तीन तलाक के फैंसले पर कुछ उलमा खुलकर बोले तो कुछ ने साधी चुप्पी

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: चीफ इमाम ने भारत में मॉडल निकाह नामा बनने पर दिया जोर

: उलमाओं ने कहा शरियत को नहीं मुस्लिमों को बदलना होगा

 

यूनुस अलवी

 
 मेवात :   सुप्रिम कोर्ट द्वारा तीन तलाक मसले पर आऐ फैंसले पर मेवात के उलेमाओं ने अपनी-अपनी तरह से इस पर प्रतिक्रिया जाहिर की हैं। किसी ने कहा कोर्ट का यह फैंसला मुस्लिम लोगों को जगाने के लिए है तो किसी ने कहा अभी कोर्ट के फैंसले पर जवाब देना जल्दबाजी होगी और कोई बोला अदालतों को धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिऐ।
 
  ऑल इंडिया इमाम संगठन के अध्यक्ष चीफ इमाम डाक्टर उमेर अहमद इलयासी का कहना है कि सुप्रिमकोर्ट का फैंसला मुसलमानों को जगाने के लिए आया है।  जो तंजीमें तीन तलाक को नजरअंदाज कर रही थी उनको इसके बाद विचार विमर्श करने का मौका मिलेगा। कुल लोगों की ना समझी की वजह से कुछ महिलाओं पर जो अन्याय हुआ है, इस फैंसले के बाद उसका कोई हल निकल सकेगा। उन्होने जोर देकर कहा शरियत में बदलाव की जरूरत नहीं हैं लेकिन जो लोग मोबाईल पर, नशे की हालत में और छोटी-छोटी बातों पर महिलाओं को तलाक दे देते हैं इस बार रोक लगाने की जरूरत पर गौर करना होगा।
 
      चीफ इमाम ने कहा पूरे भारत में मॉडल निकाह नामा बनना चाहिए। तलाक पर इंतजामी बदलाव आना चाहिए। उनका कहना है कि जैसे निकाह के वक्त एक वकील और दो गवाहों की जरूरत होती है इसी तरह तलाक के समय भी एक वकील और दो गवाह होने चाहिऐ। सरकार को चाहिऐ की देश की सभी धार्मिक मुस्लिम तंजीामें की एक कमेठी बनाऐं। वो कमेठी विचार विमर्श करने के बाद ऐसा फैंसला बनाऐ जिससे महिलाओं को वेबजह तलाक देने वालों पर रोक लग सके और महिलाओं के साथ कोई अन्याय ना हो। उन्होने कहा कि इस फैंसले का सियायत से नहीं जोडना चाहिए। उन्होने कहा कि उनके संगठन की ओर से जल्द ही दिल्ली में एक बडी बेठक बुलाने जा रहे हैं। इस बेठक में देश के बडे उलमाओं, तीन तलाक से पीडित महिलाओं व इससे जुडी तंजीमों को बुलाऐगें। बेठक में तीन तलाक पर आने वालेे सुझावों को सरकार के पास भेजेगें।
 
  मेवात के मशहूर मुफ्ति सुलेमान का कहना है कि अदालत और सरकार की धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी नही करनी चाहिए। उन्होने साफ तौर से कहा कि इसलाम धर्म में शराब पीना हराम है तो क्या शराब के ठेके खोल देने से शराब जायज हो जाऐगी। उनका कहना है कि अदालत द्वारा तीन तलाक पर रोक लगाने से तलाक पर कोई असर नहीं पडेगा। जिस आदमी ने अपनी औरत को तलाक दे दी वह उसके लिए हराम हो जाती है वह उसके साथ मियां-बीवी की तरह नहीं रह सकता। अगर वे तलाक देने के बाद रहते हैं तो समझों की वह उस महिला के साथ बलात्कार करता है। जिसका इसलाम में बहुत बडा गुनाह है। क्या जायज है और क्या नाजायज ये तय करना सरकार का काम नहीं हैं। मुसलमान कुरान और हदीश की नजर से तय करता है।
 
   वहीं मुफ्ति सलीम साकरस, जमियत उलमा हिंद की नोर्थ जोन के अध्यक्ष मोलाना याहया करीमी, मोलाना शेर मोहम्मद अमीनी और मोलाना साबिर कासमी ने कहा कि जब तक वे अदालत के फैंसले को देख नहीं लेते उससे पहले कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी।

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