मेवात में मात्र 20 फीसदी लोग ही कर पाते हैं कुर्बानी

Font Size

: बिरयानी और गोस्त की बजाऐ खीर और सिवईया अधिक बनाते हैं मेवाती

: मेवात में कम कुर्बानी होने की वजह से गरीब रह जाते हैं वंचित

: 49 रूपये वीटा दूध की थैली मेवात में ब्लेक से 100 रूपये तक बिकी

: डेरी फैडरेशन के चेयरमैन बोले जांच के बाद होगी कार्रवाई

: जिसके पास 52 तौला चांदी या इतना पैसा है उस पर कुर्बानी फर्ज है : उलेमा

 

यूनुस अलवी

 
मेवात:   ईदुल अजहा का त्योंहार भले की कुर्बानी का त्योंहार हैं। लेकिन मेवात जिला में मात्र 20 फीसदी के करीब ही लोग कुर्बानी कर पाते हैं। जिसकी वजह आम गरीबों लोगों तक कुर्बानी का गोस्त नहीं पहुंच पाता है। मेवात इलाके में पशुओं की अधिक कुर्बानी ना होने की वजह से ज्यादातर लोग बिरयानी, मीट बनाने की बजाए खीर बनाकर ही त्योंहार की खुशियां मनाते हैं या फिर लोग बाजार से मुर्गा खरीदकर अपनी हसरत पूरी करते हैं। अधिक कुर्बानी ना होने की वजह से मेवात में ईद और बकरीद त्योंहार पर दूध की मांग अधिक बढ जाती है। दूध की अधिक मांग को देखते हुऐ वीटा, अमूल, मदर डेरी आदि के बूथ चलाने वाले लोग मंहगें दामों में दूध बैचकर लाखों रूपये की नाजायद कमाई करते हैं। यही कारण रहा की इस बार 49 रूपये किलो मिलने वाली वीटा की एक थैली को ब्लेक में 60 से 90 रूपये किलो तक बैचा गया। वहीं 26 रूपये आधा किलो कीमत के वीटा का दूध के थैली 30 से 40 रूपये में बैची गई।

 

कम कुर्बानी पर क्या कहते हैं उलेमा?

 
  जमियत उलमा हिंद की नोर्थ जोन के सदर मोलाना याहया करीमी ने बताया कि मेवात जिला की 14 लाख आबादी में से करीब 10 लाख मुस्लिम हैं। जिनमें से नाबालिग और गरीब लोगों को हटा दिया जाऐ तो करीब 40 फीसदी से अधिक लोगों पर कुर्बानी फर्ज है। इस हिसाब से मेंवात में चार लाख बकरे या फिर करीब 57 हजार भैंस, पड्डों की कुर्बानी होनी चाहिए लेकिन मेवात में हर साल मात्र 6 से 10 हजार पशुओं की ही कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के प्रति लोगों की जागरूक्ता की कमी की वजह से गरीब लोग कुर्बानी के गोस्त से महरूम रह जाते हैं। उन्होने बताया जिन लोगों के पास साडे सात तौला सोना या साडे 52 तौला चांदी या फिर कर्ज काटकर इतना पैसा है तो उसपर कुर्बानी करना फर्ज है। 

 

क्या कहते हैं डेरी फैडरेशन के चेयरमैन?

 
  हरियाणा डेरी डव्लपमेंट कॉपरेटिव फैडरेशन के चेयरमैन जीएल शर्मा ने बताया कि वीटा डेरी द्वारा बैची जाने वाली दूध की थैलियों पर बिक्री रेट अंकित हैं। अगर कोई भी प्रिंट रेट से अधिक दामों में दूध को बैचेगा उनके बूथों का लाईसैंस तो रद्द कर दिया जाऐगा साथ ही उनकी खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाऐगी।

 

क्या कहते है दूध खरीदने वाले?

 
तौसीफ बीसरू,आजाद खा ने बताया पुन्हाना में 70 रूपये किलो,  उमर मांडीखेडा ने बताया उनके यहां 60 रूपये किलो, सलंबा के तालीम जैलदार ने बताया नूंह में 80/90 रूपये किलो और तालिब हुसैन ने बताया कि उसे तो एक किलो की थैली 100 रूपये में दी गई है। ईद और बकरीद के मौके पर मेवात जिला में करीब डेढ लाख किलो दूध बिक जाता है। जिसकी पूर्ति दुधियों, दुग्ध डेरियों और वीटा के बूथों से की जाती है। लोगों ने इसकी जांच कर वीटा बूथ मालिको के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

You cannot copy content of this page