108 कैंसर डाक्टरों ने की बीड़ी को अधिकतम कर की श्रेणी में रखने की मांग

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा 

बीड़ी को खतरनाक पदार्थें की सूची से हटाने का विरोध 

आर एस चौहान 

गुरुग्राम 22 अप्रेल। देशभर के 108 कैंसर चिकित्सा सेंटर के विशेषज्ञों ने बीड़ी को हानिकारक पदार्थों की सूची में रखने व जीएसटी में अधिकतर कर की श्रेणी में रखने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर की है। 
 
सभी कैंसर रोग विशेषज्ञों ने पत्र में लिखा कि हाल ही में बीड़ी को खतरनाक पदार्थें की सूची से हटाने और इस पर कोई अतिरिक्त कर न लगाने की सूचना के बाद चिकित्सों ने इस पर चिंता जाहिर की है। क्यों कि भारत में अकेली बीड़ी हर साल 6 लाख लोगों की जान लेती है। मीडिया में छपी खबरों में बताया गया है कि प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी परिषद की अंतिम मंजूरी के लिए पेश की जाने वाली वस्तुओं की पात्रता (फिटमेंट) की समीक्षा के लिए अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं।
 
परिषद ही तय करेगी कि कौन सी वस्तु किस कर स्लैब में रखी जाएगी। लोक सभा द्वारा एकीकृत, केन्द्रीय और केन्द्र शासित प्रदेश जीएसटी विधेयक एवं क्षतिपूर्ति विधेयक पारित कर दिए जाने के बाद, हाल ही में राज्य सभा ने भी इस विधेयक  को पारित कर दिया है। अब जीएसटी परिषद द्वारा विभिन्न सेवाओं और वस्तुओं को करों के पांच स्लैब में रखने का काम किया जाना है। मीडिया की खबरों के अनुसार बीड़ी खतरनाक पदार्थों की श्रेणी में नहीं रखी जाएगी। इसलिए देश भर के कैंसर चिकित्सकों ने अप्रत्याशित रूप से नेशनल कैंसर ग्रिड( एनसीजी) के बैनर तले इसके खिलाफ सामूहिक आवाज उठाई है। 
 
नेशनल कैंसर ग्रिड( एनसीजी)  देश भर के 108 कैंसर सेंटरों, शोध संस्थानों, मरीज समूहों, पेशेवर समाज तथा गैर सरकारी संगठनों का एक नेटवर्क है। यह पूरे भारत में एकसमान रूप से कैंसर की रोकथाम और मरीजों की देखभाल हो , इस पर काम करता है। एक अनुमान के अनुसार नेशनल कैंसर ग्रिड( एनसीजी)  केन्द्रों में हर साल 600,000 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यह पूरे भारत में कैंसर मरीजों की संख्या का 60 प्रतिशत है। 
 
टाटा मेमोरियल सेंटर के डा. आर.ए. बड़वे ने पत्र में कहा ‘ भारत में तम्बाकू  उत्पादों पर कर लगाने के स्तर की की गई सिफारिशों की तुलना में बहुत ही कम है। भारत में तम्बाकू पर इस विसंगति को दूर करने का जीएसटी एक सुनहरा मौका है। 
 
भारत के लोगों और विशेषतौर पर भावी पीढ़ी के भविष्य के हित में हम, निष्ठापूर्वक आपसे अनुरोध करते हैं कि बीड़ी सहित सभी तम्बाकू उत्पादों को प्रस्तावित जीएसटी संरचना के तहत अवगुण पदार्थों और  इसके अनुसार इसे  कर की दर की श्रेणी में रखे जाएं।’  
टाटा ट्रस्ट के मैनेजिंग ृट्रस्टी आर. वेंकटरमण ने कहा ‘ तम्बाकू से जान और माल( वित्त्ीय) नुकसान चौंकाने वाला है। हम कैंसर के खिलाफ तब तक लड़ाई नहीं जीत सकते जब तक समाज में तंबाकू सेवन पर रोक न लगे। अपनी भावी पीढ़ी को बचाने के लिए हमें इस पर हर हाल में रोक लगाना होगा। यह अप्रसारी रोगों के नंबर वन कारण है। 
 
उन्होंने कहा ‘ तम्बाकू सेवन करने वाले हर तीसरे व्यक्ति की इससे अकाल मृत्यु हो जलाती है और दुर्भाग्यवश प्रत्येक तीसरा भारतीय तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करता है। प्रत्येक साल भारत में तम्बाकू सेवन करने से संबंधी बीमारियों से 10 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। देश में 40 प्रतिशत कैंसर तम्बाकू के सेवन से हेाता है। उच्च कर की दर से निश्चित रूप से इस महामारी पर रोक लगेगी।’ 
 
फोर्टिस फांउडेशन के सदस्य कैंसर रोग विशेषज्ञ डा.वेदांत काबरा ने कहा ’बीड़ी लॉबी की राजनैतिक गठजोड़ को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री से ही हमें आशा है। उन्होंने विभिन्न प्लेटफॉर्मों से कई बार तम्बाकू के खिलाफ अपनी भावना व्यक्त कर चुके हैं। उन्होने विश्वास जताया है कि वे सदियों से तम्बाकू लॉबी द्वारा बीड़ी मजदूरों का किए जा रहे शोषण से उन्हें बचाने के लिए कोई कदम उठाएंगे।

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