औद्योगिक क्षेत्रों में बदहाल बिजली वितरण इंफ्रास्ट्रक्चर की शिकायत की
फेडरेशन के महासचिव दीपक मैनी ने सिंगल टैरिफ की माँग की
गुरुग्राम। फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हरियाणा की ओर से औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली दरों में वृध्दि करने के हरियाणा सरकार संभावित प्रस्ताव का प्रबल विरोध किया गया है। फेडरेशन ने बिजली दरों में वृद्धि संबंधी खबरों का संज्ञान लेते हुए हरियाणा इलेक्ट्रिकल रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन को ज्ञापन सौंपते हुए एचईआरसी की मंजूरी से राज्य में उद्योग के लिए टैरिफ बढ़ाने की योजना का विरोध किया है । ज्ञापन में कहा गया है कि चूंकि सरकार या आयोग द्वारा इस खबर का कोई खंडन नहीं किया गया है, इसलिए राज्य की औद्योगिक इकाइयां टैरिफ बढ़ाने के ऐसे किसी भी कदम का विरोध करती हैं।
फेडरेशन के महासचिव दीपक मैनी की ओर से सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्रों की कठिनाइयों और उनकी चुनौतियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि उद्योग अभी तक कोविड के प्रतिकूल प्रभावों से उबर नहीं पाया है। अधिकतर उद्योगों में उत्पादन पूर्व-कोविड स्तर तक नहीं बढ़ा है। एक ओर बाजार की कम मांग के कारण उत्पादन में तेजी नहीं आई है तो दूसरी ओर श्रम और परिवहन लागत कई गुना बढ़ गई है। उद्योग जगत इतने दबावों में जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है इसलिए बिजली दरों में किसी भी वृद्धि को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है।
यह पूरी तरह से गलत धारणा है कि बिजली वितरण के घाटे से उबरने के लिए औद्योगिक टैरिफ में वृद्धि की जाय। उद्योग जगत ने पहले भी देखा था कि घाटे को कम करने और बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने और बिजली कटौती को कम करने के लिए पहले भी गंभीर प्रयास किए गए थे। लेकिन हाल के दिनों में घाटा फिर से बढ़ गया है। घोषित और अघोषित बिजली कट में वृद्धि हुई है और ऐसा लगता है कि औद्योगिक इकाइयां बिजली आपूर्ति संस्थाओं की अंतिम प्राथमिकता है।
आम बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने वाली योजनाओं का विरोध करते हुए फेडरेशन की ओर से ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अतीत में, सरकार बिल निपटान और अधिभार माफी योजनाओं के साथ आई जिसमें हजारों करोड़ रुपये का बकाया माफ कर दिया गया है। ऐसी सरकारी योजनाएँ न केवल अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को फॉलटी बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं बल्कि ये छूट योजनाएँ वितरण कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ डालती हैं। बदले में, बिजली वितरण कंपनियां औद्योगिक शुल्क बढ़ाकर घाटे की भरपाई करने की कोशिश करती हैं।
ज्ञापन में सरकार के निर्णय लेने की प्रक्रिया की खामियों को उजागर करते हुए कहा गया है कि उद्योग ने देखा है कि सरकार ऐसी छूट योजनाओं को शुरू करने से पहले आयोग से कोई मंजूरी नहीं लेती है । ऐसे मामलों में बिजली बिलों में माफ की गई राशि की भरपाई सरकार द्वारा की जानी चाहिए न कि बिजली बिलों का नियमित भुगतान करने वाले ईमानदार उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल कर वसूलना चाहिए। फेडरेशन ने साफ तौर पर कहा है कि ऐसी छूट योजनाओं को लाने से पहले सरकार को आयोग की मंजूरी लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए ।
औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की आधारभूत सुविधाओं की बदहाल स्थिति को लेकर भी फेडरेशन की ओर से ज्ञापन में चिंता जताई गई है। विशेष रूप से आईएमटी मानेसर में विद्युत बुनियादी ढांचा बहुत खराब स्थिति में होने की बात की गई है । ज्ञापन में कहा गया है कि उद्योग द्वारा नियमित अनुरोध के बावजूद पिछले 3-4 वर्षों से आई एम टी मानेसर में सुविधाओं को अपग्रेड नहीं किया गया है । बार-बार बिजली कटौती आम हो गई है और न तो डीएचबीवीएन और न ही एचवीपीएन ऐसे आउटेज के कारणों का जवाबदेही लेता है । एचवीपीएन खराब बुनियादी ढांचे के लिए डीएचबीवीएन को दोषी ठहराता है और सबस्टेशनों पर खराब रखरखाव के लिए डीएचबीवीएन एचवीपीएन को दोषी ठहराता है ।
फेडेराशन ने एच ई आर सी से बड़े अधिकारियो की उपस्थिति औद्योगिक क्षेत्रों में सुनिश्चित करने पर बल दिया है। महासचिव दीपक मैनी की ओर से सुझाव दिया गया है कि डीएचबीवीएन का एक्सईएन ऑपरेशन मानेसर, गुरुग्राम में स्थित है, जबकि औद्योगिक हब मानेसर है।एक्सईएन मानेसर को मानेसर में बैठना चाहिए । यह न केवल बिजली व्यवस्था की उचित निगरानी के माध्यम से उद्योग के लोगों की मददगार सावित होगा बल्कि आवश्यक दस्तावेजों/कागजातों के अनुमोदन के लिए समय भी कम लगेगा ।
फेडरेशन ने मांग की है कि एचवीपीएन को तुरंत सेक्टर 37 और सेक्टर 10 A में 66 KV सबस्टेशन को पूरा करना चाहिए क्योंकि पुराने गुड़गांव के लिए मेट्रो रेल परियोजना बहुत जल्द शुरू होने वाली है और एक बार मेट्रो का काम शुरू हो गया तो सबस्टेशन पर काम पूरा करना बहुत मुश्किल होगा।
ज्ञापन में यह कहते हुए की उद्योगों के लिए दो-भाग का टैरिफ अधिकतर छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए हानिकारक है। फिक्स्ड चार्ज वापस लेने पर बल दिया है। उद्यमियों ने केवल सिंगल टैरिफ प्लान लागू करने की मांग की है । कम खपत वाले उद्योग को वर्तमान में 12 रु प्रति यूनिट भुगतान करना पड़ रहा है । अघोषित आउटेज/ब्रेकडाउन से होने वाले नुकसान के मामले में, उद्योग को मुआवजे का भुगतान बिजली वितरण कंपनियों को करना चाहिए।
फेडरेशन ने मांग की है कि बिजली विभाग को संबंधित अधिकारियों को उद्योगपतियों के साथ मासिक बैठक करने का निर्देश देना चाहिए ताकि गलत बिलिंग, लोड शेडिंग, खराब गुणवत्ता वाली बिजली आदि से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर किया जा सके। बिजली वितरण कंपनियों द्वारा आपूर्ति में सुधार के लिए लागू की गई योजनाओं का नियमित आकलन किया जाना चाहिए। फेडरेशन ने सुझाव दिया है कि इस आकलन से या पता चल पाएगा कि संबंधित योजनाओं से होने वाले संभावित लाभ का कितना फायदा औद्योगिक क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को हो पाए हैं या फिर नहीं। अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए ।
फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने अपने ज्ञापन में एच ई आर सी से यह भी मांग की है कि बिजली वितरण कंपनियों की ओर से जिन शर्तों और मान्यताओं के आधार पर ए आर आर लागू किया गया है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए । फेडरेशन का सुझाव है कि इसे सार्वजनिक करने से उपभोक्ता इसका तर्कसंगत विश्लेषण कर पाएगा।
फेडेराशन के महासचिव दीपक मैनी का मानना है कि बिलिंग प्रणाली पर आयोग को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उनका तर्क है कि उद्योग ने देखा है कि नए और मौजूदा सिस्टम के गुण/दोषों पर विचार किए बिना बिलिंग सिस्टम को आपस में बदला जा रहा है। उद्योग ने यह भी देखा है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए एक श्रृंखला में कई एजेंसियों को अनुबंध दिए जाते हैं लेकिन बंटी हुई जिम्मेदारी हमें कहीं नहीं पहुंचाती। वितरण कंपनियों को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे एकल स्रोत जिम्मेदारी के साथ और स्थापित और सिद्ध विक्रेताओं को ही परियोजनाएँ सौंपें ।