—- वीसी डा0 सर्वनारायण की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया निर्णय
—- फिर से बढ़कर मिलेगी छात्रवृति
— प्रत्येक विभाग के पांच-पांच छात्र होंगे लाभान्वित
—- पुराने नियमों में किया जायेगा संशोधन
—-छात्रों के बीच स्पर्धा व उपस्थिति बढ़ाने की कवायद
दरभंगा। संस्कृत के छात्रों खासकर जो पीजी में नामांकन ले चुके हैं या फिर एडमिशन लेने वाले हैं और पढ़ने में वाकई गम्भीर हैं तो विश्वविद्यालय प्रशासन उसके हित के लिए कई दूरगामी कदम उठाने जा रहा है। या यूँ कहें कि अब मेधावी संस्कृत छात्रों की बल्ले बल्ले होने वाला है।कुलपति डा0 सर्वनारायण झा की अध्यक्षता में आज स्नातकोत्तर विभागों के अध्यक्षों की इस निमित्त मैराथन बैठक चली।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत प्रसाद सिंह ने बताया कि वैसे तो बैठक में छात्र हित में अनेक विन्दुओं पर चर्चा की गयी लेकिन वीसी डा0 झा की पहल पर अहम निर्णय यह रहा कि छात्रों के बीच स्वस्थ शैक्षणिक स्पर्धा बढ़ाने एवम् कक्षाओं में उसकी उपस्थिति में भी इजाफा करने के लिए फिर से छात्रवृति देना शुरू किया जाय। वह भी बढ़ी राशि में। आम सहमति बनी कि पीजी के प्रत्येक विभाग से प्रथम व द्वितीय बर्ष के पांच पांच छात्रों को अब 750 रुपये मासिक सशर्त छात्रवृत्ति दी जायेगी। मापदण्ड रखा गया कि पीजी में नामांकन के मौके पर छात्रों के शास्त्री के प्राप्तांक का स्तर व मौखिक जांच में दिए गए अंक के आधार पर ही चयनित छात्र छात्रवृति पाने के हकदार होंगे। इसी तरह प्रथम बर्ष में लाये गए मार्क्स व मौखिकी में मिले अंक ही द्वितीय बर्ष के छात्रों को छात्रवृति देने का आधार होगा। याद रहे कि छात्रवृति एकबार में 10 माह तक के लिए ही होगी। पुनः छात्रों के परफॉमेंस पर यह निर्भर करेगा।
इस जगह बता दें कि कुलपति ने उदारता दिखाते हुए कहा कि अगर सामान्य स्ट्रीम के छात्र भी पीजी में नामांकन के मौके पर अपनी प्रतिभा दिखाते हैं तो उसे भी छात्रवृति का लाभ मिलेगा। कुलपति का मानना था कि इससे आम छात्रों का भी संस्कृत से जुड़ाव बढ़ेगा और शैक्षणिक वातावरण में भी बेशक बदलाव आएगा।
गौर करने वाली बात यह भी है कि छात्रवृति वितरण को लेकर बनी मौजूदा नीति नियमों में भी बदलाव लाया जायेगा। इसे और लचीला बनाने पर सहमति बनी है। छात्रों को कम से कम 80 फीसदी उपस्थिति देनी होगी। नई व्यवस्था की जा रही है कि प्रत्येक माह की 10 तारीख के पहले छात्रवृति की राशि सम्बंधित छात्रों के बैंक खाते मे चली जाय। ताकि वह पैसे का सही उपयोग कर सके।
महत्वपूर्ण निर्णय यह भी रहा कि अगर कोई छात्र एक विषय पढ़ते हुए छात्रवृति पा चुका है और बाद में उसने दूसरे विषय में दाखिला ले ली तो यहां भी उसे छात्रवृति मिल सकती है बशर्ते उसकी शैक्षणिक प्रतिभा नियमों के अनुसार खड़ी उतरती है तो।
छात्रवृति को लेकर बन रही नई व्यवस्थाओं के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी डा0 शशिनाथ झा व डा0 पुरेंद्र वारीक को सौपी गयी है। अब इस निमित्त प्रत्येक माह विभागाध्यक्षों की एक बैठक निश्चित रूप से होगी।
आज की बैठक में कुलपति डा0 झा के अलावा डा0 गंगेश ठाकुर,डा0 बौआ नंद झा,डा0 शशिनाथ झा,डा0 श्रवण चौधरी,डा0 पुरेंद्र वारीक एवम् डा0 विनय कुमार मिश्र मौजूद थे।