100वें उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की टीम को दी बधाई
श्रीहरिकोटा। मीडिया की खबर के अनुसार इसरो ने शुक्रवार को अपने अंतरिक्ष केंद्र से दूर संवेदी कार्टोसैट और 30 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर अपना शतक पूरा कर लिया. 44.4 मीटर ऊंचे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी40) ने 28 घंटों की उल्टी गिनती के बाद शुक्रवार सुबह 9.29 बजे सफल उड़ान भरी। खबर में कहा गया है कि प्रक्षेपण के लगभग 17 मिनट और 18 सेकंड के बाद 320 टन वजनी रॉकेट से सफलतापूर्वक एक-एक कर उपग्रह अलग होते गए और पृथ्वी की निचली कक्षा में सटीक स्थापित हो गए । यह प्रक्षेपण केंद्र बंगाल की खाड़ी से चेन्नई के 80 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की टीम को अपने 100वें उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज पीएसएलवी के सफल प्रक्षेपण पर इसरो और उसके वैज्ञानिकों की मैं हृदय से प्रशंसा करता हूं। नए साल में यह सफलता हमारे नागरिकों, किसानों, मछुआरों आदि को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश की तेजी से बढ़ोतरी का लाभ पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि इसरो द्वारा 100 वीं उपग्रह का शुभारंभ अपनी शानदार उपलब्धियों और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की सफलता के लाभ हमारे भागीदारों के लिए भी उपलब्ध हैं! आज प्रक्षेपित किए गए 31 उपग्रहों में से, 28 छह अन्य देशों से संबंधित थे।”
आज जिन इन 31 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया उनमें से तीन भारत के हैं जबकि अन्य कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे उन विकसित देशों के हैं जो तकनीक में अपने को इंडिया से सुपर मानते हैं. खबर है कि भारतीय उपग्रहों में पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह इस मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके साथ ही अन्य उपग्रह भी हैं, जिनमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी इस बार शामिल किया बताया जाता है।
जानकारी दी गयी है कि कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह रॉकेट से सबसे पहले अलग हुआ और पृथ्वी से 505 किलोमीटर ऊपर सूर्य की तुल्यकालिक कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। इसके बाद 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह और 100 किलोग्राम का माइक्रो उपग्रह अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित होते गए। कहा गया है कि कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह पांच वर्षो के लिए पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। यह माइक्रो उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहने वाला भारत का 100वां उपग्रह होगा।
मीडिया की खबर में बताया गया है कि इसरो की आज की ऐतिहासिक उपलब्धि पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने यह आशंका जाहिर की है कि भारत जिन उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, उससे क्षेत्रीय सुरक्षा का संतुलन बिगड़ेगा. पाक ने कहा है कि इन उपग्रहों का इस्तेमाल भारत सैन्य उद्देश्य में कर सकता है।