रोजे शुरू, मस्जिदों में रौनक बढी, दिन के समय खाने पीने की दुकाने बंद

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यूनुस अलवी

मेवात:रविवार से पाक महिने रमजान में रखे जाने वाले रोजे शुरू हो गये। प्रदेश में मेवात मुस्लिमबहुल क्षेत्र हैं, यहां रमजान माह शुरू होते ही बाजारों में रौनक बढ जाती है। रमजान माह के पहले रोजे से ही जहां मस्जिदों में नमाजियों की तादाद बढ गई हैं, वहीं दिन के समय में चाय के खोखे, दुकाने और खाने पीने की होटलें 99 फीसदी बंद कर दी गई हैं । केवल खाने कि होटल ही शाम को खोली जाती हैं। इसके अलावा लोग शाम को रोजे की इफ्त्यारी की तैयारी (यानि रोजा खोले)में फल फ्रूट खरदीने में व्यस्त हो जाते हैं, खजूर से रोजा खोलने का ज्यादा सवाब (पुन्य) मिलता है, इसी वजह से रमजान माह में खजूरों की बिक्री ज्यादा बढ जाती है।
 
     मोलाना याहया करीमी का कहना है कि इसलाम धर्म में रमजान माह का चांद देखने के बाद रोजे रखे जाते हैं। हर मर्द औरत पर एक माह के रोजे रखना फर्ज (जरूरी) है। जो रोजा नहीं रखता वह गुनाहगार होता है। उन्होने कहा कि दिन के समय खाना पीना मनाह है। केवल वे ही आदमी खा सकते हैं जिनकों इसलाम में रोजना ना रखने की छूट दे रखी है। उनको भी अगर खाना-पीना होता है तो वे छुप कर खाऐं। 
   हनीफ रोजेदार का कहना है कि पहले उनकी मस्जिद में 20-30 ही लोग नमाज पढने आते थे लेकिन जब से रोजे शुरू हुऐ हैं उनकी मस्जिद में नमाजियों की संख्या अनानक बढ गई है। रमजान के महिने में अधिक्तर लोग रोजा रखते हैं और नमाज पढते हैं।
 
   कस्बा पुनहाना में खाने की होटल चलाने वाले भूरू खान और पिनगवां में होटल चलाने वाले अजहरूदीन का कहना है कि रमजान के महिने में दिन में खाने पीने वालों की संख्या बहुत कम हो जाती है। दूसरे दिन के समय होटल खोलने वाले मुस्लिम समाज के लोगों को गिरी नजर से देखते हैं। इस वजह से मेवात इलाके में अधिक्तर खाने-पीने की होटले दिन के समय बंद कर दी जाती हैं।

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