नई दिल्ली ,17 मई : तीन तलाक़ पर चल रही बहस के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के वकील कपिल सिब्बल को सुझाव दिया कि क्या महिलाओं को निकाह के वक्त तीन तलाक का विकल्प दिया जा सकता है..? सिब्बल ने कहा कि हां ये सही रहेगा. दूसरी तरफ मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने भी शीर्ष अदालत के सुझाव पर विचार करने की हामी दी . यह सुझाव मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने दी .
इससे पहले तीन तलाक के मुद्दे की तुलना भगवान राम के अयोध्या में जन्म होने की मान्यता से करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि यह आस्था का विषय है . संवैधानिक नैतिकता के आधार पर इसकी पड़ताल नहीं की जा सकती. बोर्ड की ओर से पेश पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर मेरी आस्था इस बात में है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था तो यह आस्था का विषय है और इसमें संवैधानिक नैतिकता का कोई प्रश्न नहीं है . उन्होंने साफ़ कहा कि कानून की अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. उन्होंने अयोध्या में भगवान् राम के जन्म होने की आस्था की तुलना तीन तलाक के मुद्दे से की.
सिब्बल ने यह भी कहा, ‘तीन तलाक की प्रथा 637 ईसवी से लागू है. इसे गैर-इस्लामी बताने वाले हम कौन होते हैं. उन्होंने दावा किया कि 1,400 वर्षों से इसका पालन मुस्लिम करते आ रहे हैं. यह आस्था का मामला है.