सभी एसडीएम कार्यालयों में एसओपी : मनोहर

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भ्रष्टाचार रोक के लिए सुशासन सहयोगियों के साथ बैठक

उपमण्डल स्तर पर भी सीएम विंडो खुलेंगे

चण्डीगढ़ :  हरियाणा के एसडीएम कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी एसडीएम कार्यालयों में एक समान मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की जाएगी। इसके अलावा, उपमण्डल स्तर पर भी सीएम विंडो खोली जाएंगी। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आज हरियाणा भवन, नई दिल्ली में मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगियों (सीएमजीजीसीए) के साथ हुई बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिलों में नियुक्त अपने सहयोगियों के साथ तीन घंटे से अधिक समय बिताया। उन्होंने सुशासन सहयोगियों द्वारा किए गये अध्ययन के साथ-साथ उनकी टिप्पणियों और सुझावों में भी गहरी रुचि ली।

 

सीएम विंडो में 2.05 लाख शिकायतें

अब तक सीएम विंडो जिला मुख्यालय पर खोली गई हैं और इन पर कुल 2.05 लाख शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें से 1.85 लाख शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है। सीएम विंडो लोगों की सुविधा के लिए इसलिए खोली गई थी ताकि वे अपनी शिकायतें सीधे ही मुख्यमंत्री को भेज सकें और इसके लिए उन्हें चंडीगढ़ न आना पड़े। समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एसडीएम कार्यालयों के ऑफ़लाइन या ऑनलाइन कामकाज में सभी खामियों की पहचान की जाए ताकि भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे आपराधिक कार्यों में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

ड्राइविंग लाइसेंस अनियमितता में सख्त कार्रवाई

कैथल, भिवानी और दादरी के एसडीएम कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में अनियमितता पाए जाने पर, सम्बन्धित डीलिंग क्लर्कों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। एसडीएम कार्यालय, कैथल के क्लर्क राजेन्द्र कुमार को एक ही पते पर पंजीकृत डाक के माध्यम से बड़ी संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस भेजने का आरोपी पाया गया। इसी तरह, एसडीएम कार्यालय भिवानी में लाइसेंस क्लर्क हेम सिंह पर अवैध रूप से एक दिन में 200 से 300 ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने का आरोप था।एसडीएम कार्यालय दादरी में स्टेनो के रूप में कार्यरत शशिकांत पर एजेंटों के साथ मिलीभगत का आरोप था। एसडीएम कार्यालयों में एजेंटों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत के रूप में भ्रष्टाचार पाया गया, जहां एजेंट कोड फाइलों पर अंकित किए जाते हैं और परीक्षा लिए बिना ही बड़ी संख्या में लाइसेंस बनाए जा रहे हैं।

 

प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने की जरूरत

 

श्री मनोहर लाल ने कहा कि सुशासन सहयोगियों की टिप्पणियां सुशासन का आधार बन गई हैं, जिनका प्रभाव बाद में महसूस होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का उद्देश्य आमजन को परेशानी मुफ्त सेवाएं प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हमें सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘निहित स्वार्थ’ से अलग हटकर तरीके खोजने होंगे। इसके लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने की जरूरत है ताकि अच्छा कार्य करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई जा सके।

 

अब आरटीए कार्यालय भी निशाने पर

एसडीएम कार्यालयों के बाद, अगला लक्ष्य क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीए) होंगे, जहां प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाएगा तथा उन्हेें और अधिक नागरिक हितैषी बनाने के लिए प्रक्रियाओं को फिर से संशोधित किया जाएगा। पिछले 6 हफ्तों के दौरान, सुशासन सहयोगियों ने एसडीएम कार्यालयों में गैर- वाणिज्यिक परिवहन वाहनों के पंजीकरण, आरटीए कार्यालयों और सांझा सेवा केंद्रों (सीएससी) पर मोटर वाहन निरीक्षण केन्द्रों जैसे कई क्षेत्रों में जमीनी हकीकत को समझने पर काम किया। वाहनों का निरीक्षण स्वचालित फिटनेस प्रक्रिया अपनाने की वजाय विजुअली किया गया था। यह बताया गया कि एनएटीआरआईपी ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में स्वचालित फिटनेस केन्द्रों की स्थापना की है। मुख्यमंत्री ने उन केन्द्रों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

अधिकारियों और उद्यमियों के बीच भ्रष्टाचार की बू

बैठक में पाया गया कि अधिकतर उद्यमियों के लिए सांझा सेवा केन्द्र (सीएससी) अलाभकारी हैं क्योंकि किसी भी सेवा के लिए उद्यमी को दिया जाने वाला कमीशन अपर्याप्त है। परिणामस्वरूप, उद्यमियों को अपने जीविकोपार्जन के लिए कई कारोबार शुरू करने पड़ते हैं और वे सांझा सेवा केन्द्रों को कम समय दे पाते हैं या सिस्टम से बाहर जाकर अवैध कार्य करते हैं। तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण में भी कमी पाई गई। अलाभकारी राजस्व के बंटवारे और विभागों से सहायता की कमी के कारण भी फाइलों की मंजूरी के लिए अधिकारियों और उद्यमियों के बीच भ्रष्टाचार और मिलीभगत को बढावा मिलता है।

इस मामले में मुख्यमंत्री के आदेश दिए हैं कि सेवाओं और उद्यमियों की राजस्व हिस्सेदारी का मूल्य निर्धारण वैज्ञानिक रूप से तय किया जाना चाहिए ताकि यह किसी भी उद्यमी के लिए व्यवहार्य हो सके। परियोजना की निगरानी और उद्यमियों को पेश आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए प्रत्येक जिले में एडीसी के पद के नोडल अधिकारी की नियुक्त की जानी चाहिए।

 

सुशासन सहयोगी पुलिस विभाग के साथ काम करेंगे

आने वाले हफ्तों में, सुशासन सहयोगी पुलिस विभाग के साथ काम करेंगे और वे लंबित शिकायतों और एफआईआर की डेटायुक्त समीक्षा में पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों की सहायता करेंगे तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से इसकी प्रक्रिया का अध्ययन करेंगे।  इसके बाद, सुशासन सहयोगी पुलिस थानों में एफआइआर और नागरिक सेवा प्रदायगी प्रक्रिया का भी अध्ययन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने पांच सुशासन सहयोगियों की सराहना की, जिनमें जींद से अंकित जैन,  फतेहाबाद से चिराग गर्ग, गुरुग्राम से कर्ण अलावादी व सुरेखा यादव और कैथल से प्रतीक हरीश शामिल हैं।
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ राकेश गुप्ता और अशोका यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर  विनीत गुप्ता ने भी बैठक को सम्बोधित किया। इस अवसर, मुख्यमंत्री के ओएसडी  नीरज दफ्तुवार, मीडिया सलाहकार  अमित आर्य, एडीसी  रजनीश गर्ग और मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार ध्रुव मजूमदार भी उपस्थित थे।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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