गुरूग्राम। हर वर्ष की भांति देश का 68वें गणतंत्र दिवस समारोह आरडब्ल्यू, सेंटर ग्राउण्ड, न्यू कॉलोनी में गुरुवार को बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर आरडब्ल्यू प्रधान दलीप लूथरा ने ध्वजारोहण कर समारोह की शुरुआत की। इस मौके पर उनके साथ आरडब्ल्यू चेयरमैन सतीश आहूजा, लीगल एडवाईजर सुभाष ग्रोवर एडवोकेट, महासचिव संजय मदान, उप प्रधान ओपी मुंजाल, चौ. चंद्रप्रकाश, इंद्रजीत अबरोल, ओपी नागपाल, बीके चोपड़ा, नारायण दास खुराना, मदनलाल सतीजा, राजकुमार, राजेश चांदना सहित क्षेत्रवासी भी बड़ी सं या में मौजूद रहे। आरडब्ल्यू पदाधिकारियों ने सेंटर ग्राउंड परिसर में पौधारोपण भी किया।
इस अवसर पर आरडब्ल्यू प्रधान दलीप लूथरा ने समारोह को संबोधित करते हुए भारत के गणतंत्र के बारे में बताते हुए कहा कि भारत की आजादी के करीब ढाई साल बाद देश संविधान लागू किया गया था और खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया। 26 जनवरी 1950 को संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया। भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। देश को एक समान प्रभुत्वा संपन्न, जन-जन की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस दिन का महत्व आज और भी अधिक प्रासंगिक है कि हम धर्म, जाति, संप्रदाय और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर देशहित के बारे में सोचें, क्योंकि भी व्यक्ति, समुदाय और समाज देश से बड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा कि देश की आजादी शहीदों की देन है। आज अगर हम आजादी की सांस ले रहे हैं तो यह सब उन वीर शहीदों की कुर्बानियों का ही परिणाम है, जिन्होंने अपने घर-परिवार का मोह त्यागकर केवल और केवल अपने देश के बारे में सोचा और हमें आजादी दिलाई।
आरडब्ल्यू चेयरमैन सतीश आहूजा ने कहा कि आज के देश के स मुख अनेक चुनौतियां हैं। इनमें आंतरिक सुरक्षा, जातिवाद व बढ़ते अपराध शामिल हैं। हम सब इन चुनौतियों का मुकाबला तभी कर सकते हैं, जब हम सब एकजुट हों और देशहित में सोचें। देश को आजादी अनगिनत शहीदों और लोगों के त्याग और समर्पण भावना से मिली है। हम अपनी संप्रभुता को तभी सुरक्षित रख सकते हैं, जब एकजुट हों। उन्होंने कहा कि आओ सब लोग संकल्प लें कि भारत देश की एकता और अखंडता को अक्षुण रखें।
लीगल एडवाईजर सुभाष ग्रोवर एडवोकेट ने बताया कि भारतीय संविधान में सभी को समान नागरिक व मौलिक अधिकार दिए गए हैं। आज समाज को कानूनों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बालिका भ्रूण और महिलाओं का उत्पीडऩ जैसे बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए आम जनता को कानूनी अधिकारों की जानकारी भी होनी चाहिए। एक स्वस्थ समाज का निर्माण तभी हो सकता है, जब उस समाज के लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक हों।