वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने जनता पर कोई नया बोझ नहीं डाला

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बायो डीजल व सोलर सिस्टम के उपकरण से वैट हटाने की घोषणा 

चण्डीगढ़, 6 मार्च :  हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा वर्ष 2017-18 के लिये आज विधानसभा में पेश किये गये 102329.35 करोड़ रुपये के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बायो डीजल (बी-100) और सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना में इस्तेमाल होने वाले सौर उपकरणों एवं कलपुर्जों को वैट से छूट देकर कर-मुक्त किया गया है।

लगातार अपना तीसरा बजट पेश करते हुए कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह संशोधित अनुमान 2016-17 के 90412.59 करोड़ रुपये पर 13.18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बजट परिव्यय में 22393.51 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च और 79935.84 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय शामिल है जोकि क्रमश: 21.88 प्रतिशत और 78.12 प्रतिशत है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब खाद्यान्न खरीद कार्यों को छोडक़र, बजट ने एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।

योजनागत और गैर योजनागत वर्गीकरण को समाप्त करने, पूंजीगत और राजस्व खर्च तथा ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों का वर्गीकरण करने जैसी कुछ नई पहलों के साथ इस बजट में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये अवसरंचना तथा राजस्व बढ़ाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी इस्तेमाल पर बल दिया गया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें बदलाव के एक नये युग की शुरूआत का संदेश दिया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च की बढ़ोतरी, चरणबद्ध तरीके से बजटीय प्रावधानों के साथ विभिन्न विभागों के कुछ कार्यों को हस्तांतरित करके पंचायती राज संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण, टिकाऊ अवसंरचना का निर्माण, शासन में सुधारों का सूत्रपात, डिजिटल हरियाणा पर बल और मुख्यमंत्री की घोषणाओं का क्रियान्वयन, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर बजट में विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।

बजट यह दर्शाता है कि हरियाणा की परिपक्व अर्थ-व्यवस्था सभी क्षेत्रों में मजबूत हो रही है तथा सभी मानकों पर महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद में वृद्घि, प्रति व्यक्ति आय, वित्तीय घाटा, ऋण व जीएसडीपी के अनुपात या जीएसडीपी के अनुपात में कुल राजस्व में व्यापक सुधार हुआ है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि राज्य की अर्थ-व्यवस्था पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान हावी रहे बढ़ते घाटा मानकों को बदलने में सक्षम हुई है।

वर्ष 2016-17 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, वर्ष 2017-18 में यह 9.0 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है। पिछली सरकार के गत पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान जीएसडीपी विकास दर कभी भी 9.0 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई। वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय की विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि अखिल भारतीय प्रति व्यक्ति आय 5.9 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है।

राज्य के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और सम्बद्ध क्षेत्र) ने वर्ष 2014-15 में 2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि की तुलना में वर्ष 2015-16 में 3.2 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है। वर्ष 2016-17 में इसके 7.0 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है। वर्ष 2014-15 में राजस्व घाटा, जोकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 1.90 प्रतिशत था, वर्ष 2015-16 में कम होकर 1.60 प्रतिशत हो गया और वर्ष 2016-17 में इसके 1.33 प्रतिशत रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, इसे एक प्रतिशत से भी कम करने का लक्ष्य रखा है और वर्ष 2019-20 के अंत तक लक्ष्य इसे शून्य पर लाने का है।

वित्त वर्ष 2017-18 में अधिकतर क्षेत्रों के लिये आवंटन बढ़ाया गया है। कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों (सिंचाई, सहकारिता और ग्रामीण विद्युतीकरण सब्सिडी सहित) को 12,784.72 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास एवं पंचायत के लिए 4963.09 करोड़ रुपये, शिक्षा क्षेत्र (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर, तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, खेल, कला और संस्कृति सहित) के लिए 15546.65 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3839.90 करोड़ रुपये, उद्योग एवं खनिज विकास के लिए 399.88 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास और अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए 6859.55 करोड़ रुपये, बिजली क्षेत्र के लिए 12,685.71 करोड़ रुपये, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी के लिए 3382.84 करोड़ रुपये, शहरी विकास के लिए 4973.58 करोड़ रुपये और जिला योजना के लिए 400 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया है। परिवहन क्षेत्र के लिए 2549.81 करोड़ रुपये और भवन एवं सडक़ क्षेत्र के लिए 3827.70 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि किसी भी प्रयास की सफलता समाज के वंचित वर्गों के लिए उपलब्ध करवाए गए लाभों से आंकी जाती है। मैंने वर्ष 2017-18 में एससीएसपी घटक के तहत अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए विशेष रूप से 7230 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया है जोकि विकासात्मक योजनाओं के 35885 करोड़ रुपये के परिव्यय का 20.15 प्रतिशत है।

यह बजट हरियाणा को भारतीय संघ की एक जीवंत, गतिशील और उभरती इकाई के रूप में रूपांतरित करने के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के उस विजन पर आधारित है, जहां खेतों में फसलें लहलहा रही हों, उद्योग के पहिये निर्बाध रूप से गतिशील हों, कोई भी अपने-आपको वंचित महसूस न करे, लोगों में संतुष्टि का भाव हो, युवा गर्व की भावना से ओत-प्रोत हों और अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों, समाज के कमजोर वर्गों तथा महिलाओं को न केवल सुरक्षा और समान अवसर मिलें, बल्कि वे सशक्त भी महसूस करें। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘अंत्योदय’ और ‘सरकार कम से कम-सुशासन अधिकतम’ ऐसे मार्गदर्शक सिद्धान्त हैं, जो हरियाणा को रहने के लिये एक बेहतर स्थान बनाते हैं।

उन्होंने नौ प्राथमिकता क्षेत्रों पर आधारित इस विजन को पूरा करने के उद्देेश्य से एक कार्य-योजना बनाई है। यह क्षेत्र हैं – कृषि, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, अवसंरचना, शिक्षा और आईटी शासन, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, युवा और संस्कृति का विकास।

राज्य सरकार ने प्रदेश में उत्तरदायी, पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन उपलब्ध करवा कर व्यवस्था-परिवर्तन के एक नए युग का सूत्रपात किया है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) इस दिशा में एक प्रमुख कदम है, जिसके तहत विभिन्न कल्याण सबसिडी वाली योजनाओं के तहत अपात्र लाभार्थियों को निकालकर अब तक लगभग 571 करोड़ रुपये की बचत की गई है।

पढ़ी-लिखी पंचायतों का चुनाव, एचसीएस अधिकारियों से लेकर पुलिस कर्मियों तक सरकारी नौकरियों में पूर्णत: योग्यता आधार पर पारदर्शी भर्ती, ऑनलाइन शिक्षक स्थानांतरण नीति, सीएम विंडो के माध्यम से लोगों की शिकायतों का प्रभावी निवारण, समय पर, पारदर्शी और परेशानी-मुक्त तरीके से कम्प्यूटर के एक क्लिक पर 24 विभागों की लगभग 170 ई-सेवाओं का प्रावधान, शासन में बदलाव के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि बजट प्रस्तावों को अंतिम रूप देते समय मैंने ‘‘सबका साथ-सबका विकास’’ के सिद्धान्त के अनुसार हमारे प्रगतिशील राज्य के समाज के सभी वर्गों के हितों को संतुलित करने का प्रयास किया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि आम जनता के लिए विकास के एजेंडे के मामले में सबको एक साथ लेकर चलना वर्तमान सरकार की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।

उन्होंने कहा कि मेरा बजट अभिभाषण बड़े ध्यान व धैर्य से सुनने के लिए तथा आपके द्वारा दिए गए सहयोग के लिए, मैं इस गरिमामय सदन के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूँ। कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि मैं हरियाणा को चहुंमुखी विकास, समृद्धि और लोगों की भलाई के मामले में नई ऊचाइयों पर ले जाने के लिए राजनैतिक एवं वैचारिक मतभिन्नता से ऊपर उठकर इस पर चर्चा एवं विचार-विमर्श करने और मेरे बजट प्रस्ताव को अंगीकार करने का आग्रह करता

 

बजट 2017-18 की मुख्य विशेषताएं

पहली बार

 व्यय के योजना एवं गैर-योजनागत वर्गीकरण को समाप्त करना।

 बजट को राजस्व एवं पूंजीगत वर्गीकरण के रूप में प्रस्तुत करना।

 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए निधि प्रवाह बारे एक स्पष्ट दृष्टिकोण रखने के उद्देश्य से संसाधनों के आवंटन को यथासम्भव ग्रामीण और शहरी श्रेणियों में वर्गीकृत करना।

आर्थिक स्थिति – सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी)

 सकल राज्य घरेलू उत्पाद ने स्थिर मूल्यों (2011-12) पर वर्ष 2014-15 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2015-16 में 9.0 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर्ज की गई।

 वर्ष 2016-17 में भी सकल राज्य घरेलू उत्पाद 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2017-18 में यह 9.0 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है।

 पिछली सरकार के गत पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान जीएसडीपी विकास दर कभी भी 9.0 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई। यह वर्ष 2010-11 में 7.4 प्रतिशत, 2011-12 में 8.0 प्रतिशत, 2012-13 में 7.7 प्रतिशत, 2013-14 में 8.2 प्रतिशत और 2014-15 में 5.7 प्रतिशत तक कम हो गई थी।

 वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय की विकास दर 5.8 प्रतिशत के अखिल भारतीय आंकड़े की तुलना में 4.0 प्रतिशत थी। प्रति व्यक्ति आय की विकास दर वर्ष 2015-16 में 6.6 प्रतिशत के अखिल भारतीय आंकड़े की तुलना में 7.5 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय की विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि अखिल भारतीय प्रति व्यक्ति आय 5.9 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है।

 प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और सम्बद्ध क्षेत्र) ने वर्ष 2014-15 में 2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि की तुलना में वर्ष 2015-16 में 3.2 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है। इसके 7.0 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है।

 द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग) ने वर्ष 2015-16 में 7.7 प्रतिशत की ठोस वृद्धि दर्ज की है, जबकि वर्ष 2014-15 में यह मात्र 2.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र की विकास दर 6.1 प्रतिशत अनुमानित है।

 तृतीयक (सेवा) क्षेत्र ने वर्ष 2015-16 में 10.9 प्रतिशत की आकर्षक विकास दर दर्शायी है, जबकि वर्ष 2014-15 में यह 10.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र की विकास दर 10.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

 सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 49.6 प्रतिशत से बढक़र वर्ष 2015-16 में 50.7 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 में 51.7 प्रतिशत हुई है।

 द्वितीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी गत तीन वर्षों के दौरान लगातार कमोबेश 30 से 31 प्रतिशत के बीच रही।

 प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी में गिरावट का रुख रहा, जो वर्ष 2014-15 में 19.3 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2015-16 में 18.3 प्रतिशत और 2016-17 में 18.1 प्रतिशत रही।

राजकोषीय मापदंड

 वर्ष 2014-15 में राजस्व घाटा, जोकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 1.90 प्रतिशत था, वर्ष 2015-16 में कम होकर 1.60 प्रतिशत हो गया और वर्ष 2016-17 में इसके 1.33 प्रतिशत रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, इसे एक प्रतिशत से भी कम करने का लक्ष्य रखा है और वर्ष 2019-20 के अंत तक इसे शून्य पर लाने का लक्ष्य है।

 राजकोषीय घाटा 14वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों के लिए निर्धारित की गई सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अंदर रहा। वर्ष 2015-16 में, राज्य का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.92 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 2016-17 में इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.49 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। आगामी वर्ष के दौरान, इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.61 (उदय के बिना) से 2.84 प्रतिशत (उदय के साथ) के बीच रहने की संभावना है।

 सकल राज्य घरेलू उत्पाद अनुपात पर ऋण 25 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अंदर रहा। यह ‘उदय’ के बिना वर्ष 2014-15 में 16.21 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में 17.40 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 (संशोधित अनुमान) में 18.08 प्रतिशत तथा ‘उदय’ के साथ वर्ष 2015-16 में 20.96 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 (संशोधित अनुमान) में 22.82 प्रतिशत रहा। वर्ष 2017-18 में ‘उदय’ के बिना 18.74 प्रतिशत और ‘उदय’ के साथ 22.93 प्रतिशत रहने की संभावना है।

 सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में कुल राजस्व प्राप्तियां वर्ष 2016-17 में 11.02 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में ये 9.80 प्रतिशत और वर्ष 2014-15 में 9.33 प्रतिशत थी। यह एक अति महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसका राज्य संसाधनों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

 वर्ष 2017-18 के बजट अनुमानों में 68810.88 करोड़ रुपये की कुल राजस्व प्राप्तियां प्रस्तावित की गई हैं, जिनमें 51711.52 करोड़ रुपये की कर प्राप्तियां और 17099.36 करोड़ रुपये का गैर-कर प्राप्तियां शामिल हैं। यह वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2017-18 में कुल राजस्व प्राप्तियों में 14.06 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2017-18 में, कुल राजस्व प्राप्तियां, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 11.12 प्रतिशत रहने की संभावना है।

 कुल राजस्व प्राप्ति अनुपात पर ब्याज भुगतान वर्ष 2014-15 में 16.98 प्रतिशत था, जो वर्ष 2015-16 में बढक़र 17.42 प्रतिशत हो गया। हालांकि, वर्ष 2016-17 में यह घटकर 15.94 प्रतिशत रह गया है। वर्ष 2017-18 में इसके लगभग 16.36 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

पंूंजीगत खर्च

 वर्ष 2015-16 के 6780.12 करोड़ रुपये के कुल पूंजीगत खर्च के समक्ष, संशोधित अनुमान 2016-17 में 9.6 प्रतिशत बढक़र यह 7432 करोड़ रुपये हो गया। आगामी वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, इसे संशोधित अनुमान 2016-17 पर दोगुना करके 14932 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।

 इसके अतिरिक्त, वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों द्वारा 4725 करोड़ रुपये खर्च करने की सम्भावना है। इसलिए, वर्ष 2017-18 में कुल पूंजीगत खर्च 19657 करोड़ रुपये अनुमानित है।

ग्रामीण-शहरी वर्गीकरण

 वर्ष 2016-17 में ग्रामीण क्षेत्रों में 8 विभागों द्वारा किये गये खर्च को चिह्निïत किया गया।

 मौलिक शिक्षा विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अपना 91 प्रतिशत परिव्यय (7296 करोड़ रुपये) खर्च करने का अनुमान है।

 माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 88 प्रतिशत (3870 करोड़ रुपये)

 महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 87 प्रतिशत (1050.52 करोड़ रुपये)

 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा 70 प्रतिशत (2947 करोड़ रुपये)

 अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग द्वारा 43 प्रतिशत (331 करोड़ रुपये)

 जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 38 प्रतिशत (513 करोड़ रुपये)

 इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 33 प्रतिशत (28 करोड़ रुपये)

 उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा 17 प्रतिशत (288 करोड़ रुपये) खर्च किये जाने की संभावना है।

 कहने की आवश्यकता नहीं है कि कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सिंचाई विभाग को किया गया व्यापक आवंटन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है।

 संभावना है कि आगामी वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटन में और वृद्धि होगी।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की समीक्षा

 कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के 22 उपक्रमों में से 15 उपक्रमों ने वर्ष 2013-14 में 13 उपक्रमों की तुलना में वर्ष 2015-16 में 299.85 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।

 इन 13 उपक्रमों द्वारा 803.92 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया गया।

 घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 में नौ से कम होकर 2015-16 में छ: रह गई।

 इनका घाटा वर्ष 2013-14 में 3806.38 करोड़ रुपये से 78.67 प्रतिशत कम होकर वर्ष 2015-16 में 811.63 करोड़ रुपये रह गया।

 सहकारी समितियां अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के 19 उपक्रम भी अपने घाटे को कम करने में सफल रहे हैं, जिससे सुधार के संकेत मिले हैं।

 घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 में 13 से कम होकर 2015-16 में 11 रह गई तथा इनका घाटा वर्ष 2013-14 में 435.39 करोड़ रुपये से कम होकर 2015-16 में 407.70 करोड़ रुपये रह गया।

 लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या पांच से बढक़र छ: हुई है। कुल संचित लाभ वर्ष 2015-16 में बढक़र 468.02 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2013-14 में यह 451.07 करोड़ रुपये था।

 विशेष कानूनों के तहत पंजीकृत पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन में भी काफी सुधार हुआ है, क्योंकि ये उपक्रम अपने घाटे को वर्ष 2013-14 में 398.79 करोड़ रुपये से कम करके 2015-16 में 39.43 करोड़ रुपये करने में सक्षम रहे हैं।

बजट 2017-18

 वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 102329.35 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया गया, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 90412.59 करोड़ रुपये पर 13.18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

 ऐसा पहली बार हुआ है, जब खाद्यान्न खरीद कार्यों को छोडक़र, बजट ने एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।

 102329.35 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय में 22393.51 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च और 79935.84 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय शामिल है जोकि क्रमश: 21.88 प्रतिशत और 78.12 प्रतिशत है।

नई योजनाएं

 शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर तीन वर्ष के अंदर चरणबद्ध ढंग से आवश्यक भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना सुविधाएं उपलब्ध करवा कर 3000 से 10,000 तक की आबादी वाले लगभग 1500 गांवों के विकास के लिए 5000 करोड़ रुपये के परिव्यय से हरियाणा के महान नेता रहबरे आज़म स्वर्गीय चौधरी छोटू राम जी के नाम पर ‘‘दीनबंधु हरियाणा ग्राम उदय योजना’ के नामक एक नई योजना शुरू करने का प्रस्ताव। वर्ष 2017-18 के लिए, इस योजना हेतु 1200 करोड़ रुपये आवंटित किये गए।

 शहरी क्षेत्रों में आधुनिक अवसंरचना के सृजन और मौजूदा अवसंरचना के रख-रखाव के लिए, हरियाणा के महान नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ. मंगल सेन के नाम से नई योजना ‘‘मंगल नगर विकास योजना’’ शुरू करने का प्रस्ताव। वर्ष 2017-18 में इस योजना के लिए आरंभ में 1000 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित किया गया।

 5000 रुपये से अधिक के सभी सरकारी भुगतान केवल डिजिटल पद्धति से किए जाने का निर्णय लिया गया। भीम एप्प के माध्यम से बिजली निगमों के बिल भुगतान और अन्य सरकारी भुगतान पर पांच प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 50 रुपये होगी।

 अपने सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निर्बाध एवं त्वरित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए, सरकार राज्य के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए ‘‘कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना’’ शुरू करने की संभावनाएं तलाशने की इच्छुक है।

 सार्वजनिक परिसंपत्तियों के सुदृढ़ीकरण के लिए एक समर्पित ‘‘परिसम्पत्ति संवर्धन कोष’’ सृजित करने का प्रस्ताव।

 राज्य संसाधनों का परिसम्पत्ति मानचित्रण करने तथा सभी सार्वजनिक परिसम्पत्तियों का एक रजिस्टर तैयार करने के लिए राजस्व विभाग में एक समर्पित परिसम्पत्ति प्रबंधन प्रकोष्ठ बनाया जा रहा है।

क्षेत्रवार आवंटन

कृषि और संबद्ध क्षेत्र

 वर्ष 2017-18 के दौरान कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए 3206.01 करोड़ रुपये का आवंटन, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 2698.80 करोड़ रुपये से 18.79 प्रतिशत अधिक है।

 इसमें कृषि के लिए 1516.01 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 746.88 करोड़ रुपये, बागवानी के लिए 396.93 करोड़ रुपये, वनों के लिए 457.62 करोड़ रुपये और मत्स्य पालन के लिए 88.57 करोड़ रुपये का परिव्यय शामिल है।

सिंचाई और जल संसाधन

 वर्ष 2017-18 के लिए, सिंचाई और जल संसाधनों के लिए परिव्यय को संशोधित अनुमान 2016-17 के 2397.68 करोड़ रुपये से 13.62 प्रतिशत बढ़ाकर 2724.26 करोड़ रुपये किया गया।

ग्रामीण विकास

 वर्ष 2017-18 के दौरान ग्रामीण विकास, सामुदायिक विकास तथा पंचायतों के लिए 4963.09 करोड़ रुपये के आवंटन, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 3167.55 करोड़ रुपये पर 56.69 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि है।

स्वास्थ्य

 वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए 3839.90 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 में 3323.95 करोड़ रुपये के परिव्यय पर 15.52 प्रतिशत की वृद्धि है।

शिक्षा

 बजट अनुमान 2017-18 में शिक्षा ( मौलिक, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा) के लिए 14005 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय का प्रस्ताव, जोकि संशोधित बजट प्रावधान 2016-17 के 11825.67 करोड़ रुपये पर 18.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

तकनीकी शिक्षा

 बजट अनुमान 2017-18 में तकनीकी शिक्षा विभाग के लिए 487.84 करोड़ रुपये का परिव्यय।

कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण

 बजट अनुमान 2017-18 में कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के लिए 487.39 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव।

खेल एवं युवा मामले

 बजट अनुमान 2017-18 में खेलों के लिए 535.36 करोड़ के परिव्यय का प्रस्ताव, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 336.49 करोड़ रुपये की तुलना में 59.10 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

रेलवे

 हरियाणा प्रदेश में नई रेल लाइने बिछाने और रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने हेतु एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन करके रेलवे नेटवर्क को सुधारने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा रेल मंत्रालय के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके लिए बजट में पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया जा रहा है।

सौर ऊर्जा

 वर्ष 2017-18 में गैर-परंपरागत ऊर्जा विभाग के लिए 112.50 करोड़ रुपये का आवंटन, जोकि गत वर्ष के 44.26 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान परिव्यय की तुलना में 154.18 प्रतिशत अधिक है।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी

 वर्ष 2017-18 में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के लिए 3382.84 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 में 2906.52 करोड़ रुपये की तुलना में 16.39 प्रतिशत अधिक है।

परिवहन

 वर्ष 2017-18 में, परिवहन विभाग के लिए 2459.70 करोड़ रुपये का परिव्यय, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 में 2291.31 करोड़ रुपये के परिव्यय की तुलना में 7.35 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

शहरी विकास और नगर एवं ग्राम आयोजना

 शहरी विकास के लिए 4973.58 करोड़ रुपये का परिव्यय, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों के लिए 3869.63 करोड़ रुपये और नगर एवं ग्राम आयोजना के लिए 1103.95 करोड़ रुपये शामिल हैं। यह परिव्यय संशोधित अनुमान 2016-17 में 3408.16 करोड़ रुपये की तुलना में 45.93 प्रतिशत अधिक है।

उद्योग

 बजट अनुमान 2017-18 में, उद्योग और खनिज विभाग के लिए 399.88 करोड़ रुपये के परिव्यय, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 366.99 करोड़ रुपये की तुलना में 8.96 प्रतिशत अधिक है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी

 बजट अनुमान 2017-18 में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के लिए 125.56 करोड़ रुपये का परिव्यय, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 88.69 करोड़ रुपये की तुलना में 41.57 प्रतिशत अधिक है।

पर्यटन और संस्कृति

 वर्ष 2017-18 में पर्यटन के लिए 72.14 करोड़ रुपये का परिव्यय।

अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग एवं वृद्धों का कल्याण

 वर्ष 2017-18 के लिए, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के लिए 736.84 करोड़ रुपये और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के लिए 4875.47 करोड़ रुपये का परिव्यय, जोकि 2016-17 के संशोधित अनुमान से क्रमश: 7.4 प्रतिशत और 16 प्रतिशत अधिक है।

महिला और बाल विकास

 वर्ष 2017-18 में, महिला एवं बाल विकास के लिए 1247.24 करोड़ रुपये का परिव्यय, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 में 1009.66 करोड़ रुपये की तुलना में 23.53 प्रतिशत अधिक है।

जिला योजना स्कीम

 जिला योजना के तहत 400 करोड़ रुपये का परिव्यय।

सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का कल्याण

 हरियाणा राज्य के लगभग 2.50 लाख कर्मचारियों को केन्द्र सरकार की तर्ज पर सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के लाभ 1 जनवरी, 2016 से देने वाले पहले कुछ राज्यों में से एक है।

 पुलिस कर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश की शुरूआत।

 होम गार्ड कर्मियों का मानदेय 300 रुपये प्रति दिन से बढ़ाकर 572 रुपये प्रतिदिन किया गया, जो पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के बराबर है और इससे 5000 होम गार्ड लाभान्वित हुए हैं।

 ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 11,000 सफाई कर्मियों का न्यूनतम वेतन भी 10,000 रुपये तक बढ़ाया गया।

 1 जनवरी, 2017 से अनुबंध कर्मचारियों के वेतन में 14.29 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय।

 इन वृद्धियों से सरकारी खजाने पर लगभग 2500 करोड़ रुपये वार्षिक का कुल वित्तीय भार पड़ेगा।

भूतपूर्व सैनिकों के लिए नया विभाग

 भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए एक स्वतंत्र ‘‘सैनिक और अर्ध सैनिक कल्याण विभाग’’ स्थापित किया गया है।

 शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह अनुदान राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये और राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज, देहरादून में पढ़ रहे कैडेट्स को दी जाने वाली छात्रवृत्ति बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष की गई है।

 अंबाला में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का युद्ध स्मारक स्थापित किया जा रहा है, जो युवाओं में सर्वोच्च बलिदान और सेवा की भावना जागृत करेगा।

सक्षम योजना

 हरियाणा स्वर्ण जयंती के अवसर पर 1 नवंबर, 2016 को राज्य के शिक्षित युवाओं के लिए ‘‘सक्षम युवा योजना’’ नामक एक नई योजना शुरू की गई। इस योजना के तीन महत्त्वपूर्ण घटक – बेरोजगारी भत्ता, कौशल प्रशिक्षण और मानदेय हैं।

 योजना के तहत पंजीकृत पात्र स्नातकोत्तरों को 100 घंटे कार्य करने के एवज में 3000 रुपये प्रति माह की दर से बेरोजगारी भत्ता और 6000 रुपये प्रति माह की दर से मानदेय दिया जाएगा।

 इस प्रकार, वे 9,000 रुपये प्रति माह कमा सकते हैं।

 योजना के प्रति आवेदकों का गहरा रूझान रहा है। 28 फरवरी, 2017 तक कुल 18624 आवेदक पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवा चुके हैं और इनमें से पात्र आवेदकों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

 संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद, कोलकाता के सहयोग से सोनीपत में एक साईंस सिटी और अम्बाला में एक सब रीजऩल साईंस सेंटर स्थापित करने की योजना।

वस्तु एवं सेवा कर

 वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश में एक प्रमुख कराधान सुधार है, जोकि एक राष्ट्रव्यापी आईटी प्रेरित समान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है और इसके 1 जुलाई, 2017 से लागू होने की संभावना है। यह समान कराधान कानून देशभर में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति को परेशानीमुक्त बनाएगा। यह कर सुधार ‘‘एक राष्ट्र एक कर’’ की अवधारणा को भी साकार करेगा।

 वित्त वर्ष 2017-18 की प्रथम तीमाही में वैट से लगभग 8500 करोड़ रुपये का राजस्व और दूसरी से चौथी तीमाही में जीएसटी से लगभग 22000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है, जोकि 2016-17 के संशोधित अनुमान पर 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसके अलावा, राज्य आबकारी शुल्क से 6100 करोड़ रुपये, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन फीस से 3900 करोड़ रुपये और वाहनों पर कर से 2400 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने की सम्भावना है।

कर प्रस्ताव

 हरियाणा मूल्य वर्धित कर (एचवीएटी) अधिनियम, 2003 के तहत करों की वर्तमान दरों में कोई बदलाव नहीं।

 वित्त वर्ष 2017-18 के इन बजट अनुमानों में कोई नया कर नहीं।

 वास्तव में, राज्य सरकार ने बायो डीजल (बी-100) और सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना में इस्तेमाल होने वाले सोलर उपकरणों एवं कलपुर्जों को वैट से छूट देकर कर मुक्त करने का निर्णय लिया है।

क्षेत्रवार आवंटन का पुन: अवलोकन

 कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों (सिंचाई, सहकारिता और ग्रामीण विद्युतीकरण सब्सिडी सहित) को 12,784.72 करोड़ रुपये मिलने प्रस्तावित हैं।

 ग्रामीण विकास एवं पंचायत के लिए 4963.09 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित है।

 शिक्षा क्षेत्र (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर, तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, खेल, कला और संस्कृति सहित) के लिए 15546.65 करोड़ रुपये।

 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3839.90 करोड़ रुपये।

 उद्योग एवं खनिज विकास के लिए 399.88 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

 समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास और अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए 6859.55 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है।

 बिजली क्षेत्र के लिए 12,685.71 करोड़ रुपये।

 जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी के लिए 3382.84 करोड़ रुपये।

 शहरी विकास के लिए 4973.58 करोड़ रुपये।

 जिला योजना के लिए 400 करोड़ रुपये।

 परिवहन क्षेत्र के लिए 2549.81 करोड़ रुपये।

 भवन एवं सडक़ क्षेत्र के लिए 3827.70 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया गया है।

 वर्ष 2017-18 में एससीएसपी घटक के तहत अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए विशेष रूप से 7230 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है जोकि विकासात्मक योजनाओं के 35885 करोड़ रुपये के परिव्यय का 20.15 प्रतिशत है।

 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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