सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होना है. इस दिन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई महत्वपूर्ण नेताओं का भाग्य फैसला होना है. इनमें मोदी के दो कैबिनेट सहयोगी और एक पूर्व कैबिनेट सहयोगी भी शामिल हैं। ये चारों सीटें एक साथ लगी हुई हैं। चुनाव के सातवें चरण में पीएम मोदी के साथ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, स्वास्थ्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री एवं उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय के पिछले पांच वर्षों के काम काज का विश्लेषण होगा।
उल्लेखनीय है कि पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से जबकि मनोज सिन्हा गाजीपुर से, अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से और महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली लोक सभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। चारों सीटें आसपास हैं और एक ही प्रकार की भौगोलिक स्थिति में हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा नरेंद्र मोदी की राह इस बार आसान दिख रही है क्योंकि किसी भी पार्टी से कोई हाई प्रोफाइल प्रत्याशी उनके सामने नहीं है जबकि पिछले पांच वर्षों में उनके निर्देशन में वाराणसी में विकास कार्यों की बेहद तेज हुई है. कहा जा रहा है कि मोदी ने वाराणसी में 40 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों को धरातल पर उतारने की कोशिश की है. इनमें विश्वनाथ कॉरिडोर सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है. इसका असर हाल ही में उनके रोडशो में देखने को मिला था. उनके खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने पुराने प्रत्याशी व पूर्व विधायक अजय राय को दोबारा प्रत्याशी बनाया है. 2014 में उनकी जमानत जब्त हो गई थी। सपा-बसपा गठबंधन से शालिनी यादव मज़बूरी में बनी प्रत्याशी हैं क्योंकि इससे पहले तेज बहादुर को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की गयी थी जिनका नामांकन रद्द हो गया.
इसके अलावा बहुबाली अतीक अहमद भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जबकि राजग से नाराज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सुरेंद्र प्रताप को लेकर कुल 31 प्रत्याशी वाराणसी अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर मतदान होना है. 2014 में इनमें से 11 सीट भाजपा के पास, एक सीट उसकी सहयोगी अपना दल और एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गयी थीं। देखना यह होगा कि भाजपा कितनी सीटों पर कायम रहती है.
उधर गाजीपुर से रेल व संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भाजपा से एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। तीन बार सांसद और एक बार मंत्री रह चुके सिंह को इस क्षेत्र में विकास पुरुष के रूप में जाना जाता है. बीते पांच वर्षो में गाजीपुर सहित अन्य जिलों में रेलवे सहित कई बड़े प्रोजेक्ट लाने वाले इस नेता को लोग दोहराते हैं या नहीं यह देखना बेहद दिलचस्प होग. यहाँ गंगा पर बन रहा रोड और रेल ब्रिज रिकॉर्ड साढ़े तीन वर्ष में तैयार होने की स्थिति में है जो इलाके के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. रेल राज्य मंत्री के प्रयास से ही गाजीपुर से मुम्बई व दिल्ली जैसे बड़े शहरों के लिए गाड़ियां चल रहीं हैं। गाजीपुर में मेडिकल कॉलेज भी निर्माणाधीन है. यहाँ उन्हें सुभासपा के साथ छोड़ने से थोड़ा खतरा होना माना जा रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में राजभर समाज का वोट काफी अधिक है। इस चुनौती से निपटना सिन्हा के लिए कठिन है. दूसरी तरफ उनका प्रमुख प्रतिद्वंद्वी सपा बसपा गठबन्धन का अफजल अंसारी है. यहाँ दो लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं।