तीन तलाक को पूरी तरह असंवैधानिक करार
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा मुस्लिम महिलाओं को ताकत देने वाला ऐतिहासिक फैसला
बहुमत के आधार पर दिया फैसला
नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत ने बहुचर्चित तीन तलाक के मामले में मंगलवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया . प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर वाली पांच सदस्यीय पीठ ने बहुमत के आधार पर यह फैसला सुनाया. पांच में से तीन जजों (जस्टिस कुरियन, जस्टिस नरीमन और जस्टिस ललित) ने तीन तलाक को पूरी तरह असंवैधानिक करार दिया है. इन जजों का तर्क था कि एक साथ तीन तलाक इस्लाम में भी गैर कानूनी है ऐसे में यह असंवैधानिक माना जाएगा. वहीं जस्टिस नजीर ने कहा कि पर्सनल लॉ का मामला कोर्ट नहीं छू सकता है. आर्टिकल 25 के मुताबिक हम यह तय नहीं कर सकते कि यह संवैधानिक है या नहीं. 5 में से 3 जजों ने कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक है.
बेंच में पांच धर्मों के जज थे शामिल
दूसरी तरफ प्रधान न्यायाधीश खेहर और न्यायमूर्ति नजीर ने अल्पमत के निर्णय में तीन तलाक की प्रथा को छह महीने स्थगित रखने की हिमायत की. उन्होंने राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने मतभेद परे रखते हुए केन्द्र को इस संबंध में कानून बनाने में सहयोग करें. अल्पमत के निर्णय में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि केन्द्र छह महीने के भीतर कानून नहीं बनाता है तो तीन तलाक पर यह अंतरिम रोक जारी रहेगी. प्रधान न्यायाधीश खेहर और न्यायमूर्ति नजीर ने उम्मीद जताई कि केन्द्र का कानून मुस्लिम संगठनों की चिंता और शरिया कानून को ध्यान में रखेगा. इस पांच सदस्यीय संविधान पीठ में विभिन्न धार्मिक समुदाय-सिख, ईसाई, पारसी, हिन्दू और मुस्लिम से सम्बन्ध रखने वाले न्यायाधीशों ने तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देने वाली पांच मुस्लिम महिलाओं की याचिका सहित सात याचिकाओं पर नियमित सुनवाई सुनवाई की थी.
11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई हुई थी
इससे पूर्व 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए मंगलवार का दिन मुकर्रर किया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है. ये गैर-ज़रूरी है. कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है.
इस मामले में सबसे खास बात यह है कि पांच अलग मजहबों के पांच जजों की संविधान पीठ इस केस की सुनवाई के लिए गठित की गई थी. इससे पहले 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए आज का दिन मुकर्रर किया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है. ये गैर-ज़रूरी है. कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है?
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सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं को समानता मिलेगी और ये महिला सशक्तिकरण की दिशा में ताकतवर कदम है.
सलमा आगा ने कहा कि मोदी की वजह से मुस्लिम महिला को सम्मान मिला
अलग अलग क्षेत्रों के लोगों की राय भी आने लगी है. मिडिया को दी अपनी प्रतिक्रिया में बालीवुड की गुजरे जमाने की नायिका सलमा आगा ने कहा कि मोदी जी की वजह से आज मुस्लिम महिला को सम्मान और आज़ादी मिली है . मोदी जी ने मुस्लिम महिला को उसका हक़ सम्मान और बराबर का हक़ दिलाया. महिलाओं को अब हौसला आएगा उनकी इनसिक्योरिटी ख़त्म होगी. मैं उन्हें सलाम करती हूं. हम तो आज से 25 साल पहले पर्दे पर ये सब निकाह में ले आए थे. औरतों की हालत बहुत ख़राब थी. कहीं भी उनको छोड़ दिया जाता था. कई महिलाओं के साथ मैंने ये सब देखा है एक औरत को उसके पति ने रात के तीन बजे घर के बाहर कर दिया.
उन्होंने कहा, ये जो लोग बोलते हैं कि मोदी जी इस्लाम में इंटरफ़ेयर न करें दरअसल में वो लोग ग़लत है. उन्हें डर है कि ये बेबुनियाद आरोप लगाते हैं. ये कैसा क़ानून था कि दो लोग एक घर में रहते हैं और एक आदमी के पास हक़ है कि वो जब चाहे वो दूसरे के सिर से आशियाना छिन सके. 6 महीने बाद जो क़ानून बने उसमें कही भी कसर ना रह जाए ताकि ये लोग फिर से कोई फ़ायदा उठाए. अब फ़ैसला आया है तो मर्दों को झटका तो लगेगा ही और लगना ज़रूरी भी है लगना चाहिए.
तीन तलाक गलत है : कपिल सिब्बल
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, तीन तलाक गलत है इस बात पर सभी पक्ष पहले से ही सहमत थे. चूंकि ये मामला पर्सनल लॉ में आता है इसलिए इसमें दखल नहीं दिया जा सकता. लेकिन संसद अगर कानून लाती है तो उसे हक़ है, इसी वजह से कोर्ट ने उन्हें छह महीने का वक़्त दिया है.
इससे निष्कर्ष यही है पर्सनल लॉ में दखल नहीं हो सकता. हम इसका स्वागत करते हैं क्योंकि हमने खुद कहा था ये प्रैक्टिस सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि पर्सनल लॉ में दखल नहीं हो सकता उसे संविधान के लिहाज से रद्द नहीं किया जा सकता.
समानता के नए युग की शुरुआत: अमित शाह
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज के निर्णय पर कहा है कि समानता के नए युग की शुरुआत हुई है. भाजपा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि ये फैसला कोई जीत या हार नहीं है.
ये बहुमत का फैसला है : सलमान खुर्शीद
तीन तलाक मामले में एमिकस क्यूरी सलमान खुर्शीद ने कहा, ये बहुमत का फैसला है इसलिए अब सरकार को भेजने की जो राय है अब वह रास्ता नहीं बचा.
यह निर्णय दूरगामी है : सुब्रमण्यम स्वामी
भाजपा के वरिष्ठ नेता व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह निर्णय दूरगामी है. उन्होने कहा है की मैं फैसला पढ़कर ही कुछ विशेष कह पाऊँगा.
सुप्रीम कोर्ट के बाद भी जनता की अदालत है : आजम खान
ट्रिपल तलाक पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने स्वागत किया है. लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने इस फैसले को धार्मिक मामले में दखल करार दिया है. कभी यूपी सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद आजम खान ने देश की 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं के हित में दिए गए इस अहम फैसले पर कहा है सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. साथ ही आजम खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाद भी जनता की अदालत है लोकतांत्रिक देश में, अगर भारत में लोकतंत्र का कुछ भी हिस्सा बाकि है तो धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ नहीं होगा. वरना ये बड़ा मुश्किल होगा कि किसकी आस्था पर कब कुठाराघात हो जाए.
आजम खान ने कहा कि अगर संसद इस विषय पर कानून बनाती है तो वो वही़ होगा जो इस्लामिक स्कॉलर्स की राय होगी और उनका फैसला होगा. उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्कॉलर्स या किसी भी धर्म के पेशवा राजनीति से प्रेरित नहीं होते हैं. हम ये आशा करते है कि ससंद जो भी कानून बनाएंगी वो मुसलमानों के धर्म, उनकी आस्था और उलेमा व इस्लामिक स्कॉलर्स, जिनकी पूरी दुनिया में मान्यता है, उनकी सलाह से ही कानून बनाएगी.
इसे जमीन पर उतारना एक बहुत बड़ा काम : असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं हालांकि इसे जमीन पर उतारना एक बहुत बड़ा काम होगा.’
इस्लाम व देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत: ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड
ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को इस्लाम और देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत करार देते हुए कहा कि इससे तलाक के नाम पर मुसलमान औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी पर रोक लगने की उम्मीद है. वहीं तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा.