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मेवात के शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों का कमाल
यूनुस अलवी

शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज नलहड की मेडिकल सुप्रिटेंडेट डाक्टर यामिनी ने बताया कि नूंह खंड के गांव सूडाका निवासी 50 वर्षीय कशिदा पत्नि फजरखां की बच्चेदानी में कैंसर हो गया था। यह कैंसर फैलता जा रहा था यहां तक की शोच के रास्ते तक पहुंच गया था। महिला के पैशाब की थैली में रिवास होने की वजह से हर समय पैशाब आता रहता था। पैशाब की थैली में छेद होने की वजह से पैशाब की नकली भी नहीं लग सकती थी। कैंसर और आगे न बढे इस वजह से ये बडा ऑपेरशन करना पडा। उन्होने बताया कि करीब 12 घंटे की कडी मेहनत के बाद महिला के पेट से बच्चेदानी, पैशाब की थैली और शोच के रास्ते को निकालना करना पडा। उन्होने बताया कि शोच और पैशाब के प्राकृतिक रास्ते को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। उनहोने बताया कि एक आंत के माध्यम से टट्टी के रास्ते को पैट पर और एक छोटी आंत से पैशाब की थेली को दोनो गुर्दो से जोड कर पैशाब का रास्ता भी पैट पर बनाया गया है। उन्होने बताया कि प्राकूतिक रास्तों को बंद कर पैट पर कृत्रिम रास्ते बनाऐ गऐ हैं।
डाक्टर यामिनी ने बताया कि यह बहुत ही कठिन काम था क्योंकि महिला को कैंसर फैल रहा था। निकाले गऐ मांस को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है। उन्होने बताया कि अभी तो महिला कैंसर मुक्त लग रही है अगर जांच में कहीं कैंसर पाया गया तो उसे सेक के द्वारा ठीक कर दिया जाऐगा। उन्होने बताया कि इस ऑपेरशन में उनके साथ डाक्टर मुस्तुफा, दो जूनियर डाक्टर और बेहोशी की टीम पूरे 12 घंटे तक मौजूद रही। ऑपेरशन में 5 यूनिट लाल खून और 4 यूनिट सफेद खून का इस्तेमाल किया गया है।
क्या कहती है पीडित महिला
पीडित महिला कशिदा बेगम का कहना है कि आज वह बेहद खुश है। वह काफी समय से इस समस्या से परेशान थी। हर समय बदबूदार पैशाब आने की वजह से कोई भी आदमी उसके पास बेठ नहीं सकता था। उसने गुडगांव, फरीदाबाद, पलवल, दिल्ली और अलवर में अपना इलाज कराया। इलाज पर करीब तीन लाख रूपये खर्च करने के बावजूद भी कोई फायदा नहीं हो सका। उन्होने डाक्टरों की टीम का धन्यवाद करते हुऐ कहा कि उनकी महनत से उसे नई जिंदगी मिली है। पीडित के एक लडकी है।
क्या कहते हैं डारेक्टर
शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज के डारेक्टर संसार चंद शर्मा ने डाक्टर यामिनी और उनकी टीम को बंधाई दी है। उनहोने कहा यह ऑपेरशन मामूली नहीं था, उसके बावजूद डाक्टरों ने सफलता से इसे पूरा किया है। उनहोने कहा कि डाक्टर यामिनी और उनकी टीम को 26 जनवरी को सम्मानित करने के लिए प्रशासन को लिखा जाऐगा।