जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट , अस्पताल ने बच्ची के इलाज में भारी लापरवाही बरती
स्वास्थ्य मंत्री ने इसे मर्डर की संज्ञा दी और कड़ी कार्रवाई करने का ऐलान किया
कहा , अस्पताल ने दीं महंगी दवाईयाँ, एफअारअाइ दर्ज होगा
डेंगू की बीमारी के बारे में अस्पताल ने सीएमओ को भी जानकारी नहीं दी
चंडीगढ़ , ( रमनदीप किरतान ): हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सात साल की बच्ची आद्या की मौत व इलाज के लिए 16 लाख के बिल लेने के मामले में गुरुगाम के फोर्टिस अस्पताल को दोषी करार दिया है। विज ने कहा कि अस्पताल ने बच्ची के इलाज में भारी लापरवाही बरती और यह मर्डर की तरह है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पूरे प्रकरण की जांच छह सदस्यीय कमेटी ने की है।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुगाम के फोर्टिस अस्पताल पर किया हमला
बता दें कि गुरुग्राम के फाेर्टिस अस्पताल में सात साल की बच्ची आद्या की माैत हो गई थी। बताया जाता हे कि अस्पताल बच्ची के अभिभावकों से इलाज के नाम पर 16 लाख रुपये का बिल लिया था। बच्ची के अभिभावकों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। इस मामले पर काफी हंगामा हुआ था अाैर फोर्टिस अस्पताल पर घेरा कस गया।
अनिल मंत्री ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल ने बच्ची के इलाज में भारी लापरवाही की और भारी भरकम बिल लिया। इसको लेकर सख्त अस्पताल पर कड़ा एक्शन होगा। पूरे मामले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी ने की। इस कमेटी में दो बाल रोग विषयज्ञ को भी लिया गया था। कमेटी में राज्य ड्रग कंट्रोलर को भी शामिल किया गया था।
बताया जाता है कि बच्ची का पहले रोकलैंड अस्पताल में इलाज हुअा और बाद में उसे फोर्टिस में दाखिल करवाया गया। विज ने कहा कि अस्पताल ने बच्ची के इलाज में भारी लापरवाही की। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, डेथ के कारण लामा प्रोटाकाल के अनुसार गलत थे। अस्पताल द्वारा बच्ची से वेंटीलेटर भी वापस लिया गया। इसके अलावा कई सेवाएं भी वापिस ले ली गई और इसी कारण बच्ची की मौत हुई।
विज ने कहा, बच्ची काे जिस एंबुलेंस में ले जाया गया उसमें कोई भी सुविधा नहीं थी। हम अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने जा रहे हैं। अनिल विज ने कहा, ‘इसको आसान भाषा में मर्डर कहा जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि परिजनों की शिकायत कमेटी के पास आ गई है कि इसलिए हम मुकदमा दर्ज कराएंगे। विज ने कहा, डेंगू की बीमारी के बारे में अस्पताल ने सीएमओ को भी जानकारी नहीं दी, जो कि आवश्यक होता है। इसके लिए एक माह से छह महीने की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।
ब्लड बैंक का लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस
विज ने कहा कि अस्पताल ने बच्ची के अभिभावकों से ओवर चार्जिंग की है। इलाज के दौरान आइएमए के नियम के खिलाफ चार्जिंग की गई। बेहद महंगी दवाइयां दी गईं। प्लेटलेट्स के लिए भी ओवरचार्जिंग की गई। 1700 से 2000 रुपये तक प्लेटलेट्स के चार्ज किए गए। इनके ब्लड बैंक का लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस दे दिया गया है। लाइसेंस जल्द ही उसे कैंसिल किया जाएगा।
जमीन की लीज कैंसिल करने की सिफारिश भी की जाएगी
उन्होेंने कहा कि जांच कमेटी के अनुसार डाॅक्टर बच्ची को न्यूरोपेनुम इंजेक्शन लगा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और महंगे इंजेक्शन व दवाएं दी गईं। विज ने कहा कि अस्पताल को हुडा से भूमि लेने के कारण मरीज के इलाज के बिल में छूट देनी चाहिए थी, लेकिन वह भी नहीं दिया। ऐसे में अस्पताल के लिए दी गई जमीन की लीज कैंसिल करने की सिफारिश भी की जाएगी। विज ने कहा कि जांच में यह भी सामने आया है कि अस्पताल ने इलाज के कागजात व अन्य दस्तावेज पर माता-पिता के फर्जी दस्तखत कराए हैं।
बता दें कि द्वारका (दिल्ली) निवासी डेंगू पीड़ित सात वर्षीय बच्ची आद्या की मौत व इलाज के लिए फोर्टिस अस्पताल में हो गई थी। इलाज के लिए 16 लाख का बिल लिए जाने से बवाल के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मामले की जांच की घोषणा की थी।
जांच टीम ने अस्पताल प्रबंधन से जवाब तलब किया कि बच्ची को अगर डेंगू था तो जिला स्वास्थ्य विभाग को सूचित क्यों नहीं किया। इस मामले में अस्पताल पर विभाग क्या कार्रवाई करेंगा, यह उच्च स्तर पर होगा। टीम में दो स्वास्थ्य निदेशक व सीएमओ और दो शिशु रोग विशेषज्ञ शामिल थे।