Font Size
: कमरों के लिए आया पैसा कहां गया, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं हैं
: अध्यापक एक 250 बच्चे, कमरा एक, कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई
यूनुस अलवी
मेवात : मेवात शिक्षा विभाग की लापरवाही का जीता जागता नमूना पुन्हाना खंड के गांव सिंगार में देखा जा सकता है। जहां प्राईमरी स्कूल के 250 बच्चे गांव के पंचायत की चौपाल के एक कमरे में पढते हैं वहीं करीब दस साल पहले स्कूल के भवन के लिए आऐ कमरे अधूरे पडे हैं। इस कमरों का पैसा किसी-किसी की जैब में गया और पिछले दस सालो से इन कमरों का निर्माण क्यों नहीं हो सका इसका जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं हैं। कमरे ना होने की वजह से प्राईमरी में पढने आने वाले छोटे-छोटे बच्चे गर्मी और सर्दी के मौसम में बेहद परेशान रहते हैं।
गांव सिंगार निवासी मुस्ताक ने बताया कि उनके गांव में सीरियर सैंकेंडरी स्कूल और प्राईमरी स्कूल है। प्राईमरी स्कूल के पास अपना भवन ना होने की वजह से वह काफी समय से पंचायत की चौपाल में चल रहा है। स्कूल में करीब 250 बच्चे हैं और पंचायत चौपाल में एक कमरा है। प्रयाप्त कमरे ना होने की वजह से सर्दी और गर्मी के मौसम में बच्चों की छुटटी करनी पडती है। इतना ही नही पांच अध्यापकों की जगह 250 बच्चों को पिछले एक साल से एक ही अध्यापक पढा रहा है।
गांव के लोगों ने बताया कि बच्चों की संख्या को देखते हुऐ शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल में 6 कमरे बनाने के लिए करीब दस साल पहले पैसे दिए थे। करीब 9 साल से ये कमरे अधूरे पडे हैं। चोर कमरों के जंगलो को ले गऐ हैं। कमरों की दिवारे गिरने के कगार पर हैं। इन कमरों की अभी तक छत नहीं डाली गई है। इसका पैसा कहां गया किसी को भी पता नहीं हैं। उन्होने कहा कि अधिकारी और अध्यापक कमरों के पैसों को मिलकर खा गए हैं। गाव के लोगों कमरों का निर्माण में आऐ पैंसों की जांच कर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
क्या कहते हैं बीईओ ?
पुन्हाना के खंड शिक्षा अधिकारी अबुल हुसैन ने बताया कि इन कमरों का निर्माण सिंगार के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिसिपल ने बनवाया था। प्रिंसिपल धनवीर की करीब दो-तीन साल पहले मौत हो गई है। मौत होने से कमरों का रिकोर्ड नहीं मिल सका है। अब इन कमरों के निर्माण का बजट मंजूर हो गया है। जल्द ही इनका निर्माण शुरू कर दिया जाऐगा।