मतदाताओं को राईट टू रिकाल मिले : वरुण गाँधी

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संसद में पेश किया निजी विधेयक 

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के उत्तरप्रदेश से लोक सभा सांसद वरूण गांधी ने आज कहा कि मतदाताओं को राईट टू रिकाल का अधिकार मिलना चाहिए . उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता को भूमिका 5 साल में सिर्फ एक बार मतदान प्रक्रिया का हिस्सा बनने की बजाय देश की राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने में होनी चाहिए. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाए जाने जैसे प्रावधान बनाने पर विचार करने का समय अब आ गया है।

उन्होंने एक संसद में एक विधेयक पेश किया जिसमें प्रस्ताव किया गया है कि अगर मतदाता अपने सांसदों और विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें वापस बुलाया जा सकता है.  सुल्तानपुर से सांसद वरूण गांधी ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह उचित नहीं है कि मतदाता मूक दर्शक की तरह चुपचाप पीड़ित हों . उन्होंने कहा कि मतदाताओं की भूमिका देश की राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने में होनी चाहिए, न कि वे पांच साल में सिर्फ एक बार चुनाव का हिस्सा बनें.

उल्लेखनीय है कि उन्होंने जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2016 पेश किया है जिसमें कहा गया है कि अगर मतदान करने वाले 75 प्रतिशत मतदाता अपने सांसदों और विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें दो साल के अंदर वापस बुलाया जा सकता है. वरूण ने कहा कि इस विधेयक में मतदाताओं को एक अवसर देने का प्रयास किया गया है ताकि वे राजनीतिक व्यवस्था का नेतृत्व कर सकें तथा उसे नियंत्रित कर सकें.

उनके अनुसार इससे मतदाता महसूस कर सकेंगे कि वे भी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं. साथ ही वापस बुलाए जाने के संबंध में विधेयक में परिभाषित प्रक्रिया आसान नहीं है. यह प्रावधान के दुरूपयोग से बचने के लिए भी है.

भाजपा नेता ने कहा कि संभव है कि यह विधेयक पूरी तरह से सटीक नहीं हो लेकिन यह एक विचार है जिसका समय आ गया है और दुनिया के कई देशों में इस तरह के प्रयोग हो चुके हैं.

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