नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्षी दलों की बैठक मंगलवार को हुई. विपक्ष की सभी पार्टियाँ गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमत हो गई है. माना जा रहा है कि उनसे चुनाव लड़ने के लिए अपील करने को विपक्ष शीघ्र ही मिलेगा . आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जेडीयू, आरजेडी, टीएमसी, सपा, बसपा समेत 18 दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए.
उल्लेखनीय है कि पीछले दिनों राष्ट्रपति चुनाव में अलग निर्णय लेने वाली जेडीयू का रुख इस बार विपक्स के साथ है और पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव बैठक में पहुंचे . राष्ट्रपति पद के लिए भी गोपाल कृष्ण गांधी को उतारने की चर्चा हुई थी लेकिन कांग्रेस की ओर से मीरा कुमार के नाम पर मुहर लगाने से उन्हें यह मौक़ा नहीं मिला. गोपालकृष्ण गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं. वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते हैं.
आज आयोजित बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सपा की ओर से नरेश अग्रवाल, बसपा की ओर से सतीश मिश्रा, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, जदयू से शरद यादव मौजूद थे.
विपक्ष की ओर से लिया गया यह निर्णय भाजपा के लिए मुश्किल खड़ा करने वाला है क्योंकि महात्मा गांधी के सबसे छोटे पौत्र गोपाल गांधी का भी गुजरात से सम्बन्ध है. इससे पीएम मोदी के लिए भी राजनीतिक रूप से इस नाम को नकारना आसन नहीं होगा. इस बार नीतीश-लालू व सपा और बसपा भी सहमत है. कांग्रेस को भी गोपाल गांधी के नाम पर आपत्ति नहीं हैं क्योंकि कांग्रेस ने ही 2004 में उनको पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था. राज्यपाल के रूप में तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने भी प्रशंसा की थी. गोपाल गाँधी को नौकरशाह से लेकर राजनयिक के रूप में अनुभवी है और लेखन और बौद्धिक जगत में भी उनकी अलग पहचान हैं.
गोपालकृष्ण गांधी भारतीय सिविल सेवक और डिप्लोमैट, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल (2004 से 2009) है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व सदस्य के रूप में, उन्होंने विभिन्न प्रशासनिक और कूटनीतिक पदों पर काम किया जबकि भारत के राष्ट्रपति के सचिव के रूप में और दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के उच्चायुक्त के रूप में भी देश सेवा की।