“सोशल मीडिया के कारण दुनिया की हर भाषा में तीव्र बदलाव”

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के.आर. मंगलम विश्‍वविद्यालय, गुरुग्राम में दो दिवसीय अंतर्राष्‍ट्रीय कांफ्रेंस का समापन
संस्‍कृत ही है दुनिया के अनेक भाषाओं की जननी” : कोलंबिया के प्रोफेसर एनरिक सैंस

 

"सोशल मीडिया के कारण दुनिया की हर भाषा में तीव्र बदलाव" 2गुरुग्राम : के .आर. मंगलम विश्‍वविद्यालय, गुरुग्राम में आज दो दिवसीय अंतर्राष्‍ट्रीय कांफ्रेंस का समापन हो गया। समापन समारोह में स्‍पेन के सीज़र लॉरेंटो ने कहा, सोशल मीडिया के कारण दुनिया की हर भाषा में तेजी से बदलाव हो रहा है। उन्‍होंने संभावना जतायी कि भविष्‍य में संभव है कि दुनिया के लोग आपस में संचार के लिए एक नई भाषा विकसित कर लें जो दुनिया की सभी भाषाओं का सम्मिश्रण हो। उन्‍होंने अंतर्राष्‍ट्रीय कांफ्रेंस की संयोजक डॉ. ओम्‍ना एंटनी का धन्‍यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इस सम्‍मेलन में भाषा पर वैश्‍वीकरण के सकारात्‍मक और नकारात्‍मक प्रभाव पर काफी गंभीर चर्चा हुई और उन्‍हें उम्‍मीद है कि अकादमिक जगत को इससे एक नई दिशा मिलेगी। समापन समारोह को विश्‍वविद्यालय के चांसलर, प्रो. के.के. अग्रवाल, वाइस चांसलर प्रो. के.के. मित्तल,और उप-कुलपति प्रो. सुभाष सी. गुप्‍ता ने भी संबोधित किया।
कांफ्रेंस में विश्‍वविद्यालय के चांसलर, प्रो. के.के. अग्रवाल ने कोलंबिया के प्रोफेसर एनरिक सैंस और विभिन्‍न देशों से आये सभी प्रतिनिधियों को धन्‍यवाद दिया। प्रोफेसर एनरिक सैंस ने कहा कि अब यह एक वैज्ञानिक तथ्‍य है कि भारतीय भाषा संस्‍कृत ही दुनिया के अनेक भाषाओं की जननी है और अब इसे सारी दुनिया के विद्वान मानने लगे हैं। उन्‍होंने कहा कि पश्चिमी विद्वानों की रुचि भारत में काफी बढ़ी है और आने वाले समय में भारत और अमेरिकन  साहित्‍य, विज्ञान एवं अन्‍य सभी क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। कांफ्रेंस में देश-विदेश से करीब 150 से अधिक प्रोफेसर, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने शिरकत किया।
कांफ्रेंस में अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि केकी एन. दारुवाला की कार्यशाला में कई शो‍धार्थियों ने शिरकत की। श्री दारुवाला ने कविता, कहानी और अन्‍य रचनात्‍मक विधाओं की बारीकियों से लोगों को अवगत कराया। कई शोधार्थियों ने कार्यशाला के दौरान कविता और कहानी भी लिखी। समापन समारोह को पेरू के डियेगो वाल्डिविया, सेनेगल के गना स्‍नो, साइप्रस यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर के डॉ. स्‍टेफेनोस, आई.आई.टी. दिल्‍ली की प्रोफेसर डॉ. रुक्मिणी भाया नायर, गुजरात की डॉ. अमि उपाध्‍याय ने भी संबोधित किया।
आज शोध-पत्रों की प्रस्‍तुति के लिए सात समांतर सत्र चलाये गये जिनमें देश-विदेश से आये शोधार्थियों ने अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित शोध-पत्र प्रस्‍तुत किये और उन पर गहन चर्चा की। के.आर. मंगलम विश्‍वविद्यालय की ओर से कई उत्‍कृष्‍ट शोध-पत्रों के लिए शोधार्थियों को सम्‍मानित किया गया और उन्‍हें पुरस्‍कार दिये गये। अंत में,विश्‍वविद्यालय के रजिस्‍ट्रार डॉ. मुकेश पराशर ने कांफ्रेंस के सफल आयोजन के लिए सभी शिक्षकों एवं शोधार्थियों को धन्‍यवाद दिया और उम्‍मीद जताई कि इस कांफ्रेंस ने अकादमिक महत्‍व के गंभीर पहलुओं पर हुई गहन चर्चा से मौजूदा ज्ञान भंडार को अधिक समृद्ध किया है।
कांफ्रेंस में डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. अरुण गर्ग, डॉ. उषा वांदे, डॉ. कीर्ति कपूर, डॉ. पूर्णिमा, डॉ. कुमार राज्‍यवर्द्धन,  मनस्‍वी महेश्‍वरी, डॉ. भावना, डॉ. क्षमा,  सपना शर्मा,  कुसुम गुलिया,  कनुप्रिया,  मंजू,  इंदु रानी,  शिखा शर्मा,  सपना सिंह,  चारु चंद्र पाठक,  मौली चौधरी एवं अन्‍य गणमान्‍य विद्वतजनों ने शिरकत की।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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