77 की उम्र में विदेशी महिला से हुआ प्यार, जमुई में रचाई शादी !

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नीरज कुमार 

जमुई : जर्मनी से आए एक 77 साल अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) ने बिहार के जमुई में एक 75 वर्षीय जर्मन महिला से शादी रचाई है. सोशल मीडिया पर पहले इन दोनों की मुलाकात हुई. इसके बाद दोनों में नजदीकियां बढ़ी और अब इस बुजुर्ग जोड़े ने उम्र के आखिरी पड़ाव में एक-दूसरे का हाथ थाम लिया है.
शादी के बाद बुजुर्ग भारतीय के परिजनों में खुशी है कि उम्र के इस पड़ाव में उनका साथ देने के लिए एक साथी मिल गया है. लगभग 77 साल के एनआरआई शत्रुघ्न प्रसाद जर्मनी के हैम्बर्ग में रहते हैं. शत्रुघ्न ने स्पेन की 75 साल की इडलट्रड हबीब से शादी कर ली है. कई सालों से जर्मनी में रहने वाले ये अप्रवासी जमुई जिले के गिद्धौर के धोवघट गांव के रहने वाले हैं. पत्नी की मृत्यु के बाद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह कई सालों से एकाकी जीवन गुजार रहे थे.
वहीं, स्पेन की इडलट्रड हबीब भी अपने पति की मृत्यु के बाद बीते कई सालों से अकेले ही जीवन गुजार रही थीं. सोशल मीडिया पर इन दोनों की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद इन दोनों बुजुर्गों की नजदीकियां बढ़ी. इसके बाद दोनों बुजुर्गों ने अपनी बची हुई जिंदगी एक साथ गुजारने का फैसला कर लिया.
भारत आकर शादी करने की बात पर बुजुर्ग शत्रुघ्न प्रसाद ने बताया कि परिवार के लोगों की इच्छा थी कि जमुई आकर भगवान के मंदिर मे एक-दूसरे का जीवन साथी बने. शत्रुघ्न प्रसाद के मुताबिक, जर्मनी में जमुई जैसा परिवार न होने से बची जिंदगी के अकेलेपन को दूर करने के लिए उन लोगों ने शादी करने का निर्णय लिया है.
जर्मन महिला ने बताया कि वो खुश है और उन्हें भारत अच्छा लगता है. दरअसल, इस विदेशी महिला को हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही नहीं आती हैं. ऐसे में अब ये महिला किताब लेकर हिंदी समझ रही हैं, ताकि यहां आने पर अपने परिवारवालों और रिश्तेदारों से बातचीत कर सकें.
जमुई जिले के धोवघट गांव मे जन्मे शत्रुघ्न प्रसाद सिंह अपनी पढ़ाई खत्म कर जर्मनी में ही एक एयरलाइंस में नौकरी करते थे, जो अब रिटायर होकर जर्मनी में ही रहते हैं. वहीं, इडलट्रड हबीब भी बीते कई सालों से पति की मौत के बाद एकाकी जीवन गुजार रही थी. अपनी शादी पर इन लोगों का कहना है कि उम्र के अंतिम दौर में सभी को एक साथी की जरुरत होती है. जर्मनी से जमुई पहुंचकर मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना और एक विदेशी महिला को भारतीय भाषा, भारतीय परंपरा को अपनाते देख अप्रवासी बुजुर्ग के परिजन भी बेहद खुश हैं।

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