2019 तक राजस्व घाटा जीरो करने का लक्ष्य : कैप्टन अभिमन्यु

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हरियाणा विधान सभा में बजट अनुमानों पर चर्चा का वित्त मंत्री ने दिया जवाब 

चण्डीगढ़ : -हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि प्रदेश का राजस्व घाटा कांग्रेस के कार्यकाल में 1.9 प्रतिशत था, जिसे भाजपा सरकार ने वर्ष 2017-18 में 0.94 प्रतिशत प्रस्तावित किया है और इसे वर्ष 2019 तक जीरो प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। कैप्टन अभिमन्यु आज यहां हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान राज्य के बजट अनुमानों के प्रस्तावों पर सदस्यों द्वारा रखे गये सुझावों व प्रतिक्रियाओं का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान वर्ष 2012 मेें ही प्रदेश का राजस्व घाटा जीरो हो जाना चाहिए था, लेकिन वर्ष 2014-15 में इस घाटे में 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 8319 करोड़ रुपये था। वर्ष 2015-16 में यह घटकर 7787 करोड़ रुपये और 2016-17 में यह घाटा 7266 करोड़ रुपये हो गया और वर्ष 2017-18 मेें यह घाटा 5816 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि राजस्व घाटा, वित्तीय घाटा, कुल देनदारी तीनों अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने वित्तीय घाटे के सम्बन्ध में बताया कि वर्ष 2013-14 मेें यह घाटा 8314 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2014-15 मेें कांग्रेस सरकार ने 12,580 करोड़ रुपये बढ़ा दिया। यह घाटा लगभग 51 प्रतिशत तक बढ़ाया गया। टीआरआर प्राप्तियों के तहत नये ऋण लेने में जो पूंजीगत खर्च में वर्ष 2014-15 के निर्धारित मानदंडों के भीतर 42.87 प्रतिशत था, जिसे भाजपा सरकार ने वर्ष 2015-16 में 50.4 प्रतिशत बढाया और वर्ष 2017-18 के लिए इसे 88.26 प्रतिशत पंूजीगत खर्च मेें रखने का लक्ष्य रखा गया है अर्थात जो राशि जिस काम के लिए उधार में ली जाएगी, उसे उसी काम के लिए अधिक से अधिक खर्च किया जाएगा, लेकिन कांग्रेस कार्यकाल के दौरान यह राशि जिस मद के लिए ली जाती थी, उस राशि को उसी मद में खर्च नहीं किया जाता था।

 

वित्तमंत्री ने कहा कि प्रतिव्यक्ति वृद्धि में भी हरियाणा ने वृद्धि दर्ज की है और वर्ष 2014-15 मेें यह वृद्धि 7.36 प्रतिशत थी, जो भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2016-17 में बढक़र 11.2 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में यह वृद्धि 11.23 प्रतिशत प्रस्तावित की गई है। इसी प्रकार, प्रति व्यक्ति कर्ज के मामले में भी वर्तमान सरकार ने उपलब्धि हासिल करते हुए इसे कम किया है। उन्होंने बताया कि प्रति व्यक्ति कर्ज में वर्ष 2012-13 के दौरान 20.66 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2016-17 में 15.63 प्रतिशत तक आ गई। उन्होंने कहा कि बजट अनुमानों में वर्ष 2017-18 के अन्दर प्रतिव्यक्ति कर्ज को 15.46 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि विमुद्रीकरण से प्रदेश में वैट के संग्रहण में कोई असर दिखाई नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष नवम्बर, 2016 के दौरान वैट संग्रहण 16.7 प्रतिशत वृद्धि के साथ हुआ, जबकि दिसम्बर 2016 में वैट संग्रहण में 12.88 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई हैं। इसी प्रकार, कृषि और उससे सम्बद्ध क्षेत्रों के बजट में भी वृद्धि की गई है। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों के लिए जो वर्ष 2016-17 के बजट में कुल बजट का 2.9 प्रतिशत था परंतु वर्ष 2017-18 के बजट में 3.31 प्रतिशत रखा गया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वर्ष 2016-17 के अन्दर 3.50 प्रतिशत था, जो वर्ष 2017-18 के बजट में 4.8 प्रतिशत रखा गया है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश सरकार ने कर रहित एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट प्रावधान प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बताया कि जीडीपी जो वर्ष 2014-15 मेें कांग्रेस कार्यकाल के दौरान 5.7 प्रतिशत थी, उसे भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 मेें 8.7 प्रतिशत और वर्ष 2017 में 9 प्रतिशत तक किया है। इसी प्रकार, प्रदेश के 2 करोड़ 53 लाख लोगों की प्रतिव्यक्ति आय में भी इजाफा किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में यह प्रतिव्यक्ति आय वृद्धि 4 प्रतिशत थी, वर्ष 2015 में 7.5 प्रतिशत और वर्ष 2017 में 7.2 प्रतिशत प्रोजैक्ट की जा रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि विकास दर, जो कांग्र्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2014-15 में -2 प्रतिशत तक घट गई थी, उसे भाजपा की वर्तमान सरकार ने वर्ष 2016-17 में 7 प्रतिशत की वृद्धि पर ला कर खड़ा किया है और इससे प्रतिव्यक्ति लाभ में भी वृद्धि हुई है, जो अब प्रतिव्यक्ति लाभ 11 प्रतिशत है।
वित्तमंत्री ने कहा कि 14वें वित्तीय आयोग में वित्तीय मानदण्डों के अनुसार हरियाणा के सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीएसडीपी का ऋण 25 प्रतिशत तक ले सकता है और यह नियम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान भी थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा की बेहतर वित्तीय प्रबन्धन प्रणाली है और यह देश के वित्त प्रबन्धन क्षेत्र में अग्र्रणी राज्यों में है अर्थात हरियाणा की वित्तीय स्थिति ऋण लेने के लिए बेहतर है। उन्होंने सीएजी की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा कि हरियाणा की उधार लेने की सीमा पार नहीं हुई हैै और यह सीमा निर्धारित मानदण्डों के भीतर ही है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014-15 में हरियाणा का वित्तीय घाटा 70,000 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया था और बिजली कम्पनियों के नाम से कर्ज लिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने आते ही इन बिजली कम्पनियों का 25,950 करोड़ रुपये का घाटा टेकओवर किया और जो पहले लिया हुआ कर्ज था, उससे सस्ता कर्ज किया जिससे ब्याज के 810 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। इसके साथ-साथ 2800 करोड़ रुपये प्रति वर्ष बिजली कम्पनियों को कम देने पड़े। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रबन्धन के चलते हरियाणा सरकार ने पिछले कांग्रेस कार्यकाल के काफी गड्ढों को भरा है और वर्तमान सरकार सस्ता कर्ज लेकर के प्रदेश की जनता का पैसा बचा रही है।
उन्होंने बताया कि कुल जीडीपी का राजस्व जिसमें टैक्स और नॉन टैक्स दोनों होते हैं और खजाने में जो प्राप्तियां होती हैं और ये प्राप्तियां 75:25 में होती हैं, उसके सन्दर्भ में बताया कि कुल जीडीपी में प्राप्तियां वर्ष 2014-15 में 9.33 प्रतिशत थीं, जो वर्ष 2015-16 में बढक़र 9.80 प्रतिशत हो गई और वर्ष 2017-18 में इसे 11.12 प्रतिशत प्रोजैक्ट किया जा रहा है, जो 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत में वैट का लाभ कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान मिला। वर्ष 2006-07 में जीडीपी का 13.95 प्रतिशत था और अगर यह क्रम लगातार रहता तो सरकार को 95,000 करोड़ रुपये की प्राप्तियां होती, जो प्राप्त नहीं हुई।

 
ऋण पर ब्याज का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि ऋण पर सालाना ब्याज जो वर्ष 2014-15 में 17 प्रतिशत था अर्थात कुल राजस्व का 17 प्रतिशत ब्याज में चला जाता था उसे वर्तमान भाजपा सरकार ने 14.3 प्रतिशत किया है। इसी प्रकार, ऋण की वृद्धि दर में भी सुधार किया गया है। वर्ष 2010-11 में यह दर 21 प्रतिशत थी, वर्ष 2011-12 में यह 20.9 प्रतिशत थी, वर्ष 2013-14 में 25.5 प्रतिशत थी और वर्ष 2014-15 मेें 24.5 प्रतिशत दर्ज की गई और सरकार के प्रयासों से वर्ष 2017-18 में इसे 20.7 प्रतिशत तक सुधार लाया गया है।
उन्होंने कहा कि डैप्ट ट्रैप का मतलब जब कोई ब्याज या मूल अदा न कर पाए उसे डैप्ट ट्रेप कहा जाता है, लेकिन एक हरियाणा के सांसद ने ट्वीट किया कि 11,000 करोड़ रुपये सालाना ब्याज में चले जाते हैं, परंतु यह ब्याज उनके समय का उधार लिए गये ऋण का ब्याज है, लेकिन सरकार ने जीडीपी की तुलना में इसे घटाया है और इसके साथ-साथ देनदारियों को भी घटाया है। उन्होंने कहा कि सर छोटू राम, जो एक महान क्रांतिकारी समाज सुधारक थे, के नाम से दीन बन्धु हरियाणा उदय ग्राम योजना को शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि सर छोटू राम ने कई क्रांतिकारी लड़ाइयां लड़ी और उन्होंने समाज के हित के लिए उन्होंने कई बड़े काम किए। किसानों को साहुकारों के चंगुल से छुड़ाने के लिए वर्ष 1938 में एक अधिनियम पास करवाया। इसी प्रकार, कृषि मंडी अधिनियम 1938 में, व्यापक श्रमिक अधिनियम 1940 में और कर्ज माफी अधिनियम 1934 में पास करवाया।
उन्होंने बताया कि सर छोटू राम ने हरियाणा के लोगों की लड़ाई लडऩे के लिए राजा बिलासपुर के साथ समझौता किया और भाखड़ा नंगल डैम बनवाया। उन्होंने कहा कि असल में वे हरियाणा के निर्माता थे, वे हिन्दी आंदोलन के लिए जेल में भी गये और वे हरियाणा ग्रामीण विकास के मसीहा बनकर भी आए। उन्होंने कहा कि राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा० मंगल सेन के नाम से भी मंगल नगर विकास योजना को भी शुरू किया गया है, जिसे उन्होंने लोगों को समर्पित किया।
इसी प्रकार, पुलिस के बजट के सम्बन्ध में कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि वर्ष 2016-17 में पुलिस का बजट 3838 करोड़ रुपये रखा गया है, वहीं पीपीपी मोड के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन, एमआरआई और विभिन्न सडक़ों का निर्माण पीपीपी मोड के आधार पर हो रहा है।
वित्तमंत्री के वक्तव्य के पश्चात सदन के पटल पर रखे गये बजट अनुमानों को पास किया गया।वित्तमंत्री ने आज अपने वक्तव्य के दौरान बीच-बीच में शायरी भी की और इस शायरी में उन्होंने विपक्ष को जवाब भी दिए। उन्होंने विधायक किरण चौधरी के सवाल के जवाब में कहा, ‘ले गया मेरी जान रूठ कर जाना तेरा, इससे अच्छा तो था न आना तेरा।’ वित्त मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘उसे लगता है उसकी चालाकियां मुझे समझ नहीं आती, मैं देखता हूं अपनी नजरों से उसे गिरता हुआ।’ इसी प्रकार, पिछली कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष करते हुए अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा, ‘चमन को सीचते हुए कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी, ये इलजाम है मुझपर, लेकिन जिन्होंने रोंद डाला चमन को वही चमन की रहनुमाई की बात करते हैं।’ अंत में उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा ‘हम तो दरिया हैं हमें अपना हुन्नर मालूम है, हम जिधर से गुजरेंगे, रास्ता बन जाएगा।’

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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