नई दिल्ली / पणजी : 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के भारतीय पैनोरमा खंड में लोकप्रिय मलयालम फिल्म ‘मंजुम्मेल बॉयज’ को प्रदर्शित किया गया। फिल्म के निर्देशक श्री चिदंबरम ने आज गोवा में पत्र सूचना कार्यालय के मीडिया सेंटर में आयोजित 55वें आईएफएफआई के छठे दिन के उद्घाटन सत्र में संवाददाता सम्मेलन में मीडिया से बातचीत की।
फिल्म की कहानी केरल के कोच्चि के पास एक गांव मंजुम्मेल के 11 सदस्यीय मलयाली युवकों की एक टीम से जुड़ी एक सच्ची घटना से प्रेरित है। इस टीम ने तमिलनाडु के कोडईकनाल में स्थित डेविल्स किचन का दौरा किया था, जिसे गुना गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। कमल हासन की फिल्म गुना के फिल्मांकन के बाद इन गुफाओं को प्रसिद्धि मिली। अपनी यात्रा के दौरान, टीम के सदस्यों में से एक गलती से गुफा के भीतर एक गहरे गड्ढे में गिर जाता है। स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग के उम्मीद छोड़ने के बाद सिजू डेविड ने अपने दोस्त को इस मुश्किल घड़ी से बचाने का बीड़ा उठाता है और एक साहसिक मिशन पर निकल पड़ता है। यह घटना मित्रता और निस्वार्थता की सशक्त भावना को दर्शाती है और मंजुम्मेल के इन ग्यारह युवकों की वीरता और साहस का प्रमाण है।
श्री चिदंबरम ने बताया कि जिस घटना पर यह फिल्म आधारित है, वह सर्वविदित है। एक दशक पहले एक अलग टीम ने इस पर फिल्म बनाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय उद्योग ऐसी कहानी में निवेश करने के लिए तैयार नहीं था। हालांकि, मलयालम फिल्म उद्योग अब विकसित हुआ है और ओटीटी प्लेटफॉर्म के उदय ने इस तरह की कहानियों पर काम करने के लिए अधिक अवसर प्रदान किए हैं।
फिल्म निर्माण के दौरान की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, निर्देशक ने कोच्चि के एक गोदाम में गुना गुफा जैसा सैट बनाने की कठिनाइयों के बारे में भी जानकारी दी क्योंकि वास्तविक गुफा में शूटिंग संभव नहीं थी। टीम को गुफा की बनावट और इसकी अनूठी स्थितियों को सजीव बनाने के लिए इसके साहसपूर्ण निर्माण पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने के साथ-साथ दृढ़ निश्चय के साथ काम करना पड़ा।
श्री चिदंबरम ने कहा कि फिल्म की असली नायक गुफा है। उन्होंने कहा कि काश मैं गुफा के अनुभव के अहसास को स्क्रीन पर महसूस करा पाता।