के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी की पालना करने आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिए गए दिशा-निर्देशों की पालना अत्यंत आवश्यक है। इस मामले में लापरवाही कतई बर्दाश्त नही की जाएगी। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि स्कूलों को अपने स्तर पर सिक्योरिटी ऑडिट कर लेना चाहिए ताकि बाद में जब जिला अधिकारियों द्वारा स्कूलों की चैकिंग की जाए तो उन्हें किसी प्रकार की शर्मिंदगी ना उठानी पड़े।
उन्होंने कहा कि जिला के सभी स्कूलों को धारा-144 के तहत इस बारे में सरकारी परिपत्र भी दिया जा चुका है जिसमे उन्हें बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा इसकी अंडरटेकिंग देने के लिए कहा गया था। जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल ने बताया कि अब तक जिला के 160 स्कूलों ने अपने यहां बच्चों की सुरक्षा के संबंध में किए गए उपायों के बारे में प्रमाण पत्र दिया है। श्री सिंह ने कहा कि अब गठित टीम के सदस्यों, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी या उनके प्रतिनिधि, क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण के स्टॉफ सदस्य तथा स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रतिनिधि अनिवार्य रूप से शामिल होंगे, द्वारा संयुक्त रूप से चैकिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों की चैकिंग के लिए निरीक्षण कैलेंडर तैयार किया जाएगा जिसके बारे में सभी स्कूलों को सूचित कर दिया जाएगा। यदि किसी भी स्कूल का प्रतिनिधि चाहे तो निरीक्षण टीम के साथ निरीक्षण के लिए जा सकता है। पहले चरण में, जिला के दस स्कूलों को निरीक्षण के लिए चुना जाएगा जिनका चयन ड्रा निकालकर किया जाएगा।
जिन स्कूलों ने अब तक अपनी अंडरटैकिंग नही दी है, उन्हें भी कमेटी के सदस्यों जिसमें स्थानीय पुलिस स्टेशन का एसएचओ तथा खंड शिक्षा अधिकारी या खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे , द्वारा चैक किया जाएगा और अवेहलना पाए जाने पर सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी। श्री सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों की पालना ना करने वाले स्कूलों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। इसमें उस स्कूल की ऐड बंद की जा सकती है यदि वह हरियाणा सरकार से ऐडिड है या फिर उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है यदि स्कूल हरियाणा शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध है या फिर रेयान मामले की तरह विद्यालय की मैनेजमेंट को टेकओवर किया जा सकता है और जिलाधीश के आदेशों की अवहेलना की कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
बच्चों की सुरक्षा संबंधी मुख्य बिंदुओ पर प्रकाश डालते हुए श्री सिंह ने कहा कि स्कूल की बसों में स्पीड गवर्नर अवश्य लगा होना चाहिए और स्कूल बस की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा ना हो। बस में एक महिला अटेंडेंट तथा एक योग्य कंडक्टर, जिसके पास वैध लाइसैंस हो, अवश्य होना चाहिए। स्कूल में बच्चों को लाने के लिए प्राइवेट वैन का इस्तेमाल किए जाने के मामलों में प्राइवेट वैन हायर करने वाले अभिभावकों की जिम्मेदारी रहेगी लेकिन इस संबंध मे स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावकों को एडवाइजरी जारी की जाएगी कि वे उपयुक्त जांच-पड़ताल के बाद ही वैन को हायर करें। उन्होंने कहा कि गैर वाणिज्यिक वाहन का प्रयोग बच्चों को स्कूल से लाने या ले जाने के लिए नही किया जा सकता। इसके लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा संज्ञान लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही भी की जाएगी। उन्होंने स्कूल संचालकों से कहा कि वे स्कूल परिसर में उपयुक्त स्थानों पर पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगवाना सुनिश्चित करें। स्कूल प्रबंधन को अपने स्कूल के नजदीक स्थित अस्पताल के संपर्क में रहना चाहिए ताकि आवश्यकता पडऩे पर विद्यार्थियों अथवा स्टाफ को वहां तत्काल मैडिकल हैल्प दिलवाई जा सके।
इस अस्पताल के बारे में स्टाफ तथा विद्यालय में कार्यरत चालकों को भी अवगत करवाया जाए। श्री सिंह ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को उनके साथ होने वाले अपराधों के प्रति सचेत करने की भी आवश्यकता है जिसमें उन्हें गुड टच, बैड टच, शरारतपूर्ण घटनाओं तथा इंटरनेट के खतरों आदि के बारे में नियमित रूप से स्कूल में सत्र आयोजित करके जानकारी दी जाए। स्कूल में आत्म रक्षा संबंधी अलग से सैशन भी रखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों को अंडर ऐज ड्राइविंग के प्रति भी हतोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन मामलो के बारे में अभिभावकों को भी जागरूक किया जाना चाहिए।
बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप दहिया, एसीपी लॉ एंड आर्डर जय सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल, डिस्ट्रिक्ट अर्बन नोडल ऑफिसर डा. एम पी सिंह, क्लीनिकल सायक्लोजिस्ट डा. श्वेता, एसएसएसडीसी के सीईओ मेजर जनरल ए के सुखिजा, एसएसएसडीसी के कंसल्टैंट लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, बीयूडी फाऊंडेशन की डायरेक्टर दिव्या सहित विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्य व अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।