तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ?

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सुभाष चौधरी / प्रधान सम्पादक 

तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 2नई दिल्ली:  नरेंद्र मोदी सरकार को तीन साल पूरे होने चले. तीन साल पूर्व 16 मई के दिन ही देश की जनता ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी के नाम पर दिल्ली की गद्दी पर बैठने की मोहर लगा दी थी. 26 मई 2014 को सरकार का गठन हो गया था. विपक्ष क्या भाजपा को भी तब लोक सभा चुनाव का परिणाम देख कर हैरानी हुई थी कि पार्टी को इस प्रकार का बहुमत आखिर कैसे मिला ? वास्तव में यह ऐतिहासिक था और भारतीय राजनीति को नया मोड़ देने वाली घटना थी. वस्तुतः कई मायने में यह ऐतिहासिक रहा लेकिन सबसे ख़ास बात यह कि पहली बार किसी प्रदेश का एक वर्तमान मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री पद का उत्तराधिकारी सीधे जनता का अपार समर्थन मिलने से बना.

 

विश्लेषक इसके कई कारण गिनाते हैं. पीएम के रूप में अब तक के उनके काम काज व सरकारी तंत्र की कार्यशैली को बदलने का भरसक प्रयास , निर्णय लेने की निर्णायक व निश्चयात्मक क्षमता, हमेशा नया सोचना व करना, किसी मामले में बेबाक राय रखना, किसी भी सरकारी योजना में ग़रीबों के हित को प्राथमिकता देना और युवाओं के लिए संभावनाएं पैदा करने की चाहत में आधुनिक तकनीक को तीव्र गति से अपनाने की कोशिश ने आम जनता के लिए उनके रूप में एक अप्रत्याशित हीरो प्रस्तुत कर दिया है. यह सही है कि जनता भाजपा की नीतियों की कम मोदी के काम काज की चर्चा अधिक करते हैं. लोक सभा चुनाव के दौरान भी अबकी बार मोदी सरकार के नारे ने ही लोगों को  सबसे अधिक लुभाया था जो अब भी जनमानस पर छाया हुआ है.

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कभी गुजरात के सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों की धारणा बटी हुई होती थी लेकिन पीएम के रूप में इन्हें पिछले तीन सालों में लोग अच्छी तरह समझने लगे हैं. लोग इनकी तुलना पूर्व के किसी दूसरे पीएम से करना पसंद नहीं करते हैं बल्कि इन्हें अपने जैसा अकेला राजनेता बताते है. शायद यही कारण है कि तीन साल बाद भी देश इनका विकल्प पैदा नहीं कर पा रहा है. इनके प्रति लोगों, ख़ास कर युवाओं का लगाव इतना गाढ़ा हो गया है कि लोकप्रियता के ग्राफ में लगातार चोटी पर बैठे हैं जबकि प्रतिद्वंद्वी आस पास भी फटक नहीं पा रहे हैं. इनकी राजनीतिक काट नहीं मिलने से विपक्ष हैरान और परेशान है.

 

लगता है देश सिद्दत से इस बात की खोज में था कि कोई स्टेट्समैन मिले जो भारत का प्रतिनिधित्व दमदार तरीके से दुनिया के प्लेटफार्म पर कर सके. उनकी यह खोज पीएम नरेंद्र मोदी के रूप में पूरी हुई तभी तीन साल के सफ़र के बाद भी बहुतायत जनता उनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं है जबकि देश में उनके लिए मर मिटने वाली एक ऐसी धारा तैयार हो गयी जो शायद ही उनका साथ छोड़े.

तीन वर्षों के कार्यकाल में पीएम मोदी ने कई ऐसे काम किये जो तमाम लोगों की नजरों में लीक से हट कर दिख रहे हैं. इनमें से 14 ऐसे ख़ास काम हैं जिनके जिक्र अब तो क्या आगे भी जनता की जुबां से होते रहेंगे .

सरकार और पार्टी संगठन दोनों पर समान पकड़ : 

हो सतीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 4कता है कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं हों लेकिन यह सच है कि कदम दर कदम सरकार और पार्टी संगठन दोनों पर समान पकड़ बनाने वाले इस राजनेता की शख्सियत अब अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय बन गई है. हालाँकि भारतीय परंपरा कुछ ऐसी रही है कि इतिहास में रानी के पेट से छलकने वाले शासक का अध्ययन कराया जाता रहा है जबकि उन्हें तो विरासत में गद्दी मिलती है. विषम परिस्थितियों में  नरेन्द्र मोदी अपने दम पर सामानांतर नहीं बल्कि असमान और अदभुत रेखा खींच कर लोकतान्त्रिक इतिहास में कभी धूमिल नहीं होने वाला उदाहरण बन गए हैं. इन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि राजा-रानी के दायरे से बाहर के व्यक्ति भी इतिहास की सारी लकीरों को छोटी साबित कर सकते हैं. साफ है कि मोदी जहां खड़े होते हैं अपनी दुनिया वहीँ से बना लेते हैं.

    

गाँधी के सबसे प्रिय विषय स्वच्छता को आन्दोलन बनाया : तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 5

 

ऐतिहासिक रूप से सत्य है कि बिहार के चंपारण ने महात्मा गाँधी को गाँधी बनाया. वहां जाकर बापू ने सबसे पहला कोई विषय काम करने के लिए चुना तो वह थी स्वच्छता. गाँधी ने वहां लोगों को नील की खेती के विरोध में जागरूक व आंदोलित करने से पहले स्वच्छता के प्रति जागरूक और एकत्रित किया. इसी बहाने उन्होंने आम लोगों के ह्रदय में जल्दी ही घर बना लिया था.

अच्छे लेखकों की किताबों को पढने के आदी पीएम मोदी संभव है गाँधी के इस विषय के असर को समझ गए हों और प्रधानमंत्री के रूप में स्वच्छता को एक अभियान बनाने का बीड़ा उठाया. यह देश इतना बड़ा है कि इस अभियान का असर शतप्रतिशत केवल दो या तीन साल में होना संभव नहीं है लेकिन इन्होने स्वयं झाड़ू उठाकर करोड़ों लोगों को इसके महत्व को अच्छी तरह समझा दिया जो शायद इतना आसान नहीं था. दो साल पहले तक केंद्र सरकार के सरकारी कार्यालय से लेकर आवासीय कालोनियों की गलियों में कूड़े के ढेड पड़े होते थे लेकिन अब उसके प्रति लोग सवेदनशील हो गए है और सफाई के प्रति जवाबदेह बनने की कोशिश करते हैं.. उनका यह सन्देश ग्रामीण इलाके में भी मजबूती से गया है लेकिन वहां अब भी काफी काम करने की जरूरत है. इसमे कोई दो राय नहीं कि यह विषय प्राथमिकता की सूचि में सबसे ऊपर हो गए हैं और यह नरेंद्र मोदी की ही देन है जिसे पी एम् की एक सफल कोशिश की संज्ञा दी जा सकती है .

 

केन्द्रीय मंत्रिमंडल और प्रशासनिक अधिकारियों पर मजबूत पकड़तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 6

 

भारतीय लोकतंत्र की यह विडंबना कहें या राजनीतिक खामी, लगभग दो दशक तक इस देश ने ब्लैकमैलिंग की राजनीति देखी. देश का प्रधानमंत्री इस स्थिति में नहीं होता था कि वे स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें और अपने मंत्रियों को जवाबदेह बना सकें.  कारण था कि गठबंधन की राजनीति ने लोकतान्त्रिक व्यवस्था को कैद कर पंगु बना दिया था. कभी कोई क्षेत्रीय पार्टी सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी देकर अपनी अनैतिक लाभ की बातें मनवा लेती थी तो कभी कोई पार्टी अपने मन माफिक मत्रालय लेने की शर्त थोप पर पीएम पद को अप्रासंगिक बना देती थी. इन तीन सालों में देशं की जनता को असहज करने वाला पहले वाला नजारा देखने को नहीं मिला है. अब तक की कार्यशैली से स्पष्ट है कि मंत्रालय की हर गतिविधि पर पीएम की नजर रहती है और मंत्रालय के फेरबदल को लेकर भी उनका विशेषाधिकार संवैधानिक रूप से ही नहीं बल्कि व्यावहारिक रूप से भी उनमें निहित साबित हुआ है. मंत्री हो या अधिकारी सीधे संपर्क में रहते हैं जबकि काम करने की पूरी स्वतंत्रता भी देते हैं. जनता उनके इस प्रभाव की कायल हो गयी है. उन्होंने अपने विजन को असरदार तरीके से लागू कर पीएम् पद की महत्ता को पुनः स्थापित किया है. 

 

सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान की बोलती बंद  तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 7

 

नरेंद्र मोदी सरकार ने अक्सर आखें दिखाने वाले पाकिस्तान को उनके ही घर में जाकर पीटा. बेहद सधे हुए एक मंजे राजनेता की तरह मोदी ने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर के हिस्से में सर्जिकल स्ट्राइक करने का निर्णय लिया. यह इतना गोपनीय और असरदार रहा कि पोखरण दो के परमाणु विस्फोट की तरह भारतीय सेना की इस प्रोफेशनल करवाई से दुनिया भोंचक रह गयी. इसमें पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकियों के ठिकाने भी नष्ट किये गए और बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया करने में भी सफलता मिली. विपक्ष को समझ ही नहीं आया कि यह आखिर कैसे संभव हुआ ? इस साहसिक एवं रणनीतिक कदम ने नरेन्द्र मोदी को जनता की नजर में एक दृढ प्रतिज्ञ राजनेता के रूप में स्थापित कर दिया. हालाँकि विपक्ष बेतुके सवालों से इसके असर को कम करने की कोशिश में लगे रहे लेकिन अब तक के चुनावी परिणामो से यह सिद्ध हो गया है कि मोदी की छवि धूमिल करने की उनकी कोशिश नाकामयाब ही रही है. 

 

समय के प्रति मोदी की प्रतिबद्धता व नियमित जीवनशैली :

अपने नियमित जीवन शैली से लोगों को भा गए पीएम नरेंद्र मोदी. लोगों में यह सन्देश मजबूती से चला गया कि वह काफी मेहनती हैं और प्रति दिन कम से कम 18 घंटे काम करते हैं. तीन साल में यह कभी सुनने को नहीं मिला कि मोदी जी छुट्टी मनाने फलां जगह गए हैं. समय की पाबंदी उनकी पहली पसंद हैं. यही कारण है कि पीएम बनते ही उन्होंने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ड्यूटी के प्रति जवाबदेह बनाने की दशा में निर्णय लिया. मंत्रालयों में आगमन व प्रस्थान को निर्धारित व सुनिश्चित करने के आधुनिक तरीके लागू किया गए.11 बजे आने व 3 बजे जाने की संस्कृति पर काफी हद तक ताला लग गया. वर्षों से अनियमित कार्यशैली के आदी हो चुके कर्मचारियों को अब बायोमेट्रिक अटेंडेंस देने पड़ते हैं. हालाँकि अब भी कुछ खामियां है लेकिन पीएम की इस कोशिश से अनुशासनात्मक भय अवश्य पैदा हुआ जिसका सर्वथा अभाव हो गया था. जनता को मोदी का यह निर्णय भी छू गया.

 

चीन को उसकी ही भाषा में समझाने का मोदी का असरदार तरीका

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इतिहास साक्षी है कि प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने से ही चीन भारत पर धौंस दिखाता रहा है और हजारों वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा किये हुए है साथ ही पूर्वोत्तर में भारत के कई हिस्से पर अपना दावा करता रहा है. आज तक एलएसी को उसने स्वीकार नहीं किया. चीन से सीधे तौर पर बराबरी में बातें करने की बजाय हमारी सरकारों ने उनसे परहेज करना शुरू कर दिया था. मोदी सरकार ने पहली बार उसे भारत बुला कर दोस्ती का पैगाम भी दिया जबकि कई दशकों बाद लेह के आगे अपने 100 टैंक भेज कर युद्धाभ्यास भी किया. सरकार गठन के बाद से नरेन्द्र मोदी सरकार ने ईस्ट लुक की नीति अपनाने का ऐलान किया और अरुणाचल प्रदेश के विकास को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी. सीमा पर सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाकर चीन को जता दिया कि उनकी आख्नें गुर्राने से अब भारत डरने वाला नहीं है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने का विरोध करने की बात हो या पानी के बंटवारे का मुद्दा , समानता के आधार पर रिश्ते को अंजाम दने की कोशिश हो रही दिखती है. पकिस्तान में बलूचिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते सड़क व्यावसायिक कोरिडोर निर्माण का प्रबल विरोध कूटनीतिक तरीके से जारी है. अभी हाल में चीन की दुखती रग धर्मं गुरु दलाई लामा को अरुणाचल आमंत्रित कर उसकी बेमतलब की नाराजगी को भी धता बता दिया और यह साफ़ कर दिया कि हम अपनी शर्तों पर ही उनसे रिश्ते चाहते हैं. दो दिन पूर्व वन बॉर्डर वन रोड के लिए बीजिंग में चीन द्वारा किये गए सम्मलेन का भारत द्वारा बहिष्कार भी मोदी की देश के प्रति अपनी कूटनीतिक निश्चयात्मकता को सिद्ध करता है और जनता इसे साहसिक फैसला मानती है. 

 

नोटबंदी जैसे जोखिम भरे निर्णय लेने की क्षमता :तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 9

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 8 नवंबर 2016 को देश को ऐसे मोड़ पर खड़ा करने का जोखिम उठाया जो शायद आज के किसी भी राजनेता में ऐसी इच्छाशक्ति नहीं दिखती है. 500 और 1000 के नोट को एकबारगी बंद करने का ऐलान इतनी गोपनीयता से करना देश की जनता व दुनिया के देशों के लिए भी एक नजीर बन गया. इस घोषणा के वक्त ही स्थिति सामान्य होने के लिए देश से केवल 45 दिनों की मोहलत मांगना दूरदर्शी कदम साबित हुआ. ऐसा लगा देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर जायेगी लेकिन पीएम मोदी नें लगातार परिस्थिति अनुसार अपने फैसले से हालत को सामान्य करने में सफलता प्राप्त की जिसके सकारात्मक परिणाम अब देखने को मिलने लगे हैं. नतीजतन देश में टैक्स देने वालों की संख्या 91 लाख बढ़ गयी. यानी अब तक 91 लाख लोग टैक्स चोरी कर रहे थे. यह बड़ी सफलता है और इस दिशा में और कई कदम अभी उठाये जा रहे हैं. विपक्ष ने इसे राजनीतिक तूल देने की कोशिश की लेकिन जनता ने उन्हें अस्वीकार कर दिया. पीएम के आह्वान पर लोगों ने मोहलत दी और कठिनाई के बावजूद इन्तजार किया. कष्ट झेलते हुए भी मोदी के इस निर्णय को आम जनता ने सराहा और पसंद किया. विपक्ष ने चुनावी मुद्दा बनाया लेकिन मोदी में जनता का विश्वास और प्रगाढ़ हो गया जिसका परिणाम यूपी और उत्तराखंड चुनाव में देखने को मिला.  

 

रेल बजट को आम बजट में समाहित करने का अनोखा निर्णय :

तीन साल बाद नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का क्या है राज ? 10इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती कि मोदी सरकार इतना बड़ा नीतिगत निर्णय ले सकती है कि रेल बजट के अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया जाए. लेकिन उन्होंने किया और जनता ने इसे हाथोहाथ लिया. आब तक रेल बजट तुष्टिकरण का साधन अधिक जबकि रेल के विकास का साधन कम बना हुआ था. हर वर्ष सैकड़ों नई घोषणाएं कर दी जाती थी , रेल मंत्री व सरकार वाहवाही लूट लेते थे लेकिन उस पर अमल वर्षों तक नहीं होता था. यह रेल व्यवस्था को जर्जर बना चुका था. मंत्रालयों में इसे सबसे मलाईदार मंत्रालय माना जाता रहा और इसका राजनीतिक दोहन होता रहा. सरकार गठन के समय इस मंत्रालय को झटकने को लेकर गठबंधन दलों के बीच तकरार अक्सर होती थी और खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता था. रेल बजट के खात्मे और एकीकृत बजट से इस पर बहुत हद तक अंकुश लग सकेगा.  

 

जनता से सीधा संवाद के लिए मन की बात :

पीएम प्रधानमंत्री ने जनता से सीधा संवाद का सटीक तरीका अपनाया. जनता ने ऐसी कल्पना भी नहीं की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे जनता से अपनी बात नियमित तौर पर कहेंगे क्योंकि अब तक की परम्परा में पीएम तो साल में केवल एक बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से गरजते थे और जनता के विचार सुनने व जानने की न तो कोई व्यवस्था थी और न ही पीएम की सोच. किसी ख़ास मौके पर रेडियो व टेलीविज़न से जनता को संबोधित किया जाता रहा वह भी एकतरफा. प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए लोगों को संबोधित करना व अपने मोदी एप एवं माय गवमेंट वेबसाइट से लोगों के सुझाव माँगना व जवाब देना उन्हें जनता का पीएम बनाता गया.  गंभीर मुद्दों पर सुझाव मंगाना और लोगों से बात करने की नई लेकिन प्रभावी पहल की लोगों ने काफी सराहना की है.

पीएम उज्ज्वला एल पी जी योजना ने देश में मोदी नाम की धूम मचा दी 

वैसे तो मोदी सरकार की ओर से अब तक दर्जनों ऐसी योजनायें शुरू की जा चुकी हैं जिसका सीधा लाभ गरीब परिवारों को मिला रहा है लेकिन कुछ ख़ास योजनाओं ने अब तक उपेक्षित रहे परिवारों को सीधे तौर पर मोदी से जोड़ दिया. इनमें पीएम उज्ज्वला एल पी जी योजना सबसे कारगर रही जिसके तहत केवल 8 माह में देश के डेढ़ करोड़ बीपीएल परिवारों को एल पी जी सिलेंडर फ्री मिले . यह बड़ी कामयाबी के तौर पर देखी जा रही है. इसके साथ ही पीएम जन धन खाता एवं पीएम आवास योजना से गरीब परिवारों को भी पैसे वालों के साथ बठने का अधिकार मिल गया. लोगों को लगने लगा कि अब तक वायदे होते थे लेकिन अब तो जो वायदे नहीं किये थे वह भी इतनी जल्दी मिलने लगे. 

 

भ्रष्टाचार के खात्मे की दिशा में कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के गलियारे से होने वाले आर्थिक लीकेज को बंद करने के लिए सरकारी भुगतान को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया. ई टेंडरिंग का कदम उठाया जबकि बड़े काम के लिए अंतरराष्ट्रीय यानी स्विस टेंडरिंग की और कदम आगे बढ़ाया. इसका असर अभी आने वाले समय में दिखेगा. इस मामले में सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि तीन साल में इस सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है. अगर याद करें पिछली यूपीए सरकार की तो नित नए खुलासे मंत्रियों के बारे में होते थे. यहाँ तक कि कोयला व टू जी घोटाले ने पीएम कार्यालय को भी अछूता नहीं छोड़ा जिसमें पूर्व पीएम से पूछताछ करने जैसी बातें भी उठने लगी. सरकार की छवि को साफ़ सुथरी बनाए रखने में मोदी को अब तक सफलता मिली है और मतदाता प्रभावित है. मंरेगा जैसी स्कीम का पेमेंट भी अब ऑनलाइन सीधे मजदूरों के खाते में किया जाता है जिससे बिचौलिये की भूमिका समाप्त हो गयी है.  

 

स्वास्थ्य को महत्व देना व योग को अपनाने की मुहीम छेड़ना :

नरेन्द्र मोदी अपने स्वास्थ्य के प्रति तो सजग हैं ही साथ ही जनमानस के स्वस्थ की भी चिंता है. यही कारण है कि उन्होंने आम आदमी को ध्यान में रखते हुए पीएम सुरक्षा वीमा योजना सहित कई अन्य बीमा योजना शुरू की. लोगों के मुंह पर आम चर्चा है कि पीएम सुबह उठकर योग करते हैं और 9 बजे सुबह से 12 बजे रात्रि तक काम करते हैं.  दुनिया को योग दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सामने प्रस्ताव रखा जिससे भारत की संस्कृति से जुड़े एक कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने में सफलता मिली. मन की बात कार्यक्रम में भी वे लोगों से स्वस्थ रहने के लिए योग को अपनाने को प्रेरित करते हैं. महिलाओं के लिए मोदी सरकार एक टैक्स पॉलिसी लेकर के आ रही है। इस पॉलिसी के तहत महिलाओं को टैक्स में छूट मिलेगी। इतना ही नहीं आधार से जुड़े हेल्थ कार्ड्स बनाए जाएंगे, जिनकी मदद से महिलाएं चेकअप करा सकेंगी और प्रेग्नेंट महिलाएं कैशलेस मेडिकल सर्विस पा सकेंगी। 

 

सोशल मीडिया के माध्यम को अपनाना व तकनीक को बढ़ावा

हालाँकि नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम के रूप में भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते थे लेकिन पीएम बनने के बाद उन्होंने देश में सोशल मीडिया को नया आयाम दिया. लोगों से जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया इतना सशक्त और प्रभावी माध्यम बन सकता है इसकी सीख भारत में मोदी से ही लोगों को मिली. आधुनिक मोबाइल तकनीक से व्यक्तिगत व प्रशासनिक कामकाज की पारदर्शिता बनाने का अप्रत्याशित कदम उठाया गया. देश में  राष्ट्रपति का एक ट्विटर हैंडल और पीएमओ का ट्वीटर हैंडल बना . पीएम ने सभी मंत्रालयों और मंत्रियों को ट्वटीर से लोगों से जुड़ने का आदेश दिया. विदेश मंत्रालय हो या रेल मंत्रालय या फिर पेट्रोलियम मंत्रालय लोगों ने ट्विटर के जरिए अपनी समस्याओं को रखना शुरू किया और उसका समाधान भी हुआ. पीएम की इस मुहीम से लोगों को एक माध्यम मिला जो लोगों का सरकार तक पहुँचने का हथियार बना  .

 

डिजिटल इंडिया से सरकारी काम हुए आसान :

तीन साल के कार्यक्रम में पीएम नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया पर सर्वाधिक बल दिया.. सरकार के सभी विभागों को डिजिटलाइजेशन की दिशा में आगे बढ़ाया और आम लोगों ने भी इसे अपनाया. इससे कम समय और कम खर्च में काम करना संभव हो गया है. आज अधिकतर राज्यों में जमीनों के रिकॉर्ड या अन्य नागरिक रिकॉर्ड डिजिटल हो चुके हैं. जनता को यह रास्ता बेहद आसन व सुविधाजनक लगने लगा है. 

 

कैशलेश इंडिया का अभियान :

पीएम ने कैशलेस व्यवस्था की दिशा में देश को आगे बढ़ा दिया है. कुछ ही माह में नकदी का चलन कम हो गया है जबकि कैशलेस व्यवसाय अधिक. बैंक में भीड़ कम होने लगी, लोग आम उपयोग के काम काज भी कैशलेस करने लगे हैं. यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैशलेस व्यवस्था ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है. इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की पीएम की मुहीम को बल मिला है. लोग यह मानते है कि मोदी के हर कदम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में उठ रहे हैं. छोटे दुकानदार भी ऑनलाइन पेमेंट की मशीन रखने लगे हैं और पे टी एम् व अन्य माध्यम का उपयोग कर रहे हैं. 

 

पुराने कानून के बोझ को कम करने की मुहीम :

अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कई कानून अब अप्रासंगिक हो चले थे जबकि कुछ से लोगों को परेशानी होती थी. हालाँकि पूर्व में अटल विहारी बाजपेयी की सरकार में भी यह कोशिश हुई थी लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने अब तक 1000 से ज्यादा ऐसे कानूनों को समाप्त कर सरकारी व निजी काम को आसन किया.इनमे कई ऐसे कानून थे जिनसे विकास कार्यों में भी बढ़ा पहुँचती थी लेकिन श्री वाजपेयी के अलावा किसी ने इस दिशा में नहीं सोचा लेकिन मोदी ने इसे त्वरित गति से किया. 

 

केंद्र व राज्य के बीच तालमेल के लिए नीति आयोग :

मोदी सरकार ने नीति आयोग का गठन कर देश के विकास को नए रूप से परिभाषित करने की कोशिश की है. राज्यों व केंद्र के आर्थिक संबंधों को लेकर और संजीदा व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया. भेदभाव वाली केंद्र की नीति से इतर व्यवस्था करना राजनीतिक रूप से नई सोच को दर्शाता है.

 

 

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Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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