नई दिल्ली: देश के पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा और मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली के बीच आर्थिक जुबानी जंग तेज़ हो चली है. इसकी पहल पहले यशवंत सिन्हा ने लेख लिखकर की जबकि उसका जवाब तल्ख़ लहजे में देकर अरुण जेटली ने इसे और तीखा बना दिया. अब मीडिया से बात कर श्री सिन्हा ने देश की अर्थव्यवस्था की कथित बदहाली के लिए श्री जेटली पर प्रहार किया है. एक तरफ जेटली ने यशवंत सिन्हा का नाम लिए बग़ैर कटाक्ष कि वो 80 की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं दूसरी तरफ सिन्हा ने जेटली के इस तीखे शब्द जवाब इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यह कहते हुए दिया कि अगर मैं नौकरी ढूंढ रहा होता तो जेटली वित्त मंत्री नहीं होते. उन्होंने स्पष्ट किया कि जेटली का यह कहना कि मैं निजी हमले कर रहा हूं, सही नहीं है.
सिन्हा ने इस बात पर एक बार फिर बल दिया है कि अर्थव्यवस्था के लिए वित्त मंत्री ही ज़िम्मेदार होंगे, गृह मंत्री नहीं. उनका आरोप है कि वर्तमान सरकार स्थिति को समझने में विफल रही है और समस्या का निदान ढूँढने की बजाय अपनी पीठ थपथपाने में लगी है. उन्होंने केंद्र में मंत्री और अपने बेटे जयंत सिन्हा द्वारा लिखे लेख के जवाब में कहा कि मेरे बेटे जयंत सिन्हा को मेरे ही खिलाफ उतारकर सरकार वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटकाने में जुटी है. उन्होंने कहा कि मैं भी निजी हमले कर सकता हूं, लेकिन उनके जाल में फंसना नहीं चाहता.
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में वित्त मंत्री जेटली ने सिन्हा की आलोचना करते हुए कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री आर्थिक नीतियों पर नहीं बल्कि व्यक्तियों पर टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि सिन्हा , पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम के पिछलग्गू बन गए हैं. उन्होंने याद दिलाया कि एक समय दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे.
कार्यकर्म में अपने संबोधन में जेटली ने सिन्हा का नाम लिए विना कहा था कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है. इस वक्तव्य से जेटली सिन्हा और चिदंबरम दोनों पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर यूपीए-2 में नीतिगत शिथिलता को भूल जाना आसान हो गया है 1998 से 2002 के एनपीए को भी भूल जाना आसान है . गौरतलब है कि उस समय यशवंत सिन्हा ही वित्त मंत्री थे.
जेटली ने सिन्हा पर तंज कसते हुए यहाँ तक कह दिया था कि वह इस तरह की टिप्पणियों के माध्यम से अपने लिए नौकरी ढूंढ रहे हैं.
इससे पूर्व देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली पर हमला कर विपक्ष को आलोचना का हथियार दे चुके सिन्हा ने खुलासा किया है कि अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिये उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की कोशिश की थी लेकिन उन्हें पीएमओ से समय नहीं मिला.
उल्लेखनीय है कि श्री सिन्हा ने न्यूज चैनलों से साक्षात्कार में कहा है कि उन्होंने महसूस किया कि उनके लिये दरवाजे बंद थे. इसलिए मीडिया में अपनी बात रखने के आलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था. उन्होंने दोहराया कि उनके पास प्रधानमंत्री को देने के लिये उपयुक्त सुझाव हैं. सिन्हा ने सलाह दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम जैसे लोग वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माने जाते हैं . इसलिए ऐसे लोग अगर आर्थिक मामले में कुछ बोलें तो सरकार को उसे उनकी बातें सुननी चाहिये.