कोविंद गढ़ सकेंगे पद के नये मानक : रीतिक वधवा 

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 भिवानी , 1 जुलाई ।  इन दिनों की कुछ घटनाएं पूरे राष्ट्र के मानस पटल पर छाई रही हैं। जिनमेें बिहार के राज्यपाल  रामनाथ कोविंद की जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषणा की, वह आश्चर्यकारी एवं अद्भुत घटना है। राजनीतिक गलियारों में अब जबकि राष्ट्रपति पद के पक्ष एवं विपक्ष के उम्मीदवार की घोषणा हो चुकी है, कोविंद की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, क्योंकि सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके समर्थकों के पास इतना संख्या बल है कि वह अपने उम्मीदवार को आसानी से जिता सकते हैं। इसलिये देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में कोविंदजी के प्रति संभावनाएं व्यक्त की जा सकती है कि वे राष्ट्रपति के रूप में नये मानक एवं पद की नयी परिभाषा गढ़ेंगे। यह बात वरिष्ठ भाजपा नेता रीतिक वधवा ने आज यहां कहे। 

उन्होंने कहा कि  हो सकता है राष्ट्रपति चुनाव तक इस पद को लेकर राजनीति होती रहे, लेकिन जैसे ही कोविंदजी राष्ट्रपति बनकर अपनी भूमिका के लिये तैयार होंगे, उनका हर कार्य और कदम इस सर्वोच्च पद की गरिमा को बढ़ाने वाला होगा, इसमें किसी तरह का सशंय नहीं है। क्योंकि वे एक राजनीतिक व्यक्तित्व ही नहीं है बल्कि एक राष्ट्रीय मूल्यों के प्रतीक पुरुष भी है, वेे हमें अनेक मोड़ों पर नैतिकता का संदेश देते रहेंगे कि घाल-मेल से अलग रहकर भी जीवन जिया जा सकता है। निडरता से, शुद्धता से, स्वाभिमान से। स्वतंत्र, निष्पक्ष और विवेकपूर्ण निर्णय लेकर वे इस पद की अस्मिता एवं अस्तित्व की रक्षा करेंगे। यह देश की अस्मिता का प्रतीक पद है।  

उन्होंंने कहा कि रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति के रूप में एक नये युग की शुरुआत होने जा रही है। क्योंकि वे नैतिक मूल्यों एवं राष्ट्रीयता को मजबूत करने वाले व्यक्तियों की शंृखला के प्रतीक के रूप में है। इससे राजनैतिक जीवन में शुद्धता की, मूल्यों की, पारदर्शी राजनीति की, आदर्श के सामने राजसत्ता को छोटा गिनने की या सिद्धांतों पर अडिग रहकर न झुकने, न समझौता करने की महिमा को समझा जा सकेगा। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों एवं राजनीति में विभिन्न पदों पर रहकर कार्य किया। वे सक्रिय राजनीति में रहे, अनेक पदों पर रहे, पर वे सदा दूसरों से भिन्न रहे। घाल-मेल से दूर। भ्रष्ट राजनीति में बेदाग। विचारों में निडर। टूटते मूल्यों में अडिग। घेरे तोडक़र निकलती भीड़ में मर्यादित। ऐसे व्यक्तित्व जब एकाएक किसी ऊंचाई पर पहुंचते और वह भी बिना किसी दांवपेच के तब वह ऊंचाई उस व्यक्ति की श्रेष्ठता का शिखर होता है और ऐसे शिखर से प्रकाश तो फैलता ही है।

 भारतीय राजनीति में उनके अभिन्न योगदान को जिस तरह से नकारा नहीं जा सकता वैसे ही एक सफल एवं यादगार राष्ट्रपति के रूप में उनकी यह पारी स्मरणीय रहेंगी। ऐसे विरल व्यक्तित्व को राष्ट्रपति बनाया जाना इस देश की जरूरत की ओर इंगित करता है।  

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