सुप्रीम कोर्ट ने कहा : नोटा के साथ ही होगा राज्यसभा चुनाव, कांग्रेस को बड़ा झटका

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कोर्ट ने कपिल सिब्बल से कहा कि जब आप प्रभावित हो रहे हैं तब आप कोर्ट आये हैं

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस की राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प दिए जाने पर रोक लगाने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया है. इस निर्णय से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए नोटा पर रोक लगाने से मना कर दिया. कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि आगामी 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव नोटा  के विकल्प के साथ ही होंगे. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने मंगलवार को न सिर्फ संसद में इसका कड़ा विरोध किया था  बल्कि पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंप कर नोटा समाप्त करने की मांग की थी .

चुनाव आयोग को सौंपे ज्ञापन में कहा गया था कि आयोग को आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए मत पत्र में नोटा के प्रावधान को लागू नहीं करना चाहिए. पार्टी ने ने कहा था कि राज्यसभा जैसे परोक्ष चुनाव में नोटा का प्रयोग संविधान के अनुच्छेद 80 (4), जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 और चुनाव संचालन नियम 1961 तथा उच्चतम न्यायालय के कुलदीप नैयर बनाम भारत सरकार (2006) के फैसले के खिलाफ है.

कांग्रेस पार्टी ने इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर राज्यसभा चुनाव में नोटा समाप्त करने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया. कपिल सिब्बल ने कहा कि वे कोर्ट के समक्ष एक सांसद के रूप में पेश हो रहे हैं. उन्होंने कोर्ट के समक्ष कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो राज्यसभा में हंगामा होगा. कपिल सिब्बल ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के रूप में यहाँ नहीं आये हैं. बताया जाता है कि कोर्ट में कांग्रेस की ओर से दी गयी दलील इस बात पर खारिज हो गयी कि 2014 से ही यह अमल में है लेकिन आज तक कांग्रेस ने इस पर सवाल क्यों नहीं उठाया. अब कई बार राज्यसभा की खाली सीटों के लिए चुनाव हो चुके हैं लेकिन तब कांग्रेस ने कभी विरोध नहीं किया. अब ऐसे वक्त पर जब 8 अगस्त को चुनाव होने हैं तब इसका विरोध करना तार्किक नहीं है. कोर्ट ने कहा अब जब आप प्रभावित हो रहे हैं तब आप कोर्ट आये हैं . इस सम्बन्ध में 2014 में नोटिफिकेशन किया गया था तब आपने क्यों नहीं विरोध किया. जब इस चुनाव का नोटीफिकेशन जारी किया गया तब भी आप कोर्ट नहीं आये. अपने 1 अगस्त को याचिका दायर किया. 

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि इस बात पर कोर्ट विचार जरूर करेगी कि राज्यसभा में नोटा का विकल्प होना चाहिए या नहीं.  

 

गत मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा द्वारा उठाये गये इस मामले पर विपक्षी दलों ने हंगामा किया था और सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी थी.  राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, बसपा के सतीश मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन सभी इसके पक्ष में थे कि नोटा को समाप्त किया जाए और सरकार से जवाब मांग रहे थे.

 

इस पर अरुण जेटली ने कहा कि नोटा की अधिसूचना चुनाव आयोग ने जारी की थी. संवैधानिक संस्था के रूप में आयोग के फैसले पर राज्य सभा में चर्चा नहीं की जा सकती. सभापति हामिद अंसारी ने भी जेटली के इस विचार से सहमति जताते हुये कहा था कि प्रश्नकाल के दौरान इस विषय को उठाने की वह अनुमति नहीं दे सकते हैं. 

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