पहलू की हत्या से मुस्लिम समाज आहत है !

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: मुस्लिम समाज गाय पालना छोड सकता है,  जल्द महापंचायत में होगा फैंसला
: रूपडिया पाल के चौधरी और पूर्व विधायक ने लिया फैंसला
: गाय का कारोबार अब तक करीब 10 लोगों की ले चुका है जान

यूनुस अलवी

पहलू की हत्या से मुस्लिम समाज आहत है ! 2मेवात:      राजस्थान के बहरोड में मेवात के गांव जयसिंहपुर निवासी पहलू कि कि गई निर्मम हत्या के बाद मेवात का मुस्लिम समाज अपने आप को असुरिक्षत सा महसूस करने लगा है। हर मुस्लिम गोपालक को गोहत्यारा समझा जा रहा है। गाय का कारोबार अब तक मेवात के करीब दस मुस्लिम लोगों की जान ले चुका है। मुस्लिम समाज गाय पालना छोड सकता है इसका जल्द ही पलवल जिले के हथीन में होने वाली महापंचायत में फैंसला होगा। इस महापंचायत में हिंदु और मुस्लिम गौत्र-पाल के प्रमुख लोगों को न्योता दिया जाऐगा। महापंचायत बुलाने कि बात हथीन से पूर्व विधायक मास्टर अजमत खां ने खासबातचीत में कबूल की है। पूर्व विधायक ने अपना दर्द सोमवार को गांव जयसिंहपुर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तवंर कि उपस्थिति में सैंकडों लोगों कि पंचायत पर व्यक्त किया।

    मेवात का मुस्लिम समाज सदियों से गाय पालन का काम करता आ रहा है। गाय-भैंस मेवात कि रोजी रोटी से जुडा हुआ है। यहां के गरीब और किसान गाय-भैंस का दूध बैचकर अपना गुजारा करते हैं। मेवात के 75 फीसदी मुस्लिम घरों में गाय पाई जाती है। मेवात में करीब 300 परिवार ऐसे हैं जिनके पास 20 से 200 तक गायें आज भी मौजूद हैं। दो साल पहले मेवात के एक दर्जन से अधिक मुस्लिम गोपालकों को फिरोजपुर झिरका में सम्मानित भी कर चुके हैं। मेवात में गाय एक आस्था का केंद्र हैं। बहुत से लोग आज भी भात, छूछक में बेटियों को दान में गाय देते हैं। इन सब के बावजूद भी मेवात के लोगों पर गोहत्या का कलंक लगा हुआ है।

 

मुस्लिम गोशाला संचालक का दर्द

मेवात के गांव हवननगर स्थित जीवरक्षा गोशाला को एक शिक्षित मुस्लिम युवक पिछले दो साल से चला रहा है। गोशाला संचालक आबिद हुसैन ने बताया कि उसने सिविल इंजिनियरिंग कि हुई है। उसने मुस्लिमों के सिर से गोहत्या का कल्ंक मिटाने कि नियत से दो साल पहले गोशाला शुरू की थी।  पिछले दो साल में मेवात कि अन्य गोशालाओं को सरकार कि ओर से कई-कई लाख रूपये अनुदान के आ चुके हैं और उसे पशुपालन विभाग कि ओर से तीन किस्तों में केवल 18 हजार रूपये ही मिले हैं। उनकी गोशाला को हिंदु समाज के लोग आज भी यही कहते हैं कि मुसलमानों को गोपालने से कोई मतलब नहीं बल्कि ये तो गोशाला कि आड में गोहत्या करते हैं। उन्होने बताया कि गोशाला में ऊंट रखने का एक लाख रूपये का खर्चा आया था डीसी ने आज तक वो पैसा नहीं दिया इसके अलावा एक साल पहले आंधी में गोशाला कि टीन टूट गई काफी नुकसान हो गया उसका खर्चा प्रशासन ने एक पैसा भी नहीं दिया। इससे साफ जाहिर है कि अधिकारी और हिंदु समाज के लोग नहीं चहाते कि कोई भी मुस्लिम गाय की सेवा का श्रेय ले।

क्या कहते हैं पूर्व विधायक ? 

   हथीन से पूर्व विधायक अजमत खां ने बताया कि बताया कि आरएसएस और बीजेपी के लोगों ने मेवात के मुसलमानों को गोहत्यारा साबित करने में कोई कसर नहीं छोडी है। अगर आज कोई आदमी अपनी गाय को जंगल में चराने के लिये ले जाता है तो उसे भी यही समझा जाता है कि इसकी हत्या करने के लिये ले जाया जा रहा है। उन्होने बताया कि गांव उटावड में तीन, जयसिंहपुर में पहलू और तावडू के दो लडकों सहित अब तक करीब 10 मुस्लिम गोहत्या के नाम पर मारे जा चुके हैं। अब तो मेवात के मुसलमानों को गाय पालने से भी डर लग रहा है। मेवात का हर आदमी गोहत्यारा नजर आ रहा है। जबकी मेवात में प्रतिशत में नहीं बल्कि चंद लोग गोहत्या से जुडे हैं। ऐसे लोगों का कई बार बहिष्कार भी किया जा चुका है। उन्होने कहा कि अब मेवात का मुस्लिम गोपालने को छोडने जा रहा है। इसके लिये वह जल्द ही हथीन में एक हिंदु-मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों कि महापंचायत करने जा रहे हैं। पंचायत में हिंदु समाज के प्रमुख लोगों के सामने अपना दर्ज ब्यां करेगें। उनहोने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो मेवात का आपसी भाईचारा कभी भी खत्म हो सकता है।

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