हरियाणा में आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने के लिए नई नीति तैयार

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सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित करेगी सरकार 

चण्डीगढ़, 28 मई :  हरियाणा सरकार ने राज्य में आयुर्वेदा शिक्षा के लिए नये निजी संस्थानों को स्थापित करने हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए नीति का प्रारूप तैयार किया है।
इस सम्बंध में आज यहां जानकारी देते हुए मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में गुणात्मक आयुर्वेदा शिक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से यह नीति का प्रारूप तैयार किया गया है। नीति का प्रारूप भारतीय केन्द्रीय चिकित्सीय परिषद (सीसीआईएम) के अनुसार शिक्षा में मानदंड एवं एकरूपता के नियमों को सुनिश्चित करने अनुसार व्यापक नियमों व विनियमों को निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में नये आयुर्वेद कॉलेज या संस्थान स्थापित करने के लिए मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय द्वारा सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे। यह आवेदन विभाग की वेबसाइटhttp://dmerharyana.org/या समाचार पत्रों के माध्यम से आमंत्रित किये जाएंगे। विभाग द्वारा जारी सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से प्राप्त आवेदनों पर ही विचार किया जाएगा और छटनी के उपरांत अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि निजी स्वयं वित्त शैक्षणिक ट्रस्ट, चैरिटेबल ट्रस्ट या सोसाइटी, जो सम्बंधित अधिनियम के तहत पंजीकृत है और सहायता न प्राप्त करते हुए स्वयं वित्त आयुर्वेदा कॉलेज खोलने के लिए प्रस्ताव देते हैं, उन्हें सीसीआईएम में आवेदन करने से पहले ही आयुर्वेदा पाठ्यक्रमों की स्वीकृति के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने पर विचार किया जाएगा।
आवेदक द्वारा रजिस्ट्रड ट्रस्ट डीड या सोसाइटीज अधिनियम के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन की कॉपी मुहैया करवानी होगी और राज्य सरकार द्वारा बैंक गारंटी या एंडामेंट भी मुहैया करवाना होगा। यह राशि राष्ट्रीय बैंक या सरकार के उपक्रम में न्यूनतम पांच वर्ष के लिए जमा करवानी होगी। यदि यह शर्त पूरी करने में आवेदक असफल रहता है तो सरकार एनओसी को रद्द करने के लिए सशक्त होगी। आवेदक को राजस्व प्राधिकरण से पांच वर्ष के लिए 30 लाख रुपये का सोल्वेंसी प्रमाण-पत्र भी देना होगा। उन्होंने कहा कि आवेदक को चिकित्सा शिक्षा के निदेशक कार्यालय के नाम 50000 रुपये की राशि आवेदन के साथ नान-रिफण्डेबल छटनी फीस के रूप में एक पाठयक्रम के लिए डिमांड ड्राफ्ट के रूप में देनी होगी। यह डिमांड ड्राफ्ट पूर्ण आवेदन के साथ संलग्न करके निदेशक, मेडिकल शिक्षा, पंचकूला के नाम देय होगा।
हरियाणा सरकार से स्वीकृति लेने से पहले स्वयं वित्त निजी आयुर्वेदिक संस्थान, आयुर्वेदा शिक्षा में नये पाठयक्रमों और कार्यक्रमों का संलग्न और सीटों की संख्या में बढ़ौतरी या बदलाव की प्रक्रिया भी की जाएगी। अनापत्ति प्रमाण-पत्र का प्रत्येक पांच वर्ष के बाद नवीकरण किया जाएगा। परंतु सरकार द्वारा रद्द या आवेदक द्वारा वर्तमान नीति के अंतर्गत एनओसी को वापिस न लिया गया हो। उन्होंने बताया कि इस प्रारूप नीति को विभाग की वेबसाइट http://dmerharyana.org/ पर सुझावों और टिप्पणियों के लिए अपलोड किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि हितधारकों व आम जनता से 15 जून, 2017 तक ईमेल [email protected] या डाक के माध्यम से भी सुझाव आमंत्रित किये गए हैं। हितधारक अपने सुझाव डाक के माध्यम से मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय, एससीओ नम्बर 7, सैक्टर 16, पंचकूला को भेज सकते हैं। प्रवक्ता ने बताया कि सभी सम्बंधित हितधारक व आम जनता इस पूरी प्रारूप नीति को विभाग की वेबसाइट http://dmerharyana.org/ पर देख सकते हैं।

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